मृत्यु के उपरांत क्या होता है?

१२
२०१२
जुलाई
बैड एंटोगस्त, जर्मनी

प्रश्न : गुरूजी, कृपया हमें ज्ञान दीजिये?
श्री श्री रवि शंकर : उसके लिए आपको प्रश्न पूछने होंगे, ज्ञान आपको बाहर खींचना पड़ता है|

प्रश्न : प्यार क्या है?
श्री श्री रवि शंकर : प्यार जीवन का आधार है| आपके शरीर के सब कोष एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं| इसलिए ही वो साथ हैं, जिस दिन उन्होने आपस में प्यार करना छोड़ दिया, सब अलग अलग हो जायेंगे, समझे! अगर कोई एक चीज़ है जिसकी वजह से सब जुड़ा हुआ है और आपको उसको कोई नाम देना चाहते हैं तो उसे प्यार कह सकते हैं, प्यार सिर्फ भावुकता नहीं है, "अरे! मैं आपके बिना नहीं रह सकता हूँ, मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ, और इस तरह की बातें| नहीं, ये सिर्फ भावनात्मक बातें हैं, प्यार का अर्थ (ख़ामोशी) बस ये है| प्यार को समझाया नहीं जा सकता, आप उसे बयान नहीं कर सकते, और इस धरती पर ऐसा कोई प्राणी नहीं जो प्यार को नहीं जानता, समझे! समुन्दर से लेकर चिड़ियों तक, एक चूजे से लेकर एक प्रबुद्ध व्यक्ति तक, सबने प्यार का अनुभव किया है, जीवन के लिए प्यार,ये हम सब समझते हैं लेकिन जीवन स्वयं में प्यार है| तो इस ज्ञान से देखें तो सारा ब्रह्माण्ड प्यार है| प्यार एक अस्तित्व है सिर्फ एक भाव नहीं| भावना भी प्यार है लेकिन अस्तित्व स्वयं में प्यार है| धरती सूरज से प्यार करती है इसलिए उसके इर्द-गिर्द चक्कर लगाती है, चाँद धरती से प्यार करता है इसलिए चाँद धरती के आस पास चक्कर लगाता है| जब भी कोई ताक़त, या शक्ति या कोई खिंचाव या आकर्षण होता है, आप उसे प्यार कहते है| और जब नफरत होती है तब भी प्यार ही होता है बस उलटी दिशा में होता है| आप किसी की तरफ आकर्षित होते हैं, क्यों? क्योंकि आप उसे प्यार करते हैं| आप कोई चीज़ केक देखते हैं, तब उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, क्यों? एक खिंचाव है| आप एक खूबसूरत लड़की को देखते हैं, या एक लड़की एक खूबसूरत लड़के को देखती है, एक खिंचाव महसूस होता है, और आप उसको क्या कहते हैं? आप उसे प्यार कहते हैं! क्योंकि एक खिंचाव है, एक आकर्षण है, एक शक्ति है, और यही शक्ति सारे ब्रहमांड को चलाती है| किसी किसी जगह ये साफ़ दिखता है किसी किसी जगह नहीं| जिस दिन धरती आपसे प्यार करना छोड़ देगी, आप उड़ना शुरू कर देंगे| धरती आपसे इतना प्यार करती है कि गुरुत्वाकर्षण शक्ति आपको धरती से बाँध करके रखती है, आप समझ रहे हैं?
इसलिए प्यार इंसानी जीवन की ताक़त है, और सभी नकारात्मक भावनाएं प्यार का ही एक बिगड़ा हुआ रूप है| क्रोध में भी प्यार है, पूछिए कैसे? आप निपुणता से प्यार करते हैं कि आप गुस्सा होते हैं| लालच भी प्यार है, लालच तब होता है जब आप किसी वस्तु से जीवन से भी अधिक प्यार करते हैं, जब आप वस्तुओं को जीवन से ज्यादा प्यार करने लगते हैं तब वो लालच कहलाता है| डर प्यार का उल्टा रूप है|

प्रश्न : गुरु जी मेरी माँ का देहांत क्रिसमस के दिन हो गया, क्या इसका कुछ ख़ास अर्थ है?
श्री श्री रवि शंकर : देखिये, आप जानते हैं कि पूरी दुनिया में बहुत से लोग क्रिसमस या नव वर्ष के दिन मृत्यु को प्राप्त करते हैं, मृत्यु कोई तारीख नहीं जानती, आप समझ रहे हैं! आप को यह इसलिए अजीब लग रहा है कि जिस दिन उनकी मृत्यु हुई उस दिन को आप त्यौहार मानते हैं, लेकिन इसको देखने का एक और तरीका भी है, उस दिन वो और विशाल हो गयी, उन्हें शरीर में रहने के दुःख से मुक्ति मिल गयी, उन्हें मोक्ष प्राप्त हो गया, तो ये उनके लिए अच्छा है, उनके लिए ये प्रकृति की ओर से, ईश्वर की ओर से उन्हें क्रिसमस का तोहफा है| इस तरह से सोचिये, तब आपका मन शांत हो जायेगा ओर आप इत्मीनान से क्रिसमस मना पाएंगे| उन्हें क्रिसमस के दिन मोक्ष प्राप्त हुआ, और उस दिन उनकी उन्नति हो गयी, क्या ये इसे देखने का ज्यादा अच्छा तरीका नहीं है? इसलिए उनकी मुक्ति और आज़ादी का उत्सव मनाइए|

