समय के महासागर पर पाल नौकायन

१०
२०१३
अप्रैल
मॉन्ट्रियल, कनाडा


भारत में आज के दिन नव वर्ष मनाया जाता है; सन २०७०|
एक बहुत ही धर्मनिष्ठ व्यक्ति था, जो नरेश भी था| वह २०७० साल पहले रहा करता था| भारत में, सारे वर्ष उसके नाम से बोले जाते थे और तब से सब वर्ष विक्रम वर्ष कहलाते थे| इसलिए, यह नव वर्ष विक्रम २०७० है|
विक्रम से पूर्व वर्ष भगवान कृष्ण के नाम से रखे जाते थे; इसलिए, आज ५,११४ वर्ष है|

नव वर्ष का चलन सृष्टि पर आधारित है, यह आरम्भ होता है जब सूर्य या चंद्र मेष के पहले बिंदु में प्रवेश करता है| आज चन्द्रमा ने प्रवेश किया है, दो दिन के उपरान्त, अर्थात १३ अप्रैल को, सूर्य मेष के पहले बिंदु में प्रवेश करेगा, जिस दिन हम बैसाखी का पर्व मनाते हैं, और जो नव वर्ष का दिन भी है|
तो, आधा भारत चन्द्रमा के साथ उत्सव मनाता है, आधा भारत सूर्य के साथ| इस में भी कोई समानता नहीं है| सब स्वछन्द हैं जो वे चाहें वह उत्सव मनाने के लिए|
पंजाब, बंगाल, ओडिसा, तमिल नाडू और केरला सूर्य तालिका के हिसाब से नव वर्ष मनाते हैं, अर्थात, बैसाखी पर|
कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, और बहुत से भारत के राज्य, वे आज, अर्थात चंद्र तालिका से मनाते हैं| आर्ट ऑफ लिविंग, हम प्रतिदिन उत्सव मनाते हैं!
नव वर्ष के दिन प्रथा है थोड़े से नीम के पत्ते, जो कि बहुत कड़वे होते हैं, और थोड़ा सा गुड़, जो कि मीठा होता है, खाने की| यह इसका प्रतीक है कि जीवन दोनों है, कड़वा और मीठा; आपको दोनों निगलने हैं, यह एक सन्देश है|
समय आपको दोनों अनुभव देता है, मीठे और कड़वे| ऐसा मत सोचिये कि केवल आपके मित्र जीवन में मिठास लाते हैं; मित्र कड़वाहट भी ला सकते हैं| और यह भी मत सोचिये कि शत्रु सदैव कड़वाहट लाते हैं; शत्रु भी कुछ मिठास ला सकते हैं| तो जीवन मिश्रण है सब विपरीत चीज़ों का; जैसे यहाँ है शीत और ऊष्म, है न? सब तरफ बर्फ़ है, फिर भी वातावरण मनोहर है| नव वर्ष ऐसे ही आरम्भ होता है|

एक समय पर, विश्व भर में, सब एक ही तालिका प्रयोग करते थे; चंद्र तालिका| आज भी, तुर्की और इरान में लोग चंद्र तालिका मानते हैं, नव वर्ष मार्च में होता है|

लन्दन के किंग जोर्ज चाहते थे नव वर्ष जनवरी मास से शुरू हो क्योंकि वे उस मास में जन्मे थे| वह उनका नव वर्ष था निस्संदेह पर यह उन्होंने पूरे ब्रिटिश राज पर थोप दिया! अब यह आठवीं या नौवीं सदी में हुआ था, पर लोगों ने नव वर्ष का उतसव अप्रैल में मनाना नहीं छोड़ा| तो किंग जोर्ज ने उसे अप्रैल फूल्स डे का नाम दे दिया| उन्होंने कहा, जो भी अप्रैल में उत्सव मनाएगा, वह मंदबुद्धि है, फूल है| इसी प्रकार, १ अप्रैल का दिन अप्रैल फूल्स डे के नाम से प्रचलित हो गया|

क्या आप जानते हैं सब महीनों और दिनों के नाम संस्कृत भाषा में हैं? सप्ताह के सात दिन सात ग्रहों पर रखे गए हैं| रविवार रवि या सूर्य का दिन है, सोमवार चंद्र का दिन है, मंगलवार मंगल ग्रह, बुधवार बुध ग्रह, ब्रहस्पतिवार ब्रहस्पति ग्रह है, शुक्रवार शुक्र ग्रह है और शनिवार शनि गृह का दिन है| यह सात ग्रह हैं जिन पर सप्ताह के दिनों का नाम रखा गया| वास्तव में यह सब संस्कृत में है| प्रारंभिक तालिका संस्कृत में बनी थी प्राचीन भारत में और वहां से यह ईजिप्ट गई|
वर्ष के बारह मास बारह तारामंडलों पर आधारित किये गए थे, अर्थात, हर तारामंडल में सूर्य की दशा (मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या; उसी प्रकार, महीनों के नाम बनाये जाते थे)| इसलिए, महीनों के नाम संस्कृत शब्दों से मेल खाते थे| दशाम्बर दिसंबर है, दश का संस्कृत में अर्थ है दस, अम्बर अर्थात आकाश, दशाम्बर का अर्थ दसवां आकाश|
नवंबर का अर्थ है नौवां आकाश| अक्टूबर अष्टाम्बर है, अर्थात आठवां आकाश| सितम्बर अर्थात सातवाँ आकाश|
देखो, एक नाम आकस्मिक हो सकता है पर यदि सारे नाम मेल खाते हों, यह आकस्मिक नहीं हो सकता|  षष्ठ का अर्थ है छेवां, अर्थात अगस्त| यह आठवां महीना नहीं है, अगस्त छठा महीना है (यदि आप मार्च से शुरू करें तो)|

