प्रश्न: कोई वैराग्य को कैसे प्राप्त कर सकता है ?
श्री श्री रविशंकर - जब आप यह जान लेते हैं कि मृत्यु जीवन में अटल है और हर कोई की मृत्यु होनी है और पूरे कार्यक्रम का अंत होने वाला है तो फिर वैराग्य तुरंत ही आ जाती है।
प्रश्न: हम रोज के जीवन में आध्यात्म को कैसे सम्मिलित कर सकते हैं ?
श्री श्री रविशंकर -इसके लिए पहला कदम है कि यह सोचना बंद कर दें कि अध्यात्म रोजमर्रा के जीवन के लिए नहीं है। वह रोजमर्रा के जीवन से अलग नहीं है। इसलिए उसको रोजमर्रा के जीवन में सम्मिलित करने के लिए प्रयास नहीं करना पड़ता। आपका जीवन आध्यात्म से कभी अलग नहीं हो सकता, यह सिर्फ सजगता का विषय है।
प्रश्न: जब दिल कुछ कह रहा हो और मन कुछ और कह रहा हो तो क्या करना चाहिए।
श्री श्री रविशंकर - आप उन दोनों को समझौते के मंच पर ले आयें।
प्रश्न: जब एक ही भगवान है तो लोग लड़ते क्यों हैं ?
श्री श्री रविशंकर - मेरा भी वही प्रश्न है यदि हम अल्लाह और ईसामसीह का गान करें तो हमारी जीव्हा जल नहीं जायेगी। यहां हम आर्ट ऑफ़ लिविंग में अल्लाह, ईसामसीह, कृष्ण, और राम का गान करते हैं। हमें सब लोगों को साथ में लाना है। उन्हें आर्ट ऑफ़ लिविंग में ले आवें।
प्रश्न: यदि शिव हमारे भीतर हैं तो हम बुरे काम क्यों करते हैं ?
श्री श्री रविशंकर - शिव निद्रा में हैं। जब आप बुरे काम करते हैं तो शिवजी निद्रा में हैं। जब आपके शिवजी जागे हैं तो वह कहते हैं कि कोई बात नहीं आगे बढ़ो सब ठीक हो जायेगा। व शक्ति है, वह उत्साह और ऊर्जा आगे बढ़ते रहने के लिए वापस ले आते हैं।
प्रश्न: ज्ञान और भक्ति में क्या महत्वपूर्ण है ?
श्री श्री रविशंकर - वे एक दूसरे से समान्तर हैं। वह एक कुर्सी की तरह है यदि आप उसके एक पैर को खीचेंगे तो दूसरा भी आ जायेगा। इसलिए दोनों ही ज्ञान भक्ति देता है और भक्ति ज्ञान को देता है।
प्रश्न: जीवन के हर पहलू में व्यक्ति कैसे सफल हो सकता है ?
श्री श्री रविशंकर:-सफलता का प्रतीक क्या है ? वह मुस्कराहट है जो आपसे कोई ले नहीं सकता। वह जो भयपूर्ण है और मुस्कुराता नहीं है और हर कोई के साथ अपने आप को घर में महसूस नहीं करता वह सफल नहीं है। आप जितना उच्च पद या अधिकार की सीढ़ी पर चढ़ते हो फिर आप की मुस्कुराहट में कमी आ जाती है। हमारे देश में साम्यवाद ने कई अच्छी बातें दी हैं परन्तु मैं कहता हूँ कि साम्यवाद की नकारक विचारधारा से लोगों को उदासी मिली है, जिससे उनके आत्मविश्वास और भगवान के प्रति श्रद्धा में कमी आयी है। यह ठीक हो सकता है कि उनको भगवान पर विश्वास नहीं है परन्तु कम से कम उनमें आत्मविश्वास की कमी तो नहीं होना चाहिए।
© The Art of Living Foundation