13 अक्तूबर, 2010
बंगलोर आश्रम, भारत
तीन स्तर हैं - परमात्मा, देवी सत्ता और जगत। सारा जगत देवी चेतना के अधीन है। यह सब अनुष्ठान सूक्ष्म जगत को जगाने की अनुठी प्रक्रिया है। देवी चेतना कण कण में व्यापक है, लेकिन उसको जाग्रित करना है। चारों वेदों के मंत्रों से सब क्षेत्रों से देवी
चेतना जाग उठती है। इसके दो लाभ हैं।
पहला - प्रपंची लाभ, दुनियावी सुख सुविधा।
दूसरा - आध्यात्मिक लाभ, जो मोक्ष चाहते हैं।
इसलिए दुनिया चाहने वाले भी और आध्यात्मिक प्रसाद पाने के इच्छुक भी यह अनुष्ठान करते हैं। सूक्ष्म जगत के दोनो के बीच में होने से मदद मिलती है। इसलिए चारों ओर जो हो रहा है उसे स्वीकार करते हैं। जब स्वीकार करते हैं तो मन शांत हो जाता है। इतने सारे शरीर और मन होने पर भी एक मन से इसको करते हैं, और विश्राम करते हैं।
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