यदि आप फरवरी पे आयें, हम बहुत बार कहते हैं, साल का अंतिम भाग! फरवरी बारहवां मास है, साल का अंतिम| मार्च पहला मास है|
साधारणतः, चंद्रमा पर आधारित नव वर्ष २० मार्च को होता है, इस लिए नया वर्ष तब आरम्भ होता है| परन्तु, यह सब एक एन्ग्रेज़ राजा ने बिगाड़ दिया, जिसने लगभग आधे विश्व को प्रभावित कर दिया, अमरीका और कैनाडा को भी| तो किंग जोर्ज ने नव वर्ष को अपने जन्मदिन के हिसाब से बदल दिया| यह कहानी है नव वर्ष की|
दुर्भाग्य से, भारत में बहुत से लोग महीनों के पारंपरिक नाम और उनके अर्थ भूल गए हैं| चंद्र तालिका के हिसाब से नाम हैं, चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीष, पौष, माघ, और फाल्गुन|
हर महीने का नाम चंद्र तालिका में सौरमंडल के २७ सितारों से मेल खता है| दो और एक चौथाई तारे एक तारामंडल बनाते हैं| इसे १२ तारामंडलों से गुणा करें तो २७ सितारे बनते हैं| जब पूरा चाँद किसी तारे पर पड़ता है, वह महीना उसी नाम से जाना जाता है| उदाहरण, चित्रा नाम का एक तारा है| जब पूरा चाँद चित्रा पर आता है, तब वह चंद्र वर्ष का पहला महीना होता है, अर्थात, चैत्र| अगला महीना वैशाख होगा|
यह अद्भुत है, कि कितनी बारीकी से निर्धारित किया जाता था कि किस तारे पर चंद्र पड़ रहा है, और कैसे महीने बनाए गए थे|
चंद्र तालिका में एक महीने में केवल २७ दिन होते हैं| इस लिए, हर ४ वर्षों बाद, एक अधिमास, या अतिरिक्त महीना होता है| बिलकुल वैसे ही जैसे एक अधिवर्ष में फरवरी में २९ दिन होते हैं|
सूर्य तालिका में केवल एक अधिदिवस होता है, अंग्रेज़ी तालिका की भांति|
कभी कभी वैसाखी १३ अप्रैल को होती है, कभी १४ अप्रैल| चार वर्षों में एक बार यह अंतर होता है|

प्रश्न : गुरूजी, हमें इस नव वर्ष के बारे में बताइए, क्या यह एक अच्छा वर्ष है?
श्री श्री रवि शंकर : हाँ| यह एक अच्छा वर्ष है| इस वर्ष को विजय का वर्ष कहते हैं| भलाई की बुराई पर विजय होगी| बुद्धिमान धूर्त लोगों पर विजय पाएंगे| वे सब जो गलत काम करते हैं, लोगों को धोखा दे रहे हैं, वे सब बाहर हो जायेंगे| अब भलाई के राज करने का समय आ गया है|
हर चीज़ का एक चक्र होता है| अलग अलग समय पर अलग अलग बातें होती हैं| तो, इस बार, अधिक सत्व आ रहा है|

प्रश्न : गुरूजी, क्या हम ओडिशा विश्व विद्यालय में पढ़ा सकते हैं?
श्री श्री रवि शंकर : हाँ| आप उपकुलपति को लिख सकते हैं| क्या आप जानते हैं हम वहां अस्थिचिकित्सा विद्यालय शुरू करने वाले हैं? वह बहुत अच्छे से उभरा है| हमारा आयुर्वेद विद्यालय भी बहुत अच्छा कर रहा है| उसने दस में से छः विशिष्टताएं प्राप्त कर ली हैं| क्या आप जानते हैं, यह सर्वोत्तम विद्यालयों में माना जाता है वहां? यह लोगों को वेरीकोस वेंस और उस से सम्बंधित बीमारियों का इलाज करता है, बिना किसी शल्य चिकित्सा (ऑपरेशन) के|

प्रश्न : गुरूजी, मैंने सुना है कि कैंसर का भी आयुर्वेदिक चिकित्सालय में इलाज़ हुआ है?
श्री श्री रवि शंकर : हाँ| कैंसर का भी उनकी दवाइयों से इलाज हुआ है| यही हमारे शक्ति ड्रोप्स में भी है| उसके अद्भुत परिणाम हैं| वे अभी शक्ति ड्रोप्स पर अनुसन्धान कर रहे हैं| यह बहुत चीज़ों में लाभदायक है, सूजन, दर्द, इत्यादि| इस अनुसंधान की सारी जानकारी लाने में उन्हें एक वर्ष लगेगा|

प्रश्न : गुरुदेव, मेरी बेटी को नट्स से एलर्जी है| मैं नवरात्रों में आश्रम आई थी और उसका आयुर्वेदिक चिकित्सालय में इलाज करवाया था| अब उसकी ६० प्रतिशत समस्या दूर हो गई है और उसका एक्जीमा भी जा रहा है|
श्री श्री रवि शंकर : एलर्जी, एक्जीमा इस सब का बहुत अच्छे से इलाज हो सकता है| बहुत सी बीमारियाँ जो एलॉपथी में ठीक नहीं होतीं, वह आयुर्वेद चिकित्सक दूर कर सकते हिन् और शक्ति ड्रोप्स भी अच्छा काम करती हैं|
बहुत से लोगों ने बड़े बदलाव अनुभव किये हैं|