जीवन जीते हुए आपको खुश रहना चाहिए और दूसरों को भी खुश रहने देना चाहिए !!!

८ मई २०११, बैंगलुरु आश्रम

श्री श्री रवि शंकर: प्रतिदिन आपको अपने आपको शांत करने के लिए कुछ समय निकालना चाहिए | इसके लिए आपको यह सजगता लानी होगी कि जो कुछ आज यहां हैं, वह किसी और दिन यहां नहीं होगा, जैसे पानी में बुलबुला | आपको जीवन की अस्थिरता को समझना होगा | जीवन जीते हुए आपको खुश रहना चाहिए और दूसरों को भी खुश रहने देना चाहिए | जब आप मृत्यु को याद करते हैं तो जीवन के प्रति प्रश्न कम हो जाते हैं !
जब हम जीवन जीते है तो आपको दो बाते प्राप्त करनी होती है – सबसे पहले आपको यह देखना होता है कि हमने लोगों के साथ कितना प्रेम बांटा और कितना ज्ञान और विवेक हासिल किया, मृत्यु के उपरांत हमारे पास सिर्फ यह दो बाते रह जाती है|

प्रतिदिन आपको बैठ कर कुछ मिनटों के लिए ध्यान करना चाहिए और सारी अनावश्यक बातें जैसे लोग हमारे बारे मैं क्या सोचते हैं से मुक्त हो जाना चाहिए हमको यह अनुभव करना है कि परमात्मा सर्वव्यापी है| यदि वह सर्व व्यापी नहीं होता तो हम उसे भगवान का दर्जा नहीं देते | वह हर समय हर जगह हम सब मे होता है, और जब नेत्र बंद करके आप उसे देख लेते हैं तो वह ध्यान है | गुरु, भगवान और आत्मा एक ही हैं |

जब आप आश्रम मे आते हैं- तो यहाँ पर इतनी सारी चिंताएं छोड दे- उन्हें यहां से फिर से न ले जाए |
जब आप सेवा करते हैं तो आपकी सारी जरूरतों का ध्यान रखा जाता है | ज्ञान का प्रचार करना आपका काम है इसलिए जब आप ज्ञान का प्रचार करेंगे, तो आप जो भी चाहेंगे, उसे तो होना ही है |

अपनी पूरी आय को अपने स्वयं पर व्यय करने में कोई अर्थ नहीं है | आपको अपनी आय का २ से ३ प्रतिशत समाज सेवा, धर्म जाग्रति के लिए रखना चाहिए जिससे भ्रष्टाचार में कमी आ सके | आप सब लोगों को मिलकर लोगों को अपने देश के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए |

जब आपके मन में कोई प्रश्न उठे तो उसे पहले स्वयं से कई बार पूछें और यदि फिर भी उत्तर न मिले तो फिर ही उसे गुरु से पूछें | बाकि अन्य बातें आपको प्रारब्ध द्वारा प्राप्त होंगी और फिर सारी बातें अच्छी होती जाएगी | गान, ध्यान और ज्ञान – यह तीनों बातें जीवन में होना चाहिए |
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