मौनट्रीयल, कैनेडा नवंबर 25, 2010
वर्तमान क्षण में अभी जागो! यह केवल एक बहता हुआ क्षण नहीं है। वर्तमान क्षण में अनंत की गहराई है। पूरा अतीत और भविष्य वर्तमान में मौजूद है। तुम्हारा पूरा कृत वर्तमान क्षण का पूर्ण रूप से अनुभव करना ही होना चाहिए। किस को परवाह है तुम कैसा महसूस करते हो? क्या तुम वो कर रहे हो जो तुम्हे करना चाहिए? क्या आप अपने अस्तित्व के नाज़ुक पहलू से परिचित हैं? क्या आप सब करते हुए भी अपने उस संवेदनशील पहलू में विश्राम कर रहे हैं?वर्तमान क्षंण संवेदनशील है। आमतौर पर जब आप संवेदन शील होते हैं तो आप कमज़ोर पड़ जाते हैं, और जब आप ताकतवर होते हैं तो असंवेदनशीलता झलकती है। दोनो का मेल उत्तम है - संवेदनशील होते हुए मज़बूत और ताकतवर बने रहना। यही ज्ञान है। भूतकाल के कर्मों का प्रभाव स्थायी नहीं है। भूतकाल में होने वाली घटनाओं पर दुखी होना मूर्खता है। परिणाम का सामना करो पर वर्तमान में शांत रहो। अभी जागो! जब अभी जागकर देखते हो तो किसी परिणाम का भय भी नही रहता। जिस क्षण तुम्हे अपनी गलती का एहसास हो जाता है तुम्हे उसी क्षण माफ़ी मिल जाती है। तुम हर क्षण में नए हो, ताज़ा हो, फूल की तरह खिले हुए हो।
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