जर्मन आश्रम
अगस्त २७, २०१०
प्रश्न: प्रिय गुरुजी, ॐ नम: शिवाय’भजन इतना तीव्र है और इसका इतना महत्व है और आज सुबह आपने जिन कठिन परिस्थितियों के बारे में बताया था, उनमें यह कैसे लाभदायक होता है? पिछले साल हमें याद है कि हमने कुछ नये भजन गाये थे और आपने हमें इस भजन को भी गाने को कहा था।
श्री श्री रवि शंकर : हाँ, ॐ नम: शिवाय एक शक्तिशाली मंत्र है। मंत्र के शब्दध्वनि से जो ऊर्जा उत्पन्न होती है, वह हमारी चेतना के विकास में सहायक होती है। यह गहरे व सूक्ष्म स्तर पर लाभदायक है। ॐ नम: शिवाय में निहित पाँच स्वर ’न’, ’म’, ’शि’, ’वा’ और ’य’ पाँच तत्व- पृथवी, जल, अग्नि, वायु व आकाश के प्रतीक हैं, और ’ॐ’ सम्पूर्ण ब्रहमांड की ध्वनि है। ॐ प्राण शक्ति का प्रतीक, ॐ मतलब शान्ति व प्रेम। और जब पाँचों तत्वों में लय औत शांति होती है तो केवल परम आनन्द और परम सुख है!
ॐ नम: शिवाय मंत्र ब्रह्माँड के सूक्ष्म स्तरों को ऊर्जित करने वाला और उस उच्चत्तम सर्वलौकिक चेतना का सूचक है।
प्रश्न: कभी कभी मुझे लगता है कि इतने करोड़ों लोगों व अन्य जीव जन्तुओं के बीच, इस जगत में मेरे अस्तित्व का कोई महत्व नहीं है। फिर मेरे जीने का क्या उद्देश्य है? कई बार आत्महत्या के विचार मन में उठते हैं।
श्री श्री रविशंकर: तुम आत्महत्या के बारे में सोच रहे हो? कभी नहीं। यह कृत बुद्धिहीनता का है। आत्महत्या करना यह कहने समान है कि मुझे ठंड लग रही है और इसलिए मैं कोट उतार रहा हूँ। यह बात कहने समान है कि बहुत गरमी लग रही है और इसलिये पाँच क्म्बल ओढ़ने है। कठिनाइयाँ तो आती रहती हैं जीवन में पर तुम उन कठिनाइयों से कहीं बढ़कर हो। याद रखो जीवित रहने के लिये सदा पर्याप्त साधन होंगे, तुम्हरी कोई रक्षा कर रहा है। पूरी सृष्टि तुम्हरी देख भाल कर रही है, तुम्हें आत्महत्या करने का कोई अधिकार नहीं है।
हमारा शरीर सृष्टि की सम्पत्ति है और वही तुम्हारे शरीर की भी देख भाल करेगी। तुम्हारी आत्मा परमात्मा की देन है, वही दिव्य शक्ति तुम्हारी आत्मा की देख रेख भी करेगी। आत्म विश्वास रखो और आगे बढ़ो। कठिनाइयों का मुकाबला करते हुए आगे बढ़ो। किस पर कष्ट नहीं आते? किस पर मुसीबतें नहीं पड़ी भूतकाल में? हर एक के जीवन में कोई ना कोई कठिनाई आयी ही है।
बुद्धिमान लोग मुस्करा कर उसमें से निकल जाते हैं, पर बेवकूफ़ लोग दुखी रहते हैं और दूसरों को भी दुखी करते हैं। यदि कभी ऐसी भावना उठे मन में, तो सुदर्शन क्रिया करो और एडवान्स कोर्स में भी बैठो, ठीक है, चिंता ना करो, तुम्हारा सब कुछ ठीक होगा!
प्रश्न : मेरे अपने मन में बातें होती रहती हैं, मैं इनसे कैसे निपटूँ?
श्री श्री रवि शंकर : चलो, आखिर अब तुम्हें इस बात का बोध तो हुआ! यह सब तो बहुत पहले से चल रहा था, पर तुमने अब पहला कदम ले लिया है - इसके प्रति सजगता। इसीलिये यहाँ हमारे कोर्स में केवल ज्ञान ही नहीं है, गान भी है।
इन प्रक्रियाओं में जो भी सिखाया जा रहा है, इन्हें करते रहने से मन शान्त होता चलेगा। इस एडवान्स कोर्स में तुम मन को शांत ही कर रहे हो। शुरु शुरु में कई विचार आते जाते रहेंगे। यह ऐसे ही है जैसे जब हम बहुत समय के बाद किसी कमरे की धूल निकाल कर साफ़ करते हैं तो पहले काफ़ी धूल निकलती है और जब बार बार सफ़ाई करते हैं तो धीरे धीरे कमरा साफ़ हो जाता है। वैसे ही मन की सफ़ाई के लिये कई एडवान्स कोर्स की जरूरत है। आप में से जिन्होंने दो, तीन, चार बार यह कोर्स किया है, आपने ध्यान दिया होगा कि अब मन शीघ्र ही शान्त हो जाता है।
शेष अंश अगली पोस्ट में...
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