प्रेम के साथ प्रतिबद्धता भक्ति होती है !!!

मॉन्ट्रियल केंद्र कनाडा, २१ अप्रैल २०११.


प्रश्न : जब प्रियजनों की मृत्यु होती है तो क्या उनका पुनर्जन्म होता है? क्या हम उनको फिर से पहचान सकते है? पालकों के मामले मैं क्या हम उनसे फिर से सम्बंधित हो सकते है ?
श्री श्री रवि शंकर:
सब कुछ संभव है ! यदि उनका पुनर्जनम अभी होता है तो आप उन्हें जान सकते है और आप इसे महसूस कर सकते है ! क्या आप ने कभी यह महसूस किया कि जब आप कभी कही पर जाते है और कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से अचानक घनिष्ट हो जाता है ? आपकी अंतरात्मा आप को इसका अनुभव कराती है | सब कुछ संभव है | किसी समय मे हम सब एक दूसरे से सम्बंधित होते है | अतीत मे हम सब आपस मैं सम्बंधित होते हैं; अभी भी हम आपस मे सम्बंधित है | चाहे हम इसे समझे या ना समझे फिर भी हम आपस मे सम्बंधित है |



प्रश्न : खुशी क्या है ?
श्री श्री रवि शंकर :
जब आप कहते है, मुझे कुछ नहीं चाहिये; वह खुशी है | जब आप खुश होते है और आप से यह प्रश्न किया जाये ‘क्या आप को कुछ चाहिये?’ फिर आप का उत्तर होता है नहीं “मुझे कुछ नहीं चाहिये”|



प्रश्न :प्रिय गुरूजी मैं अपने आप पर बहुत संशय करता हूँ , मैं अपने कौशल, योग्यता और निर्णयों पर संशय करता हूँ | अपने आप पर संशय करने से कैसे निपटा जाये ?
श्री श्री रवि शंकर :
कोई व्यक्ति अपने आप पर संशय करता है तो उससे कैसे निपटा जाये? सबसे पहले संशय को समझे; संशय हर समय किसी अच्छी बात के लिये होता है | जब आप से कोई कहता है, “मैं तुम से प्रेम करता हूँ”, तो आप उनसे तुरंत प्रश्न करते है “सचमुच?” | और जब आप से कोई कहता है की “मैं तुम से घृणा करता हूँ” तब आप यह प्रश्न कभी नहीं करेंगे “सचमुच?” | इसीलिये संशय हर समय किसी अच्छी बात के लिये ही होता है | आप अपनी योग्यता पर संशय करते हैं; परन्तु आप अपनी कमजोरी पर कभी संशय नहीं करते | आप खुशी पर संशय करते हैं परन्तु दुःख पर कभी संशय नहीं करते | ठीक है ?| कोई भी अपनी उदासी या निराशा पर संशय नहीं करता, परन्तु यह कहता है कि मुझे पूरी तरह से यकीन नहीं है कि मैं खुश हूँ या नहीं| जब आप यह समझ जाते है की संशय हर समय किसी सकारात्मक बात के लिये होता है तो फिर आप का मन एक विशेष स्थर पर चला जाता है |

संशय का सरल अर्थ है; प्राण उर्जा की कमी इसीलिये अधिक प्राणायाम करें और फिर आप पायेंगे कि आप उस स्थिति से निकल गए हैं |


प्रश्न : प्रिय गुरुजी भक्त कौन होता है? भक्त को क्या करना होता है? कोई कैसे भक्त बन सकता है?
श्री श्री रवि शंकर:
भक्त बनने के लिए कोई गहन प्रयास न करें; प्रेम के साथ प्रतिबद्धता भक्ति होती है | प्रेम के साथ विवेक भी भक्ति है |

विवेक के बिना प्रेम नकारात्मकता मे परिवर्तित हो सकता है | आज प्रेम करे; कल घृणा करें | आज प्रेम करे; कल ईर्ष्या करें; आज प्रेम करें संबंधो के प्रति तृष्णा को कल रखें |
प्रेम के साथ विवेक परमानन्द होता है; और वही भक्ति है | भक्ति एक बहुत मजबूत बंधन है, यह एक अपनेपन का एहसास है | हर व्यक्ति इस गुण के साथ जन्म लेता है | यह फिर से शिशु बन जाने के सामान है |


प्रश्न : प्रिय गुरु जी मैं धन्य हूँ कि मैं आपके साथ हूँ और मेरे स्तन का कर्क रोग भी आरोग्य हो रहा है जिसका निदान पिछले वर्ष हुआ था| क्या आप मुझे और हम सबको बता सकते हैं कि क्या रोग से कुछ सीखा जा सकता है ?
श्री श्री रवि शंकर:
आपको बीमारी से कुछ भी सिखने की आवश्यकता नहीं है|आगे बढते रहे | यह जीवन का हिस्सा है | शरीर कभी कभी बीमार हो जाता है | यह कई कारणों से हो सकता है | यह कर्मो, पूर्व के संस्कार और पारिवारिक जीन के कारण हो सकता है|यह प्रकृति के नियमों का उल्लंघन करने से,जब आवश्यक न हो तो भी अधिक भोजन ग्रहण करने से, और यह वर्तमान की प्रौद्योगिकी के कारण भी हो सकता है जो इतनी अधिक विकिरण उत्पन्न करती है | इसलिये इस पर ध्यान देने की आवश्यता नहीं है कि इससे हमें क्या सीखना है |

सिर्फ एक विश्वाश, एक ज्ञान और एक कृतज्ञता के साथ आगे बढते रहे |आपको खुश रहना चाहिये कि आप इस गृह पर है, और जब तक आप सब यहां पर है, आप सब को अच्छा ही करना है क्योंकि निश्चित ही आप सब को एक दिन यहां से जाना है |


प्रश्न : मुझे दो सिद्धांतों का परिचय करवाया गया है जो मुझे भ्रमित करता है; अ:मैं कर्ता नहीं हूँ, या ब: मुझे हर छोटी छोटी बात की जिम्मेदारी लेनी चाहिये जबकि उस पर मेरा नियंत्रण बहुत ही कम है, कृपया इसे समझाये?
श्री श्री रवि शंकर :
जीवन इन दोनों बातों का संतुलन है| जिम्मेदारी लेना और फिर उसे समर्पित कर देना | और यह एक उत्तम संतुलन है | वर्तमान और भविष्य के लिए जिम्मेदारी लीजिये और अतीत के लिये जान लीजिये कि ऐसा ही होना था और आगे बढ़ते चले | परन्तु आप अक्सर इसका विपरीत करते है|आप सोचते है कि अतीत आपकी स्वतंत्र इच्छा थी और उसका पछतावा करते है और भविष्य को भाग्य समझकर उसके लिये कुछ भी नहीं करते है | क्या आपको मालूम है कि ज्ञानी लोग क्या करते है? वे भविष्य को स्वतंत्र इच्छा, और अतीत को भाग्य मानते है और वर्तमान मे खुश रहते है| इसलिये आप अतीत का पछतावा न करे और आपको पता है कि आपको भविष्य मे क्या करना है और उसके लिये सक्रीय हो जाये |

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