प्रश्न : मुझे क्या करना चाहिए अगर मेरे आस पास के सभी लोग हमेशा ही नकारात्मक होते हैं? मेरा एक मित्र हर वस्तु के प्रति बेहद नकारात्मक है, और समय के साथ उसकी हालत और खराब होती जा रही है|
श्री श्री रवि शंकर : देखिये, अगर कोई नकारात्मक होने की चरम सीमा तक जाता है तो ये किसी मनुष्य के लिए आसान नहीं है, नकारात्मक होना लगभग अमानवीय है, और जब वो बहुत दूर तक चला गया हो तब उसके लिए और आगे जाने का कोई रास्ता ही नहीं होता, वो वापस आएगा ही, क्योंकि सब कुछ चक्रीय है, आप समझ रहे हैं? जब आप सबसे नीचे के बिंदु तक पहुँच जाते हैं तब और नीचे नहीं जा सकते, कोई रास्ता ही नहीं बचता, आपको ऊपर ही आना पड़ता है| ऐसे ही उसने कहा, वो इतना खराब हो चुका है कि अब उसे वापस आना ही होगा और ये दिखाने को कि असलियत में कोई बुरा नहीं होता, ये सिर्फ एक भाव है, कर्म है| आत्मा कभी बुरी नहीं होती, आत्मा हमेशा मुक्त और आनंदमय होती है| कर्म का एक सीमित दायरा और समय होता है, देखिये जब आप कोई बुरा कार्य करते हैं तब आपको हमेशा के लिए कोई सजा नहीं मिलती, कुछ साल के लिए ही कोई सजा दी जाती है| और उन दिनों में भी आपके साथ अच्छा सलूक किया जाता है, है !
एक कैदी, जब कोई गुनाह करता है तो क्या उसके साथ बुरा सलूक किया जाता है? नहीं, उसके साथ दयापूर्ण व्यवहार किया जाता है| यही बात पुरानो में भी कही गयी है ;अगर किसी व्यक्ति ने बहुत ज्यादा बड़ा गुनाह किया हो लेकिन जब वो किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आता है जो पवित्र हो, समझदार हो, और पूरी तरह से सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर हो तो उस सकारात्मक ऊर्जा की शक्ति इतनी अधिक होती है कि वो अँधेरे में भी रोशनी ला सकती है| देखिये बहुत गहरे अन्धेरे वाले कमरे में भी रोशनी करने को मोमबत्ती भी काफी है|

