१६
२०१३
मार्च
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बैंगलुरु आश्रम, भारत
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पिछले ग्यारह
वर्षों में विश्व भर से राजनीति, व्यापार, शिक्षा, विज्ञान आदि के क्षेत्र के बहुत
से सर्वोत्तम ज्ञानियों का सत्कार किया है, उन्हें एक मंच दे कर, २१वीं सदी के लिए
नवीन विचार, योजनाओं और उपायों पर चर्चा करने के लिए | परम पूज्य श्री श्री रवि शंकर जी को इण्डिया टुडे कौन्क्लेव
२०१३ में वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था |
यहाँ उसकी प्रतिलिपि दी गई है |
ज्ञान समय के
परे है |
सूर्य प्राचीन
है, पर आज, सूर्य की किरणें ताज़ी हैं | वे पुरानी या बासी नहीं हैं | यही पानी के साथ भी है
| गंगा नदी
कितनी प्राचीन है, पर उसका पानी आज भी ताज़ा है
| इसी प्रकार,
मैं कहूँगा, ज्ञान वह है जो हमारे जीवन पर लागू होता है, जो प्राचीन है, फिर भी
नवीन और ताज़ा है | वह जो जीवन को परिपुष्ट करे, वह
ज्ञान है |
बुद्धिहीन या
कट्टर धार्मिकों को देखिये; ग्यानी माने जाने वाले नास्तिक होना आधुनिक प्रणाली के
अनुकूल समझते हैं | वास्तव में जो ज्ञानी है, वही नए और
पुराने को जोड़ना और जीवन को जीना जानते हैं
| जैसे एक
वृक्ष होता है, जिसके लिए जड़ें आवश्यक हैं जो पुरानी हैं, और शाखाएं जो नयी हैं,
वैसे ही जीवन भी अनुकूलनशील होना चाहिए, और यही प्राचीन ज्ञान है |
ऋग वेद का प्रथम
श्लोक है, “अग्निः पूर्वेभिरऋषिभिरीद्यो
नूतानैरूतः | प्राचीन और नवीन दोनों एक साथ विद्यमान
हैं, और यही ज्ञान है |
प्रौद्योगिकी
और उद्योग की तरह परमपराओं का भी पुनः प्रचलन और पुनः परीक्षण करना आवश्यक है | यह अनिवार्य है | और भारत का उत्साह यह है कि
हम यह कर पाए थे | पौराणिक समय से कुछ परमपराओं को
अखंड रखा गया था, फिर भी वह अति अनुकूलनशील बन गयीं जैसे जैसे समय आधुनिक जीवन की
आवश्यकताओं की ओर बढ़ा, और जीवन की चुनौतियों का सामना करना पड़ा |
ज्ञान क्या है?
हमें ज्ञानी क्यों होना चाहिए?
कोई भी दुखी
नहीं रहना चाहता | कोई भी व्यथित नहीं रहना चाहता | वह जो हमें दुःख से दूर ले जाए, जो हमें दूरदर्शिता दे, जो
जीवन को स्फूर्ति दे, और जो आपके व्यक्तिगत स्वरुप को सृष्टि से जोड़े, वह ज्ञान है |
ज्ञान अत्यंत
संतोष प्रदान करता है जो छोटे परितोषण से नहीं मिलता | और यह सबको उपलब्ध है
| इसका शिक्षा
से कोई सरोकार नहीं है | आप गाँव के अनपढ़ लोगों में
भी ज्ञानी लोग पाएंगे | वे जानते हैं अपने घर कैसे
चलाने हैं, कैसे पड़ोस में मधुर सम्बन्ध बना कर रखने हैं, वे लोगों को जोड़ना जानते
हैं और जीवन में कैसे उत्सव मान्या जाये | ज्ञान वह है जो जीवन में
उत्सव लाता है, चेहरे पर मुस्कान लाता है | वह जो आपको सेहतमंद रखे, जो
आपको जीवन में दूरदर्शिता पाने का अंतर्बोध दे
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मैं एक और बात
कहना चाहूँगा, जब हम सोच के बारे में बात कर रहे हैं | मैंने देखा है कि सोच केवल घर का दरबान है | भावनाएं सोच से थोड़ा अधिक शक्तिशाली होती हैं | आप शायद सोचें, “मैं
खुश हूँ” या आप अपना सारा ध्यान अपनी
सोच पर केंद्रित कर दें, पर जब भावनायें आती हैं तो इतने वेग से आती हैं कि आपके
सारे सोच विचार गायब हो जाते हैं |
आप जानते हैं,
आप अपनी भावनाओं को अपने विचारों से अधिक शक्तिशाली पाएंगे | परिस्थितियाँ आप पर हावी हो जाती हैं; जबकि आप कहते हैं, “मैं खुश रहना चाहता हूँ”, या “मैं
खुश हूँ”, पर एकदम से भावनाओं का झटका
आता है, और यह सारी सोच गायब हो जाती है |
इस लिए हमें
जीवन के कई स्तरों पर काम करना है | पहला है पर्यावरण | फिर शरीर, प्राणा – प्राणा मन और शरीर के बीच का जोड़ है | फिर मन; विचार | फिर भावनाएं, जो मन से अधिक
शक्तिशाली हैं, और जटिल हैं | और उसके आगे, ऊर्जा का
दायरा, जो सकारात्मकता है, उज्ज्वलता और आत्मा है जो आप हैं, लागू होता है |
और ध्यान के
सारे माध्यम, ईसाई धर्म की प्रार्थना का तरीका, या बौद्ध धर्म के अनुकूल ध्यान, यह
सब सोच से ऊपर उठ कर उस स्तर पर पहुँचने के लिए हैं जहाँ से सब जीवन चलता है | और वह ऐसे है जैसे मकान मालिक का ख़याल करना | यदि एक बार मकान मालिक का ख़याल हो गया, फिर दरबान भी सुनेगा
जो मालिक कहेगा |
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