सफलता के रहस्य

बुधवार, ६ अप्रैल २०११

प्रश्न: शत प्रतिशत प्रयास करने के उपरांत भी यदि कोई कार्य संपन्न न हो तो कोई व्यक्ति क्या करे?
श्री श्री रवि शंकर:
सफलता के लिए या कार्य को संपन्न होने के लिए पांच बातों की आवश्यकता होती है| सबसे पहले उस व्यक्ति का आशय जो उसे कर रहा है, फिर उन साधनों और चीजों की उपलब्धता जिससे वह कार्य होना है, तीसरी बात उस कार्य को करने का मनोभाव और उसे करने की इच्छा | फिर उसे करने का समय क्योंकि प्रत्येक कार्य को करने का एक निर्धारित समय होता है, और यदि उसे सही समय पर नहीं किया जाये तो वह व्यर्थ हो जाता है| यदि आप फरवरी में बीज बोयेंगे तो उसका कोई अर्थ नहीं है,फिर आप यह नहीं कह सकते कि मैने तो बीज को बोया परन्तु कुछ उगा नहीं |आप को बारिश के बाद अप्रैल तक इंतज़ार करना होगा और फिर यदि बीज को बोयेंगे तो सकारात्मक परिणाम पायेंगे | इसलिये समय सबसे महत्वपूर्ण होता है | जब हम इस आश्रम पर आये थे तब यह सारी भूमि अनुपजाऊ थी और इस पर एक भी पत्ती या वृक्ष नहीं था |आज यहाँ पर कितने सारे वृक्ष और पौधे लगे हुये है और यह सारे वृक्ष एक ही दिन में नहीं उग गये, इसमें बहुत सारे लोगो का प्रयास और परिश्रम के उपरांत ही ये वृक्ष यहाँ पर उग सके | इसलिये समय कैसे महत्वपूर्ण है और उसके बाद दैविक कृपा जरूरी है|दैविक कृपा के बिना सफलता संभव नहीं है, इसलिये आप सेवा, साधना और सत्संग को करे और फिर किये हुये प्रयासों का सफल परिणाम समय पर मिलेगा | फिर आपके द्वारा किये गये प्रयासो का परिणाम कभी भी व्यर्थ नहीं जायेंगे इससे आश्वस्त रहे, यदि अभी नहीं तो निश्चित ही उसके परिणाम बाद में मिल ही जायेंगे |

श्री श्री रवि शंकर : संपत्ति होने अर्थ सिर्फ धन या पैसा होना नहीं है| आपके पास धन का भण्डार, काफी जमीन जायजाद भी हो सकती है, परन्तु यदि आप का चेहरा तनावग्रस्त और दुखी लगे तो कोई भी आपको समृद्ध नहीं कह सकता |समृद्धि का अर्थ बैंको में बड़ी पूंजी जमा होना नहीं होता है|समृद्धि का तात्पर्य होता जीवन की विशालता को समझ कर उसका सम्मान करना | किसी व्यक्ति का आत्मविश्वास उसकी समृद्धि को दर्शाता है| संपत्ति को आपके लिए क्या करना होता है? आपके आत्मविश्वास को बढ़ाना परन्तु यदि संपत्ति ने आपको कमजोर,बीमार और आपके लिए द्वन्द को उत्पन्न किया है, तो फिर वह संपत्ति व्यर्थहीन है ! एक अन्य किस्म की संपत्ति ज्ञान,विवेक,स्वास्थ्य, आत्मविश्वास और वीरता होती है| यदि आप में आत्मविशवास हो तो किसी भी बात को या परिस्थिति को संभाल सकते है और यह भी संपत्ति है |

प्रश्न : चेतना की दृष्टा अवस्था क्या होती है? कोई व्यक्ति इस अवस्था पर कब पहुँचता है?
श्री श्री रवि शंकर:
यह चेतना की वह अवस्था है, जब आप को यह एहसास हो जाता है कि आपके प्रयासों से घटनायें नहीं हो रही है, और वे किसी सिद्धांत,और सृष्टि की किसी शक्ति के कारण संभव हो पा रही है | जब आप शारीरिक रूप से और अपनी बुद्धि क्षमता का शत प्रतिशत प्रयास कर लेते है तो फिर आपको अनुभव हो जाता है कि आप कुछ नहीं कर रहे होते है और घटनायें होती रहती है |
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