१९
२०१३
मार्च
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स्प्लिट, क्रोएशिया
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हम कितनी
औपचारिक खुशियों का आदान प्रदान करते हैं, “हैल्लो, हाई, आप कैसे हैं?,
अभिनन्दन”| यह सब कितना सतही है| यह वास्तव
में आपके ह्रदय से नहीं आ रहा| यह एक विमान परिचारिका के जैसे है, जो आपका
अभिनन्दन करती है जब आप विमान से उतारते हैं यह कह कर, “आपका दिन अच्छा बीते”| उसका वास्तव में यह
अभिप्राय नहीं होता| इतनी बार हम कहते हैं, “स्वागत, अलविदा, शुभ रात्रि” इत्यादि,
पर इसके पीछे कोई भाव नहीं होता| परन्तु, यही शब्द यदि आपको किसी अति प्रिय या
घनिष्ठ व्यक्ति से आते हैं, तो यह अपने साथ एक स्पंदन लाते हैं, कुछ भाव रखते हैं|
जब आपकी दादी आपको कहती हैं, “तुम्हारा दिन अच्छा हो” तो वह विमान परिचारिका के “आपका
दिन अच्छा हो” जैसा नहीं होता| इसमें कुछ भावनाएं
होती हैं, कुछ स्पंदन होता हैं, है ना?
यदि हम अपना
जीवन सतही स्तर पर जीते हैं, तो जीवन बहुत नीरस और अरोचक हो जाता है| लेकिन, जब हम
एक दूसरे से ह्रदय से संपर्क करते हैं, तब कुछ सच्चाई होती है| और वह सच्चाई जीवन
को और भी सुन्दर और विशुद्ध बनाती है| मैं समझ सकता हूँ कि कदाचित आप यह हर समय
नहीं कर पाएं, पर दैनिक जीवन में कुछ समय के लिए तो आप को ऐसा करना चाहिए| जब हम
जीवन के इस पहलू में, जो मानव जीवन के लिए सबसे प्रमुख है, झांकते हैं, तो हम में
और हमारे आस पास में बहुत बड़ा परिवर्तन होता है|
सब कुछ स्पंदन के कारण होता है| हम हर समय स्पंदन
छोड़ते हैं|यदि यह स्पंदन सकारात्मक हैं तो हमारे आस पास के लोग खुश रहते हैं| यदि
हम खुश हैं, तो सब कुछ हमारी इच्छा अनुसार होता है| यदि हमारे स्पंदन नकारात्मक
हैं, तो कोई भी हमारे साथ सम्बन्ध नहीं रखना चाहता, और हम स्वयं से नाखुश रहते
हैं|
एक उपाय है
जिस से हम नकारात्मक स्पंदन को सकारात्मक बना सकते हैं, और वह है प्राणायाम,
ध्यान, ज्ञान और हमारे जीवन कि भिन्न सतहों को समझ करकर, जैसे शरीर, सांस, दिमाग,
बुद्धि इत्यादि| थोड़ी सी समझ से और अपने भीतर गहरे विश्राम से हमारे नकारात्मक
स्पंदन सकारात्मक बन जाते हैं|
जब आप संतुष्ट
होते हैं, तब आपका मन निर्मल और स्वच्छ होता है, और आपके मन में किसी के लिए कोई
दुर्विचार नहीं होता, तब आप लोगों के रोग हरने की, उन्हें आशीर्वाद देने की शक्ति
प्राप्त करते हैं| यह संभव है| हर व्यक्ति दूसरों के रोग हर सकता है, अगर वे अपने
स्पंदन को बदल सकें पूर्ण सकारात्मक रूप में|
जब हम स्वयं
में शान्ति पा लेते हैं, तो यह शान्ति हमसे प्रस्फुटित होती है| हम जितना जानते
हैं वह मात्र एक अंश है यथार्थ का| बहुत से रहस्य हैं, बहुत से स्तर हैं यथार्थ
के|यदि आप और समय लें, आप ज्ञान में गहरे जा सकते हैं| और जहाँ ज्ञान है, वहाँ कोई
आपकी खुशियाँ नहीं छीन सकता|
कल ज़गरेब में
मैंने एक कार्यक्रम आरम्भ किया है, “श्रेष्ठ क्रोएशिया के लिए स्वयंसेवा”| वहां
अनुमानित २५०० लोग थे| मैंने सबसे प्रतिदिन एक घंटा देने के लिए कहा है, या एक
सप्ताह में सात घंटे समाज को सुधारने के लिए| क्या आपको नहीं लगता हमें यहाँ भी
ऐसा करना चाहिए? यह ऐसे क्षेत्र हैं जिस में हम सब योगदान दे सकते हैं|
पहले, हम एक
