२० नवम्बर २०११
प्रश्न: हमें कब दिमाग की और कब दिल की सुननी चाहिये ?
श्री श्री रविशंकर: व्यापार करते समय दिमाग की सुनें | जीवन यापन करते समय दिल की सुनें |
प्रश्न :बस्वन्ना (एक महान कन्नड़ कवि, जो कई सदी पूर्व में थे) ने कहा है, धर्म का शुरूआती बिंदु करुणा है’ | धर्म पर आपकी राय क्या है ?
श्री श्री रविशंकर: जो कुछ भी जीवन और मानवीय मूल्यों को उठाता है, वह धर्म है |
प्रश्न: जाति प्रथा के बारे में आपके विचार क्या हैं ?
श्री श्री रविशंकर: लोगों को जन्म के आधार पर वर्गीकृत करना गलत है | सभी मानव समान होते हैं |
प्रश्न: विश्वास बढ़ाने के लिये क्या करना चाहिये?
श्री श्री रविशंकर: इसके लिये प्रयास करने की आवश्यकता नहीं है | यह अपने आप आता है |
विश्वास तीन प्रकार का होते हैं :
१. स्वयं पर विश्वास
२. समाज पर विश्वास
३. सर्वोच्च शक्ति जो आप सब को नियंत्रित करती है |
यदि आप को इन तीनों में से किसी पर भी विश्वास हो तो आपका जीवन में विकास हो सकता है |
प्रश्न : गुरूजी आप हम सब से कहते हैं, आपनी सारी समस्यायें मुझे दे दीजिये | जब हम सिर्फ एक समस्या से निपटने में कठिनाई महसूस करते हैं, तो आप इतनी सारी समस्यायें कैसे संभाल लेते हैं ? श्रीश्री रविशंकर: आप अपनी सारी समस्यायें मुझे दे दीजिये | उनसे निपटने का मेरा अपना तरीका है |
प्रश्न: गुरूजी मेरी माँ कहती है कि एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिये, अन्यथा आपका अगला जन्म अच्छा नहीं होगा | क्या यह सही है ?
श्री श्री रविशंकर: नहीं ऐसा नहीं है | कुछ लोग एकादशी के दिन उपास करने का प्रण करते हैं | यह पूर्णतः व्यक्तिगत निर्णय होता है |
प्रश्न: गुरूजी काम के सिलसिले में मुझे कई बार होटलों और रेस्टोरेंट में खाना पड़ता है | क्या उस भोजन का मन पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने का कोई उपाय है ?
श्री श्री रविशंकर: भोजन का प्रभाव मन पर अधिक नहीं रहता | उसका प्रभाव कम से कम २४ घंटे और अधिक से अधिक ३ दिन तक होता है, फिर वह खत्म हो जाता है | इसके लिये चिंता करने की आवश्यकता नहीं है |
प्रश्न:गुरूजी मुझे कई बार राजनीतिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें मेरे खिलाफ कई लोग होते हैं | मैं उस समय केंद्रित और शांत कैसे रह सकता हूँ? जब मैं घर आकर क्रिया करता हूँ और आपका स्मरण करता हूँ, तो मुझे शांति मिलती है|
श्री श्री रविशंकर: यदि आपने कोर्स नहीं किया होता तो आप उस परिस्थिति का कैसे सामना करते ? इसके बारे में सोचें |
जीवन में दो विषय हैं | पहला जीवन आर्ट ऑफ़ लिविंग कोर्स के पहले और दूसरा आर्ट ऑफ़ लिविंग कोर्स के बाद | इसलिये धीरे धीरे केंद्रित और शांत होने के लिये आपका विकास होगा | यदि आप उस समय कुछ अस्थिरता भी महसूस करते हैं, तो भी चिंता न करें और अपना अभ्यास जारी रखें |
एक दिन आप अनुभव करेंगे कि कुछ भी होने पर आप खुश ही है | आपकी खुशी को कोई भी नहीं ले सकता |
इस प्रकार की सजगता आपको एक दिन प्राप्त होगी |
प्रश्न: गुरूजी हमने लोगों और परिस्थितियों को स्वीकार करना सीखा है लेकिन कितनी सीमा तक ?
श्री श्री रविशंकर : आप स्वीकार करें और आपके स्वीकार करने से मन को शान्ति मिलती है | जब मन शांत होता है तो आप कृत्य कर सकते हैं | जब आप स्वीकार नहीं करते फिर आप बैचैन और क्रोधित हो जाते हैं | आप जो भी कृत्य करेंगे उस पर पछतावा करेंगें | इसलिये स्वीकार करना अनिवार्य है |
प्रश्न: मुझे पिछले ४ वर्षों से एक मनोविकार है जिसे सिज़ोफ्रेनिया कहते हैं | मैं इसलिये उपचार ले रहा हूँ परन्तु इसमें कोई सुधार नहीं है | चिकित्सकों ने मुझे उपचार जारी रखने की सलाह दी है, परन्तु मुझे यह विश्वास नहीं है कि मैं उनके उपचार से ठीक हो पाऊँगा | मुझे इसके कारण काफी कठनाई हो रही है |
श्री श्री रविशंकर: अपना उपचार चालू रखें | जब आप एक बार उपचार चालू करते हैं तो उसे बंद नहीं करना चाहिये | दवाई का असर थोडा धीरे होता है | जब आप इन एलोपैथिक दवाई लेना शुरू करते हैं तो उसे बीच में बंद नहीं करना चाहिये |
धर्म, जाति प्रथा, विश्वास, एकादशी, केंद्रित होना, लोगों को स्वीकार करना
© The Art of Living Foundation
प्रश्न: हमें कब दिमाग की और कब दिल की सुननी चाहिये ?
