१२, अप्रैल २०११
एक ऐसी दुनिया की कल्पना करें जिसमे हर कोई व्यक्ति जीवन मे असुरक्षित, उदास दुखी और अकेला महसूस कर रहा है ! वह कैसी संगत होगी ? फिर हम किस किस्म की दुनिया मे जी रहे होंगे ? वह किस किस्म की व्यवस्था होगी ? क्या आप ऐसे व्यवस्था में विकास कर सकते हैं ? सबसे पहले आपको विश्वास निर्मित करना होगा| प्रबंधन का यह रहस्य है, जिसकी शुरूआत आपके विश्वास से होती है | जब आप किसी कार्य की शुरुवात इस मनोभाव से करते है कि “मुझे आप पर विश्वास नहीं है, मुझे आप पर विश्वास नहीं है, मुझे आप पर विश्वास नहीं है”, फिर वही बात आप के व्यतित्व पर झलकती है| हमें यह नहीं पसंद आता है कि लोग हम पर शक करें फिर हम हमारे आस पास के लोगों पर शक क्यों करते है, क्या आप मेरी बात समझ रहे है?
बैंक आपको ऋण देती है, और आप उसका पूरा श्रेय ले लेते है ! जैसे जब कोई दीपक प्रज्वलित होता है तो साथ मे बाती और तेल भी जलते हैं परन्तु सारा श्रेय दीपक को ही मिल जाता है, ठीक है ? कोई भी सफलता या कोई विशाल सफल घटना, कई लोगों के सामूहिक प्रयासों का फल होती है | और आप पायेंगें कि सामूहिक प्रयास में एक ही प्रेरणा, एक ही तरंग, एक ही उर्जा, एक ही दिव्यता आप को सफलता और विकास मे सहयोग और समर्थन प्रदान करती है | जीवन के इसी अंश को आध्यात्म कहते है | आध्यात्म के आभाव मे कोई व्यक्ति हिंसा, निराशा, और आत्महत्या करने की प्रवृतियों की ओर चला जाता है|
क्या आप मुझे सुन रहे है? क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि जब आप कुछ सुन रहे होते है तो उस समय आप अपने मन से भी बात कर रहे होते है – जैसे हाँ, नहीं, यह कैसे हो सकता है ? जीवन मे हम हमारे भीतर की सात परतों से बने होते है – शरीर, श्वास और मन – यह वह परत होती है, जिससे आप महसूस या अनुभव करते हैं - बुद्धि - जिससे आप सहमति या असहमति व्यक्त करते है, आपके भीतर की राय/मत या निर्णय करने का स्वरुप - स्मृति - वह जो अक्सर नकारात्मकता की ओर अग्रसर होती है यदि किसी को १० सकारक बातें कही जाये ओर सिर्फ एक नकारक बात कही जाये तो समृति उस एक नकारक बात को पकड़ लेती है - अहंकार –यह वह है जिससे आप लोगो से दूर होते है ओर कुछ करने के लिए भी प्रेरित होते है - फिर जीवन मे हर परिबर्तन का वह केंद्र बिंदु जो स्वयं कभी भी नहीं बदलता है - यह जीवन की सात परत है, हर परत का थोड़ा सा ज्ञान जीवन मे परिवर्तन या बदलाव लाता है| “और यही जीवन जीने की कला है”|
नेतृत्व की शुरूआत उदाहरण दिखाकर की जाती है, लोग मुझसे अक्सर पूछते है कि मैं इतनी यात्राये करने के वावजूद कैसे थकता नहीं हूँ | पिछले कई दिनों मे, मैं सुनामी प्रभावित क्षेत्रो का प्रवास और दौरा कर रहा था| मैंने सोचा कि चार दिन न सोने के कारण मैं चिडचिडाहट महसूस करूँगा’ परन्तु मुझे आश्चर्य हुआ कि ऐसा कुछ नहीं हुआ! जब मुझे लोग पूछते है कि आप इतनी सारी चीजे करने के वावजूद कैसे थकते नहीं हैं, मैं उनको कहता हूँ, कि मैं ऐसा कुछ नहीं करता जो मेरा स्वभाव नहीं है |
उदाहरण दिखाते हुए जीना और पूरी तरह से निष्पक्ष और ईमानदार होना नेतृत्व का सबसे पहला गुण है | और फिर यदि आपने कोई गलती की है, तो भी ठीक है परन्तु जब आप उस गलती को ढकने की कोशिश करते है तो फिर आप गलतियों की श्रंखला बना लेते है | एक गलती के कारण कई गलतियाँ करते चले जाते है | इससे आपका संपूर्ण तंत्र, कार्यशैली और वातावरण कमजोर हो जाता है | इसीलिए किसी व्यक्ति मे नेतृत्व के लिए निष्पक्षता, ईमानदारी और सच्चाई सम्मलित होनी चाहिए|
अक्सर हम लोगो को उनकी गलतियाँ बताते हैं, यह इस लिए है क्योंकि उनकी गलतियाँ हमें दुःख देती हैं, हम कहते हैं, “आप ऐसा क्यों कर रहे आपको ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे मुझे दुःख होता है” | हम यही अक्सर सुनते हैं | जब हम इस मनोभाव से किसी की गलती सुधारने की कोशिश करते हैं, तो वह कभी ठीक नहीं होती है | इसीलिए आपको क्या करने की आवश्यकता है? आपको उनसे कहना चाहिये कि आप यह जो भी कर रहे हैं, उसे आप को नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह इसलिये नहीं, कि इससे मुझे दुःख होता है, परन्तु अंत मे इससे आपको ही दुःख मिलने वाला है और इसलिए बहतर होगा कि आप बदल जाये| इससे उनमे परिवर्तन आ जाता है |
आपको अपने जीवन मे तीन बातों पर ध्यान देना चाहिये | सबसे पहले आपको जीवन को समय और आकाश तत्व या अंतरिक्ष के सन्दर्भ मे देखना चाहिये| यह श्रृष्टि कितनी विशाल है ? यह ब्रम्हांड कितना विशाल है ? अरबो साल बीत गये और अरबो साल आने वाले हैं | इस विशाल सन्दर्भ मे आपका क्या स्थान है ? इस समय आप इस गृह के ६ अरब लोगों के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं ! क्या आप उनके साथ अपनापन महसूस करते हैं? क्या आप उन सब के साथ सहजता का अनुभव करते हैं ? जब आप मे अपनेपन की भावना होती है, तो आप यह जान लें कि आप ने हर तरफ अपने ग्राहक बना लिए हैं| वास्तव मे वे आपका परिवार, या विस्तृत परिवार बन जाते हैं | इसीलिए किसी भी संस्था मे अपनेपन की भावना सबसे महत्पूर्ण होती है ! इसीलिए किसी भी संस्था, गैर सरकारी संस्था, सामाजिक संस्था मे नेता को अपनेपन और जिम्मेदारी की भावना को निर्मित करना होता है !