तनाव मुक्त समाज चाहते हैं| हमें लोगों को शिक्षित करना है कैसे मिलनसार, सहयोगी
बनें, और उन्हें हिंसक प्रवृत्तियों से मुक्ति पाने में सहायता करनी है|
दूसरा, हमें
उन लोगों की सहायता करनी है जिन्हें तरह तरह की लत लगी हुई हैं| सुदर्शन क्रिया और
ध्यान का नियत अभ्यास उन्हें इन लतों से
छुटकारा पाने में सहायक होगा|
तीसरा, हमें
समाज को भ्रष्टाचार से मुक्त कराना है| जहाँ अपनेपन का भाव समाप्त होता है, वहीँ
भ्रष्टाचार शुरू होता है|
इसके साथ, जिन
लोगों को सही में सहायता कि आवश्यकता है, हमें उन तक पहुँचना है| इसलिए, यदि आप
लोग २० से ३० लोगों का एक गुट बना ले अलग अलग इलाके में, और ७ घंटे प्रति सप्ताह
एक साथ व्यतीत करें, मुस्कुराते हुए, समाज की सेवा करते हुए, तो हम खुशी की लहरें
पैदा कर सकते हैं|
एक और बात इस
से पहले कि आप प्रश्न शुरू करें| अपनी सारी चिंताएं मेरे पास छोड़ दीजिए| मैं चाहता
हूँ आप देश की चिंता करें, क्रोएशिया की, विश्व की चिंता करें| अपनी व्यक्तिगत
समस्याएं और चिंताएं आप मुझे दे दीजिए|
प्रश्न : गुरुदेव, विश्व करोड़ों रुपये खर्च रहा है शान्ति बनाने के
लिए, योजनायें और प्रणालियाँ बना कर| परन्तु, वह लोगों के दिलों तक नहीं पहुँच पाए
हैं और उन्हें लोगों के दिमाग के बारे में कुछ नहीं पता| आपकी विश्व शांति कि
पुकार को सुनने के लिए मेरी दृष्टि है कि इस ज्ञान को लोगों के दिल और दिमाग तक
पहुँचाया जाये| इस लिए, हम आपके साथ युनाईटेड नेशन जा सकते हैं, उन सभी क्षेत्रों
में जहाँ लोग हिंसा से पीड़ित हैं|
श्री श्री रविशंकर : अच्छा है| अच्छा है| फरवरी ३ को मैंने दिल्ली में “श्रेष्ठतर भारत के लिए स्वयंसेवा” का कार्यक्रम आरम्भ किया था, दस और युनाईटेड नेशन की
संस्थाओं के साथ| वह बहुत ही सफल सभा थी
और हम यूनीसेफ और यु एन कि और संस्थाओं के साथ काम करते रहेंगे ऐसा वातावरण बनाने
के लिए|
मैं चाहूँगा
आप में से बहुत से लोग, यहाँ स्प्लिट में आर्ट ऑफ लिविंग के शिक्षक बनें और
क्रोएशिया में यह सन्देश प्रचारित करें|
मैं आपको भारत
आने का भी आमंत्रण देता हूँ| जब आप भारत आयें, तो आप पर्यटन पर जा सकते हैं, ध्यान
कर सकते हें और अधिक गहरे अनुभव प्राप्त कर सकते हें| साथ ही आप आयुर्वेद का भी
अनुभव पा सकते हें|
क्या आप जानते
हें कि विश्व का सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेद अस्पताल बंगलोर में है, जो वेरीकोस वेंस
जैसी चीज़ों का भी इलाज़ कर सकता है, जिसका एलॉपथी चिकित्सा शैली में कोई इलाज नहीं
है? और दांतों के इलाज बहुत उत्तम हें| चिकितक आपके दांत निकाल सकते हें, बिना
दर्द के, बिना एक बूँद भी खून बहाए या बेहोशी कि दावा दिए; लगभग पांच या दस गुना
कम लागत पर| आयुर्वेद बहुत ही असरदार और कम खर्च की चिकित्सा है| पुरानी चिकित्सा
विज्ञान से आप बहुत बातें सीख सकते हें|
जाने से पहले,
अपनी सारी चिंताएं मुझे दे दीजिए, और एक बड़ी मुस्कान के साथ जाइए|
प्रश्न : मैं आपका धन्यवाद करना चाहता हूँ, यहाँ आने के लिए और आप
द्वारा कही गई अनमोल बातों के लिए| जब आपने कहा समाज सेवा, क्या आपका तात्पर्य एक
व्यक्ति से था या सेवा जैसे रेड क्रॉस के लिए?
श्री श्री रविशंकर : हाँ, जो भी, जहाँ भी आवश्यक है, और जिस भी रूप में उसकी
आवश्यकता है|
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