श्री श्री रविशंकर: व्यापार करते समय दिमाग की सुनें | जीवन यापन करते समय दिल की सुनें |
प्रश्न :बस्वन्ना (एक महान कन्नड़ कवि, जो कई सदी पूर्व में थे) ने कहा है, धर्म का शुरूआती बिंदु करुणा है’ | धर्म पर आपकी राय क्या है ?
श्री श्री रविशंकर: जो कुछ भी जीवन और मानवीय मूल्यों को उठाता है, वह धर्म है |
प्रश्न: जाति प्रथा के बारे में आपके विचार क्या हैं ?
श्री श्री रविशंकर: लोगों को जन्म के आधार पर वर्गीकृत करना गलत है | सभी मानव समान होते हैं |
प्रश्न: विश्वास बढ़ाने के लिये क्या करना चाहिये?
श्री श्री रविशंकर: इसके लिये प्रयास करने की आवश्यकता नहीं है | यह अपने आप आता है |
विश्वास तीन प्रकार का होते हैं :
१. स्वयं पर विश्वास
२. समाज पर विश्वास
३. सर्वोच्च शक्ति जो आप सब को नियंत्रित करती है |
यदि आप को इन तीनों में से किसी पर भी विश्वास हो तो आपका जीवन में विकास हो सकता है |
प्रश्न : गुरूजी आप हम सब से कहते हैं, आपनी सारी समस्यायें मुझे दे दीजिये | जब हम सिर्फ एक समस्या से निपटने में कठिनाई महसूस करते हैं, तो आप इतनी सारी समस्यायें कैसे संभाल लेते हैं ? श्रीश्री रविशंकर: आप अपनी सारी समस्यायें मुझे दे दीजिये | उनसे निपटने का मेरा अपना तरीका है |
प्रश्न: गुरूजी मेरी माँ कहती है कि एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिये, अन्यथा आपका अगला जन्म अच्छा नहीं होगा | क्या यह सही है ?
श्री श्री रविशंकर: नहीं ऐसा नहीं है | कुछ लोग एकादशी के दिन उपास करने का प्रण करते हैं | यह पूर्णतः व्यक्तिगत निर्णय होता है |
प्रश्न: गुरूजी काम के सिलसिले में मुझे कई बार होटलों और रेस्टोरेंट में खाना पड़ता है | क्या उस भोजन का मन पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने का कोई उपाय है ?
श्री श्री रविशंकर: भोजन का प्रभाव मन पर अधिक नहीं रहता | उसका प्रभाव कम से कम २४ घंटे और अधिक से अधिक ३ दिन तक होता है, फिर वह खत्म हो जाता है | इसके लिये चिंता करने की आवश्यकता नहीं है |
प्रश्न:गुरूजी मुझे कई बार राजनीतिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें मेरे खिलाफ कई लोग होते हैं | मैं उस समय केंद्रित और शांत कैसे रह सकता हूँ? जब मैं घर आकर क्रिया करता हूँ और आपका स्मरण करता हूँ, तो मुझे शांति मिलती है|
श्री श्री रविशंकर: यदि आपने कोर्स नहीं किया होता तो आप उस परिस्थिति का कैसे सामना करते ? इसके बारे में सोचें |
जीवन में दो विषय हैं | पहला जीवन आर्ट ऑफ़ लिविंग कोर्स के पहले और दूसरा आर्ट ऑफ़ लिविंग कोर्स के बाद | इसलिये धीरे धीरे केंद्रित और शांत होने के लिये आपका विकास होगा | यदि आप उस समय कुछ अस्थिरता भी महसूस करते हैं, तो भी चिंता न करें और अपना अभ्यास जारी रखें |
एक दिन आप अनुभव करेंगे कि कुछ भी होने पर आप खुश ही है | आपकी खुशी को कोई भी नहीं ले सकता |
इस प्रकार की सजगता आपको एक दिन प्राप्त होगी |
प्रश्न: गुरूजी हमने लोगों और परिस्थितियों को स्वीकार करना सीखा है लेकिन कितनी सीमा तक ?
श्री श्री रविशंकर : आप स्वीकार करें और आपके स्वीकार करने से मन को शान्ति मिलती है | जब मन शांत होता है तो आप कृत्य कर सकते हैं | जब आप स्वीकार नहीं करते फिर आप बैचैन और क्रोधित हो जाते हैं | आप जो भी कृत्य करेंगे उस पर पछतावा करेंगें | इसलिये स्वीकार करना अनिवार्य है |
प्रश्न: मुझे पिछले ४ वर्षों से एक मनोविकार है जिसे सिज़ोफ्रेनिया कहते हैं | मैं इसलिये उपचार ले रहा हूँ परन्तु इसमें कोई सुधार नहीं है | चिकित्सकों ने मुझे उपचार जारी रखने की सलाह दी है, परन्तु मुझे यह विश्वास नहीं है कि मैं उनके उपचार से ठीक हो पाऊँगा | मुझे इसके कारण काफी कठनाई हो रही है |
श्री श्री रविशंकर: अपना उपचार चालू रखें | जब आप एक बार उपचार चालू करते हैं तो उसे बंद नहीं करना चाहिये | दवाई का असर थोडा धीरे होता है | जब आप इन एलोपैथिक दवाई लेना शुरू करते हैं तो उसे बीच में बंद नहीं करना चाहिये |
धर्म, जाति प्रथा, विश्वास, एकादशी, केंद्रित होना, लोगों को स्वीकार करना
© The Art of Living Foundation