बैंगलुरु, ८ मार्च २०११
प्रश्न: कृपया अर्धनारीश्वर की संकल्पना प्रतीक पर व्याख्या करे?
श्री श्री रविशंकर: सभी मे पुरुष और महिला के genes होते है |आप अपने माता और पिता दोनों से बने है | आप आधे माता और आधे पिता से बने है | दिव्यता मे महिला और पुरुष तत्व दोनो हैं | इसे बहुत पहले समझ लिया गया था और अर्धनारीश्वर के रूप मे प्रदर्शित किया गया |भगवान सिर्फ पुरुष या सिर्फ महिला नहीं है – वह अर्धनारीश्वर है | सृष्टि में पुरुष और महिला दोनो तत्व हैं।
देवी दुर्गा शेर पर सवारी करती है:दुर्गा माँ है, जो कितनी सौम्य और करुणामयी है और फिर भी वे शेर पर सवारी करती है , जो कितना क्रूर है| यह कितना विरोधाभास है ! विरोधाभास मूल्य एक दुसरे के पूरक हैं और प्राचीन लोगो को इसकी पहचान थी| वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अगर एक भी जानवर लुप्त हो जाए तो सारी सृष्टि टिक नहीं सकती। प्रत्येक जानवर पृथ्वी पर तरंग दैर्ध्य के अनुरूप जैव उर्जा को लाता है | शेर दुर्गा देवी के स्पंधन को धरा पर लाता है|
देवी सरस्वती के अनेक हाथ दर्शाये जाते है! एक हाथ पर जप माला है जो ध्यान को दर्शाता है, उनके दूसरे हाथ पर पुस्तक है,जो बौद्धिक ज्ञान को दर्शाता है और एक हाथ मे उन्हें वीणा को बजाते हुये दर्शाया जाता है | इसलिये जब बौद्धिक ज्ञान, संगीत और ध्यान साथ मे होते है तो ज्ञान का उदय होता है | लाखो हजार वर्ष पूर्व भी यह ज्ञान मौजूद था | देवी सरस्वती एक पत्थर पर विराजमान हैं, जिसका अर्थ है जब आप ज्ञान को प्राप्त कर लेते है तो वह आप मे गहन रूप से बस जाता है | देवी लक्ष्मी कमल पर विराजमान हैं, जिसका अर्थ है लक्ष्मी चंचल है। धन अस्थिर होते हुये गतिशील होता है और उसे गतिशील होना भी चाहिए|
प्रश्न: क्या महिला के लिये विवाह करना महवपूर्ण है ? क्या यह ठीक नहीं होगा कि भगवान ही उसकी देखभाल करे? क्या वह बिना माँ बने भी पूर्ण है ?
श्री श्री रविशंकर: आप सारे जगत की माँ होने का अनुभव कर सकती है, माँ पन का भाव हर व्यक्ति का प्राकृतिक स्वभाव है, तभी तो करुणा, प्रेम और चाहत है।
उसे विवाह करना चाहिए या नहीं यह उसका व्यक्तिगत निर्णय है | खुश रहना सबसे महत्वपूर्ण है | यह मेरा मत है | ऐसे कितने है जो अविवाहित है और खुश है, और ऐसे कितने है जो विवाहित हैं परन्तु खुश नहीं हैं और इसके विपरीत भी हैं| चुनाव आपका है आशीर्वाद मेरा!
प्रश्न: मैं एक महिला के रूप मे क्या कर सकती हूँ जब घर के बड़े बुजुर्ग ही परम्पराओ और पारंपरिक मूल्यों को भूल गए हैं?
श्री श्री रविशंकर: आप जो कुछ भी सीखना चाहते हैं उसे इंटरनेट पर सीख सकते हैं| यह कितना अद्भुत युग है, एक लैपटोप पर गूगल में खोज करने से पृथ्वी पर मौजूद कोई भी जानकारी आसानी से उपलब्ध हो जाती है! सारी सूचना उंगलियों पर उपलब्ध हो जाता है | मैं कहा करता था कि ज्ञान उंगलियों पर ही उपलब्ध हो जायेगा और जो मुझे सुनते थे उन्हें भी नहीं पता था कि मैं ऐसा क्यों कहता हूँ | सारी जानकारी इससे उपलब्ध हो जाता है| मैं उसे ज्ञान तो नहीं कहूँगा,पर जानकारी।
प्रश्न: क्या कभी पुरुष दिवस भी होगा?
श्री श्री रविशंकर: (मुस्कुराते हुए) उसके लिए भी देवी माँ (स्त्री जाति) से प्रार्थना करनी होगी!
राक्षस और देवता भी उन से वरदान मांगते थे | कोई मज़ाक करते हुए बता रहा था:कि एक बार एक आदमी से किसी ने पूंछा इस घर का मालिक कौन है, उस आदमी ने कहा अपनी पत्नी से पूँछ कर बताएगा!
