किसी भी बुराई की जड़ तनाव है

प्रश्न: हर कोई आप से मिलना क्यों चाहता है?
श्री श्री रवि शंकर: मैं तो नहीं जानता पर ऐसा होता है। आत्मा एक दूसरे से बात करती है!

प्रश्न: आज बहुत से लोग शाकाहारी हो गए हैं, ३० साल पहले तो भारत के बाहर शाकाहार देखना भी मुश्किल था।
श्री श्री रवि शंकर: हाँ, आज बात अलग है। हर किसी को जानवरों से दोस्ती करने के लिए कहो। एक बार जब आप दोस्ती कर लेते हैं तो आप उन्हे खाते नहीं हैं। जैसे आप अपने पालतु जानवर को भोजन में तो नहीं खाते। जब एक बार रिश्ता बन जाता है तो आप में दोस्ती बन जाती है, और जानवरों से दोस्ती करने से ही विश्व शाकाहारी बन जाएगा।

प्रश्न: जब मन में इच्छाएं उठें तो क्या करें?
श्री श्री रवि शंकर: जब इच्छाएं उठती हैं तो देखो यह तुम्हारे लिए हितकारी हैं कि नहीं। जब इच्छाएं उठती हैं और बुद्धि से होकर गुज़र जाती हैं तो अच्छा है। पर अगर अदक्ष इच्छा है तो मुश्किल हो सकती है।

प्रश्न: आदतों से छुटकारा कैसे पाएं?
श्री श्री रवि शंकर: आदत से मुक्ति पाने के तीन रास्ते हैं। अगर कोई तुम्हे लालच दे। मानलो अगर तुम कोई बुरी आदत छोड़ देते हो  तो तुम्हें दस लाख मिलेंगे। तब तुम वो करोगे? तुम्हारी आदत से कुछ श्रेष्ट तुम में लालच जगा देता है। यां अगर तुम में कोई भय जगा दे! अगर चिकित्सक कह दे कि शराब पीने से तुम्हारा लीवर खराब हो जाएगा, तो क्या तब भी तुम शराब पीओगे? तीसरा तरीका प्रेम का है।

प्रश्न: लोगों में बुराई से छुटकारा कैसे पाएं?
श्री श्री रवि शंकर: लोगों में कुछ बुराई है तो केवल तनाव के कारण। एक बार साधना के पथ पर आ जाने से वो किसी भी बुराई से बाहर आ जाते हैं।

प्रश्न: संपत्ति क्या है?
श्री श्री रवि शंकर: संपत्ति केवल धन नहीं है। जो भी जीवन को समर्थन करता है वो संपत्ति है। स्कैन्डीनेवीया में लोग सूरज के लिए तरस्ते हैं। जब मैं वहाँ सर्दियों में गया था, तो वहाँ अंधेरा था, जैसा यहाँ इस समय है। जब मैने पूछा सूरज कब उदय होगा, तो मुझे किसी ने बताया जनवरी में। 
आज समाज में आध्यात्म की लहर की आवश्यकता है। आध्यात्म माने क्या? जहाँ लोग एक दूसरे से अपनेपन के भाव से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। जब अपनापन बड़ जाता है तो भ्रष्टाचार कम हो जाता है।

प्रश्न: समाधि क्या है?

श्री श्री रवि शंकर: अलग अलग तरह की समाधि है।
पहला है लय समाधि - संगीत का आनंद लेते हुए तुम अपने में गहरे उतर जाते हो।
फ़िर साक्षी समाधि - मन में सजगता।
अगर तुम बहुत ज़्यादा भी करते हो तो सही नहीं है। इसीलिए एक शिक्षक से मार्गदर्शन लेनी चाहिए। जब कोई शरीर त्याग देता है तो हम जीवन की विशालता अनुभव करते हैं। एक व्यक्ति जो पहले था वो अब नहीं है। यह जीवन में एक गहराई लाता है, और तब हम आश्चर्य करते हैं जीवन है क्या? व्यक्ति कहाँ गया? यह जीवन मे गहराई लाता है और इसलिए दुख व्यक्त करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
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