मेरे लिए पूरा विश्व एक परिवार है

प्रश्न: मुझे लोगों से बात करने में बढ़ी हिचकिचाहट होती है। इसका क्या इलाज है?
श्री श्री रवि शंकर: जब तुम में अपनेपन की भावना पनपती है तो हिचकिचाहट सहज ही दूर हो जाती है।

प्रश्न: अपनेपन और आत्मीयता का भाव जगाने का समसे तेज़ तरीका क्या है?
श्री श्री रवि शंकर: जब तुम तनाव से मुक्त होते हो तो पाते हो तुम में आत्मीयता और अपनेपन की भावना है ही। यही होता है जब लोग आर्ट ऑफ़ लिविंग का कोर्स करते हैं। यह बहुत आसानी से ही हो जाता है।

प्रश्न: जहाँ हमे पता है कि योगा व्यक्तित्व के निखार के लिए महत्वपूर्ण है, क्या स्कूल में योगा एक आवश्यक विषय होना चाहिए?
श्री श्री रवि शंकर: हाँ, ज़रूर। बहुत से स्कूलों में योगा एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया गया है।

प्रश्न: क्या आप किसी धर्म को मानते हैं?
श्री श्री रवि शंकर: मैं जन्म से हिन्दू हूँ और मैं हिन्दू धर्म को मानता हूँ। पर जो साधना हम सिखाते हैं वो बहुत धर्म निरपेक्ष है। किसी भी धर्म के लोग इसका अनुसरण कर सकते हैं।

प्रश्न: विश्व एक परिवार - वासुदेव कुटुम्भकंम आपके लिए क्या है? इस परिवार को सुख देने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
श्री श्री रवि शंकर: मेरे लिए पूरा विश्व एक परिवार है। मैं जहाँ भी जाता हूँ, घर जैसा ही अनुभव करता हूँ। मुझे कभी ऐसा नहीं लगा मेरी नहीं है। इसके साथ साथ मैं परिवार की परंपरा के हक में भी हूँ, यह समाज का आधार है।

प्रश्न: मैं हमेशा कैसे खुश रह सकता हूँ?
श्री श्री रवि शंकर: सबसे पहले अपने मन से किसी भी वस्तु की हमेशा की पकड़ की दौड़ से हटाओ। फ़िर तुम पाओगे तुम खुश ही हो। और अगर कभी कुछ दुख के पल आते भी हैं तो उन्हे भी स्वीकार करो।

प्रश्न: आपका विश्व में शांति लाने का स्वपन बहुत बड़ा है। अगर हम जीवन में ऐसे लोगों से मिले जो किसी धारणा को लेकर बहुत ही कट्टर हैं तो उनसे कैसे निपटें?
श्री श्री रवि शंकर: ऐसे में हमें उन्हे धैर्य और संयम के साथ जागरूक करना है। यह आसान नहीं है। पर समय के साथ ऐसा होगा।

प्रश्न: किसी एक विशेष वर्ग के लिए क्या कोई विशेष अभ्यास हैं?
श्री श्री रवि शंकर: जो प्रोग्राम हम सिखाते हैं वो समाज के किसी भी वर्ग में तनाव कम करने के लिए बहुत लाभदायक हैं - चाहे आप बुढ़े हों या जवान। तनाव किसी भी क्षेत्र में आम बात है और यह अभ्यास अवश्य ही किसी को भी तनाव से बाहर लाने में बहुत उपयोगी है। आज हमें सबसे ज़रुरी क्या चाहिए समाज में - हिंसा मुक्त समाज, बीमारी रहित शरीर, भ्रम रहित बुद्धि और किसी भी सदमें से परे स्मृति। हम अपने में बहुत से संकोच बनाए रखते हैं। अगर आप को दस तारीफ़ मिली हो और एक अपमान वाली घटना हुई हो तो आपको क्या याद रहता है? स्मृति की इस प्रवृत्ति को समझना ज़रुरी है। दुख रहित आत्मा हर किसी का जन्म सिद्ध अधिकार है और यह अभ्यास आप में यह सभ ही लाते हैं।

प्रश्न: आज की दुनिया में लोगों को अपना अस्तित्व बनाए रखने के साधन खोजने की आवश्यकता पड़ती है। इससे कैसे निबटा जाए।
श्री श्री रवि शंकर: अस्तित्व बनाए रखने की कोशिश स्वाभाविक ही है। पर अगर आत्मविश्वास और दृष्टि का सही विकास हो तो ऐसा करने में कोई चेष्टा ही नहीं करनी पड़ती, और बिना किसी भय के अस्तित्व बना रहता है। इन सबके बारे में मैने मौन की गूँज और सच्चे साधक के लिए अंतरंग वार्ता पुस्तकों मे बताया है। अगर आप में कोई जिज्ञासा उठे तो आप यह पुस्तके पढ़ सकते हैं ।

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