आतंरिक शांति का उत्सव मनाना ही शिवरात्रि है!


बुधवार, २ मार्च, २०११
आज महाशिवरात्रि है और आर्ट ऑफ लिविंग की सम्पूर्ण वेब टीम आप सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें देती है।

शिवरात्रि का महत्व:

शिवरात्रि का अर्थ है, शिवजी की रात्रि और यह भगवान शिवजी के सम्मान में मनायी जाती है।
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का शिव ध्यानस्थ स्वरुप हैं | सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सिर्फ शिव ही व्याप्त हैं | यह ब्रह्माण्ड के प्रत्येक अणु में व्याप्त हैं | इनका कोई आकार या रूप नहीं हैं परन्तु यह सभी आकार या रूप में मौजूद हैं और करुणा से परिपूर्ण हैं | लिंग का अर्थ चिन्ह होता हैं और इस तरह इसका प्रयोग स्त्रीलिंग और पुल्लिंग के रूप में होने लगा | सम्पूर्ण चेतना की पहचान लिंग के रूप में होती है| तमिल भाषा में एक कहावत हैं “अंबे शिवन , शिवन अंबे” जिसका अर्थ है शिव प्रेम हैं और प्रेम ही शिव है,सम्पूर्ण सृष्टि की आत्मा को ईश या शिव कहते हैं |

श्रद्धालु इस दिन रजस और तमस को संतुलन में लाने के लिए और सत्व (वह मौलिक गुण जिससे कृत्य सफल होते हैं) में बढ़ोत्तरी करने के लिए उपवास करते हैं | ॐ नमः शिवाय मंत्रोचारण की गूँज निरंतर होती रहती हैं| मंत्र उच्चारण वातावरण, मन और शरीर में पंच महाबूतों का संतुलन बनाता है।
 इस शुभ उर्जा को पृथ्वी पर लाकर हमारे स्वयं को और समृद्ध बनाने के लिए पारंपरिक अनुष्ठान किये जाते हैं,परन्तु भक्ति भाव सबसे महत्वपूर्ण है | पर्यावरण और मन के पांच तत्वों में सामंजस्य लाने के लिए ॐ नमः शिवाय का मंत्रोचारण किया जाता है|

सम्पूर्ण सृष्टि शिव का नृत्य है, सारी सृष्टि चेतना सिर्फ एक चेतना। उस एक बीज, एक चेतना के नृत्य से
सारे विश्व में लाखो हजारों प्रजातियाँ प्रकट हुई हैं| इसलिए यह असीमित सृष्टि शिव का नृत्य है – “शिव तांडव”;

(श्री श्री ने इस सुन्दर नृत्य की व्याख्या की थी - हम उसे किसी अन्य अंक में प्रकाशित करेंगे)|

वह चेतना जो परमानन्द, मासूम, सर्वव्यापी है और वैराग्य प्रदान करती है, वह शिव है| सारा विश्व जिस भोलेभाव और बुद्धिमत्ता की शुभ लय से चलता है वह शिव है| वे उर्जा के स्थिर और अनंत स्त्रोत्र हैं, वे स्वयं की अनंत अवस्था हैं, शिव सृष्टि के हर कण में समाएं हैं।

जैसे जल में स्पंज, रसगुल्ले में चाशनी, जब मन और शरीर शिव तत्व में तल्लीन होते है, तो छोटी छोटी इच्छाये बिना किसी प्रयास के पूर्ण हो जाती हैं, इसलिए व्यक्ति को बड़ी इच्छा रखनी चाहिए |

एक बार किसी ने प्रश्न किया शिवरात्रि ही क्यों? शिव दिन क्यों नहीं ?

रात्रि का अर्थ वह जो आपको अपनी गोद में लेकर सुख और विश्राम प्रदान करे | रात्रि हर बार सुखदायक होती है, सभी गतिविधियां ठहर जाती हैं, सब कुछ स्थिर और शांतिपूर्ण हो जाता है, पर्यावरण शांत हो जाता है, शरीर
थकान के कारण निद्रा में चला जाता है | शिवरात्रि गहन विश्राम की अवस्था है | जब मन, बुद्धि और अहंकार दिव्यता की गोद में विश्राम करते हैं तो वह वास्तविक विश्राम है| यह दिन शरीर व मन की कार्य प्रणाली को विश्राम देने का उत्सव है।

वास्तव में रात्रि का एक और अर्थ भी है – वह जो तीन प्रकार की समस्या से विश्राम प्रदान करे वह रात्रि है | यह तीन बातें क्या हैं? शान्ति:, शान्ति:, शान्ति:।शरीर, मन और आत्मा की शांति, आध्यात्मिक, अधिभौतिक अदिदैविक | तीन प्रकार की शान्ति की आवश्यकता हैं, पहली भौतिक सुख, जब आपके आस पास गडबड़ी हो तो आप शान्ति से बैठे नहीं रह सकते | आपको आपके वातावरण, शरीर और मन में शान्ति चाहिये | तीसरी बात हैं आत्मा की शांति | आपके वातावरण में शांति हो सकती है, आप स्वास्थ्य शरीर का और कुछ हद तक मन की शान्ति का भी आनंद ले सकते है लेकिन यदि आत्मा बैचैन हैं तो कुछ भी सुख दायक नहीं लगता | इसलिए वह शान्ति भी आवश्यक है | इसलिए तीनों प्रकार की शान्ति की मौजूदगी से ही सम्पूर्ण शान्ति प्राप्त हो सकती है| एक के बिना अन्य अधूरे हैं|

art of living TV
© The Art of Living Foundation For Global Spirituality