बर्लिन, ४ जुलाई २०११
बर्लिन में वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल (विश्व सांस्कृतिक उत्सव) कार्यक्रम के उपरांत स्वयंसेवियों ने श्री श्री के साथ अपनी चुनौतियों के अनुभव को बाँटा |
श्री श्री रविशंकर: चुनौतियां इसलिए आती है कि आप उसका सामना करते हुये उस पर विजय प्राप्त कर सके और यह समझ सके कि उसका सामना करने की उर्जा आप में है | आप के चेतना का स्तर हर समय ऊंचा होना चाहिये | किसी भी चुनौती के सामने आगे बढते रहे और अपनी चेतना के स्तर को ऊंचा रखे | इसमें यही सन्देश है कि आप घटना से प्रभावित नहीं होते है और चुनौतियों से आप को शिक्षा मिलती है | चुनौतियां अस्थायी होती है और आपको मुस्कुराते हुये उसका सामना करना चाहिये |
प्रश्न: मेरा बॉस बहुत ज़िद्दी हैं और मेरी उससे बहुत लड़ाई होती है | उससे कैसे निपटा जाये ?
श्री श्री रविशंकर:यह बहुत आसान है| आपको जो कुछ भी कहना है उसे अलग तरीके से कहे | मैं आप लोगों को एक छोटीसी कहानी सुनाता हूं | एक आदमी की पत्नी बहुत ज़िद्दी थी | उसका पति जो कुछ भी कहता था वह उसका विपरीत करती थी | पति बहुत परेशान था और वह एक स्वामीजी के पास सलाह मांगने के लिए गया |स्वामीजी ने उस व्यक्ति के कान में कुछ कहा | तीन महीने उपरांत स्वामीजी उस व्यक्ति के नगर में आये और उन्होंने उस व्यक्ति को बहुत खुश देखा | पति ने स्वामीजी को धन्यवाद दिया और कहा “आपकी तरकीब रंग लायी” स्वामीजी ने उस व्यक्ति को यह सलाह दी थी कि उसे जो कुछ भी चाहिये वह उसका विपरीत कहे | जैसे यदि उसे तले हुये आलू चाहिये तो उसे अपनी पत्नी को कहना था कि उसे तले हुये आलू नहीं चाहिये | यह सिर्फ मन को समझ कर उसे संभालने की बात है | जब संपर्क टूट जाये तो आपको बात ही नहीं करनी चाहिये | मजबूत लोग अपनी योग्यताओं को स्वयं ही निखार लेते है |
प्रश्न: उदासी (अवसाद) मिटाने की दवाईयों पर आपकी राय क्या है?
श्री श्री रविशंकर: ज्ञान में रहे | ज्ञान को सुने और अपने आध्यात्मिक अभ्यास को प्रतिदिन करे | फिर आपको कभी भी उदासी नहीं होगी | चिकित्सकों की सलाह को माने और धीरे धीरे वह ठीक हो जायेगा| किसी समूह से जुडकर सेवा करे |जब आपके पास करने को कुछ नहीं होता है, तो आप अपने बारे सोच कर उदास हो जाते है |
प्रश्न: हमें आपकी या भगवान की प्रार्थना करनी चाहिये ? क्या आप भगवान के पास हमारी प्रार्थना पहुंचा देंगे या वे आपके पास सीधे ही पहुंच जाती है ?
श्री श्री रविशंकर: प्रार्थना बहुत ही सहजता से होती है| यह ऐसा नहीं है जिसे आप मन में सोच कर करते है या यह मन में अपने आप होती है| यह अपने आप तब होती है, जब आपको सहायता की आवश्यकता होती है| प्रार्थना करने के लिये कोई प्रयास न करे |सिर्फ विश्राम करे | सिर्फ एक ही भगवान होता है जो सब में कृत्य करता है | आप अपनी प्रार्थना किसी को भी करे वह सिर्फ एक ही भगवान के पास पहुंचती है जिसने इस ब्रह्माण्ड की रचना करी है | किसी भी बात की चिंता न करे | आप अपनी सारी समस्यायें मुझे दे दीजिये और खुशी से घर जाये |
प्रश्न: क्या आप सारी प्रार्थनाओं का उत्तर देते हैं?
श्री श्री रविशंकर: कोई भी इच्छा करने से पहेले सावधान रहे | आपको उस इच्छा के अंत में यह जोड़ देना चाहिये “ या जो कुछ भी मेरे लिये अच्छा है”|
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