१४
२०१३
मार्च
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बैंगलुरु आश्रम, भारत
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सत्संग
में बैठकर अपने भीतर में जाएँ, सिर्फ यही महत्त्वपूर्ण है |
दर्शक
: आप मत जाइयें |
आपको यह
नहीं कहना चाहिए | और भी कार्यक्रमों में लोग मेरा इन्तजार कर रहे हैं | मैं किसी को
भी निराश नहीं करना चाहता | आज ही, मैंने कहा, मैं कुछ देर और सत्संग में रुक जाऊंगा,
और इतने सारे लोगों को निराश नहीं करूँगा | और इस वजह से ही मैंने अपनी उड़ान का समय
परिवर्तित किया | तो १० मिनट के लिए मैं आप के साथ रुक सकता हूँ |
अपनी साधना,
सेवा और सत्संग करते रहें | और इस बारे में सोचें की कैसे हम इस दुनिया को ज्यादा प्रकाशवान,
और अधिक ज्ञान लोगों के जीवन में ला सकते हैं |
देखिये,
वैसे भी, हम सबको और ४०-५० साल जीना है | इसलिए जीवन का कुछ उद्देश्य होना चाहिए |
हमें यह सोचने की जरुरत है कि हम जीवन में क्या करना चाहते हैं ?
खाने,
सोने, सोचने, अखबार पढ़ने और टेलिविज़न देखने के अलावा भी हमें और कुछ करने की भी जरुरत
है, और वह क्या है जो हम कर सकते हैं ?
लोगों
तक ज्ञान पंहुचाइये | लोगों को खुशी दीजिए | और लोगों को खुशी देने के लिए उन्हें ज्ञान
की ओर लाना होगा |
अगर कोई
खुश नहीं हैं, इसका मतलब है कि उसने ज्ञान प्राप्त नहीं किया है ; उन्होंने ज्ञान को
अपनाया नहीं है, ओर इसलिए वे खुश नहीं हैं |
आप कह
सकते हैं, ‘गुरुदेव, कुछ लोग हैं जिनके पास पानी नहीं है, खाना नहीं है
और वे पीड़ा में हैं | इसलिए वे खुश नहीं हैं | वे खुश कैसे हो सकते हैं ?’
यह एक
अलग मुद्दा है | यह दुःख अलग है | लोगों को प्राकृतिक विपदा, सूखे या बाद की वजह से
दुःख मिलता है | इस परिस्तिथि में आपको सेवा करनी चाहिए | और यहाँ पर भी ज्ञान के साथ
सेवा ज्यादा बेहतर होगी |
जीवन में
कठिनाईयां आती हैं, परन्तु कठिनाईयों से पार पाने के लिए किसी को भी मजबूत होना होगा,
और ताकत अध्यात्मिक ज्ञान से आती है |
देखिये,
दक्षिण अमेरिका में एक तितली के पंख फडफडाने से चीन के बादल प्रभावित होते हैं | इसका
मतलब है कि पूरा ब्रह्माण्ड आपस में जुड़ा हुआ है | हर चीज हर दूसरी चीज से जुडी हुई
है | तो भावनाओं के साथ कुछ पूजा करने से, वातावरण में कुछ सुन्दर और सकारात्मक प्रभाव
पड़ता है, और यह ब्रह्माण्ड को भी प्रभावित करता है |
कितने
लोगों ने गुरु पूजा करने से फर्क को महसूस किया है ? सिर्फ गुरु पूजा को गाने से ही
अंतर आता है !
अभी हाल
ही में किसी ने मुझे लिखा था कि कोई अस्पताल में था, और गुरु पूजा करने से, वह ठीक
हो गया |
एक बालक
लगातार रो रहा था, और गुरु पूजा गाने से, वह बालक शांत हो गया |
तो इस
तरह के कितने उपचारात्मक उदहारण हैं, और ये आश्चर्य नहीं है | इसी तरह से होता है और
होता ही है | यह स्वाभाविक है | और अगर यह नहीं होगा तो यह आश्चर्य का विषय है |
तो जीवन
में, दिशा का होना आवश्यक है, और दिशा का मतलब है – हम कैसे प्राचीन ज्ञान
ज्ञान को सब तक पहुंचा सकते हैं ?
प्राचीन ज्ञान वैसे भी साथ
है, हम इसे कैसे इस जीवनकाल में आगे बढ़ाये ताकि अनंतकाल तक इसका प्रवाह बना रहे, इस
विषय पर सोचना होगा | हमें अपनी उर्जा इस दिशा में लगानी होगी | |