प्रश्न: किसी भी लक्ष को प्राप्त करने के लिए किसी मानव मे कौन से ८ महत्वपूर्ण गुण होने चाहिए?
श्री श्री रविशंकर: उस संख्या को सिर्फ ८ पर ही क्यों बाँध कर रखना है? आप मुझसे ८ की सूची चाहते है या उस ८ तक का विस्तार चाहते है | इसके बारे मे सोचते हैं।
सबसे पहले तो लक्ष को तय करे |मन इतना चंचल होता है, इसलिए लक्ष को तय करना सबसे महत्वपूर्ण है | फिर आपको समय सीमा निर्धारित करनी पड़ती है | फिर उसके अनुकूल और प्रतिकूल परिणामों का अनुमान लगाना और परिवर्तन के अनुरूप ढालने की
आपकी योग्यता बनानी होती है | लक्षो की पूर्ती करने के लिए साधनों को जुटाना सबसे महत्वपूर्ण होता है|
प्रश्न: क्या पुरुषों और महिलायों के आध्यात्मिक पथ भिन्न है ?
श्री श्री रविशंकर: नहीं। आध्यात्म महिला और पुरुष दोनों के लिए समान है |
इतिहास मे कुछ समय के लिए पुरुषों ने महिलायों पर कुछ प्रतिबन्ध लगाए थे, जिससे महिलाए सत्ता मे न आ सके | परन्तु समाज के कुछ कायदे होते है और हर व्यक्ति को उसका पालन करना चाहिए |
प्रश्न: मृत्यु और पुनर्जन्म के मध्य के समय मे क्या होता है?
श्री श्री रविशंकर: निद्रा से जाग्रित अवस्था मे जब आप आते हैं तो उसके मध्य के समय मे क्या होता है? वैसा ही होता है-आप निष्क्रिय होते हैं| जब समय आ जाता है तो चेतना वापिस आ जाती है|
प्रश्न: हमारे महाकाव्यों मे महिलाओ ने कई असाधारण कृत्य किये हैं, इस पर विश्वास करना कठिन है! आप इसके बारे में कुछ बताएं।
श्री श्री रविशंकर: उदाहरण के लिए हम गांधारी की बात करते है , उसने मटके से १०० बच्चो को जन्म दिया | उन्होंने वास्तव मे टेस्ट ट्यूब शिशु को जन्म दिया | एक भ्रूण और १०० मटके ! हम तब भी जानते थे कि इसका क्या विज्ञान है !
जब तक वह सिद्ध न हो जाए वह सिर्फ तथ्य होता है| जैसे कोई विश्वास नहीं करता है कि डायनासोर हुआ करते थे परन्तु उनके होने के हमारे पास प्रमाण है | जटायु एक डायनासोर पक्षी था जिस पर सीता ने सवारी करी | भगवान श्री कृष्ण के आस्तित्व के बारे मे भी प्रमाण मौजूद हैं| इसे जिस रूप मे प्रस्तुत किया जाता है ,वह अक्सर कल्पना और तथ्य पर आधारित होता है| जैसे किसी कविता में कल्पना और तथ्य का मिश्रण होता है | यदि आप अब्दुल कलाम ,जवाहरलाल नेहरु यां इंदिरा गाँधी की जीवनी को पढेंगे , तो आप पायेंगे कि उसमें कई बातों को जोड़ा जाता है |
प्रश्न: वर्तमान क्षण मे और प्रभावकारी रूप से रहने के लिए मुझे क्या करना चाहिए ?
श्री श्री रविशंकर: आप अभी यह तय कर रहे हो कि भविष्य मे वर्तमान क्षण मे होने के लिए आप को क्या करना है! आप समझे मैं क्या कह रहा हूँ ?
प्रश्न: कृपया करके आध्यात्म और साम्यवाद की समानताओ पर व्याख्या करें ?
श्री श्री रविशंकर: हाँ, साम्यवाद कहता हैं सबके लिए सामान अवसर होने चाहिए | आध्यात्म कहता है दिव्यता सबके दिल मे है और हर कोई ईश्वर है | इस तरह दोनों एक ही बात को कहते हैं | आपकी भावनाए सामान हो सकती हैं परन्तु अभिव्यक्ति भिन्न हो सकती है| आप प्रेम को अलग अलग रूप मे अभिव्यक्त करते है जैसे शिशु के साथ यां वृद्ध के साथ अलग प्रेम होता है|
(गंगा एक ऐसी नदी है जिसका निर्माण प्राचीन लोगो ने किया – http://www.bharathgyan.com/ वेब साईट पर भागीरथी पर तथ्य और कहानियाँ है कि कैसे संतो ने और साथियो ने उसकी संरचना करी और कैसे मानसरोवर का प्रवाह पश्चिम से किया।
प्रश्न: मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगो के साथ कैसे रहे उस पर व्याख्या करें?
श्रीश्री रविशंकर: वे लोग यहाँ पर सेवा लेने आये है ,बस उनकी सेवा करो !!!