हर दिन एक नया मित्र बनाइये

२२
२०१३
मार्च
बैंगलुरु आश्रम, भारत


(श्री श्री रविशंकर "अहिंसा: नो हायर कॉलिंग" सन डिएगो, कैलिफ़ोर्निया मार्च २, २०१३ ।)
हमें मित्रता के समय में रहना चाहिए । 
केवल एक कक्षा और बच्चों से पूछिए,"आपके कितने मित्र है ?"
हमें अपने बच्चों को मैत्री भाव रखने के लिए शिक्षित करना चाहिए । उग्रता ख़तम करने का यह एक  तरीका है । उन्हें रोज़ एक नया मित्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध कीजिये और आप देखेंगे कि कैसे उनका पूरा दृष्टिकोण बदल जाता हैं । अहिंसा को विकसित करने की जरुरत नहीं हैं, यह स्वाभाविक है, लेकिन आज हमे इसे विकसित करना पड़ता है, क्योंकि हम सहज जीवन जीने की पप्रवृत्तियों से बहुत दूर चले गए हैं । बच्चों को लगता है कि हीरो/नायक बन्ने के लिए उग्र होना जरुरी हैं ।  यह धारणा बदलने की जरुरत है ।
हमें अहिंसा में गरिमा और गौरव को वापस लाना चाहिए ।  मैं यह कहूँगा, जब हम अन्य समुदायों के साथ जुड़ेंगे तब अपनापन की भावना पैदा होगी । भय, चिंता और असुरक्षा समाज से निकल जाएगी । प्रेम और करुणा अग्रसर रहेगी । और प्रेम और करुणा, जो मनुष्य का असली स्वभाव है, उसे अग्रसर होने का समय  गया है । हमें पाशवी वृत्तियों से दूर जाना होगा जो हमारे समाज पर हावी हो गया है ।  ऐसा कोई भी मनुष्य नहीं है जो करुणा से रहित हो । बस वह केवल छिप गया है । उसे बाहर लाने की जरुरत है ।