प्रश्न : गुरु जी, मृत्यु के उपरांत क्या होता है?
श्री श्री रवि शंकर : मृत्यु के बाद क्या होता है, मन शरीर से आत्मा से मुक्त हो जाता है, मन में सब याद और बुद्धि होती हैतो ये दोनों चीज़ें गुब्बारे के जैसे हो जाती हैं, कर्म जो इस गुब्बारे पर सबसे गहरी छाप है| ये जैसे एक नींद है| मृत्यु भी और कुछ नहीं एक नींद के जैसे है, देखिये आप जो सोचते हुए सोते हैं तो जैसे ही आप उठते हैं वोही विचार सबसे पहले आपके मन में आता है, क्या आपने ध्यान दिया है? ये निर्वाद रूप से वो ही विचार होता है| तो मनुष्य का शरीर नष्ट हो जाता है और प्राणिक शरीर सारी छाप के साथ एक गुब्बारे के जैसे बनता है और घूमने लगता है| ऐसे मत सोचिये कि कोई गुब्बारे ऊपर उड़ रहे हैं, ये एक रौशनी के जैसा होता है, एक ऊर्जा के जैसा| मैं आपको एक सबसे अच्छा उदहारण देता हूँ, एक टेलीविजन स्टेशन में वो एक कार्यक्रम बनाते हैं और उसको डिश के माध्यम से संचारित करते हैं, वो कार्यक्रम हवा में ही रहता है, बिलकुल वैसे ही, जब आप कंप्यूटर से कोई ईमेल भेजते हैं, आप सारे शब्द टाईप हैं और प्रेषित का बटन दबा देते हैं, क्या होता है? वो आकाश में जाती है, जब तक आप उस ईमेल को अपने कंप्यूटर में देखते नहीं वो हवा में रहती है, आप बहुत दिन बाद भी वो मेल खोल सकते हैं, यहाँ तक की साल या १० साल के बाद भी आप उसको खोल सकते हैं, ये वो ग्रीटिंग कार्ड के जैसे नहीं होती जो २४ घंटे में समाप्त हो जाते हैं अगर देखे जायें तो| ये सब चिट्ठी या खबर आसमान में एक ख़त के जैसे नहीं घूम रही होती, वो आकाश में एक ऊर्जा के जैसे रहती है|
इसी तरह हर आत्मा की एक निश्चित आवृत्ति होती है, और हर अंगूठे का निशान में फर्क होता है क्योंकि अंगूठा एक निश्चित मोबाइल फ़ोन के चिप के जैसे है| इसलिए हर मृत्यु के उपरांत हर एक ऊर्जा रहती है और जो भी छाप इसने लिए होते हैं उसी के हिसाब से ये वो उन अवस्थाओं का अनुभव करती है लेकिन कुछ समय के बाद हर आत्मा वापस आती है, आत्मा शरीर में बार प्रवेश करती है, ये सब एक रहस्य है| इसे जीवन और मृत्यु का रहस्य कहते हैं| आत्मा गर्भ धारण करते वक़्त आती है, पांचवे महीने में आती है या जन्म के समय आती है, ये तीनो संभव हैं लेकिन ये जानने का कोई तरीका नहीं कि आत्मा ने कब प्रवेश किया| तो अगर आत्मा ने गर्भ धारण के वक़्त प्रवेश किया तो किस बात का ख्याल रखना चाहिए? स्वयं को प्रसन्न रखिये, भारत में अक्सर गर्भवती महिलाओं को प्रसन्न रखा जाता है, जो भी वो चाहती हैं, उन्हें दिया जाता है| मैं कहूँगा कि हिंसक चलचित्र, भयावह गीत, डरावने दृश्य मत देखिये, अधिकतर हल्का बांसुरी वादन सुनिए वो आरामदायक होता है| संगीत सुनना,ज्ञान-ध्यान की बातें सुनना अच्छा है, ये सब करना चाहिए| और सब आत्माएं स्वयं चुनती हैं कि उन्हें कौन सी जगह पैदा होना है, कहाँ पैदा होना है, वो अपनी इच्छा से वहां जाती है|

प्रश्न : गुरु जी, क्या आत्मा कभी मरती है?
श्री श्री रवि शंकर : नहीं, आत्मा कभी नहीं मरती| ये ऐसे हैं जैसे आप एक रेलगाड़ी में बैठे, वो खराब हो गयी, आप उतरे और दूसरी रेलगाड़ी में बैठ गए, बस|

प्रश्न : ( दर्शको में से किसी ने अचानक प्रश्न पूछा जो रेकॉर्डिंग में सुना नहीं जा सका )
श्री श्री रवि शंकर : हाँ, मनुष्य जीवन अच्छे और बुरे दिनों का मिश्रण है| आप किसी का भी जीवन उठा कर देख लीजिये, श्रीराम, कृष्ण, जीसस, बुद्ध, महावीर या गुरुनानक ; इतिहास में से किसी को भी उठा लीजिये उनमें से सब के साथ कुछ अच्छे दिन रहे और कुछ ख़राब| ज़रूरी ये है कि बुरे दिनों में नीचे मत बैठ जाइये, और अच्छे दिनों में आसमान मत छूने लगिए, अपनी समता बना के रखिये और अपना सम्मान भी| ज्ञान आपको यही सिखाता हैI हाँ, कुछ खराब दिन आते हैं, लेकिन अगर आप ज्ञान में हैं तो आप पार निकल जायेंगे उस से भी और उसका आप पर ज्यादा प्रभाव भी नहीं पड़ेगा| कर्म का नियम बहुत अजीब है और बहुत रोचक भी| अगर बारिश होनी है तो बारिश होगी ही, पर अब ये आपके ऊपर है कि आप भीगते हैं या नहीं? अगर आप बरसाती पहन के जाते हैं तो आप ज्यादा गीले नहीं होंगे सिर्फ आपके चेहरे पर कुछ छींटे पड़ेंगे, लेकिन अगर आप एक छतरी के बिना जाते हैं तब आप पूरी तरह से भीग जायेंगे, और आपको आकर कपडे बदलने पड़ेंगे, ये सब साधना, ध्यान, सत्संग, गाना, ज्ञान, ये सब छतरी और बरसाती हैं| इसलिए लोग कहते हैं की जब आपका बुरा समय चल रहा हो तब Hollow and Empty ध्यान कीजिये, नमः शिवाय का जाप कीजिये, गाइए| आपको दिमाग में नकारात्मक भाव महसूस होंगे लेकिन वो आयेंगे और समाप्त हो जायेंगे| और जब आप इन सब में और गहरे जायेंगे तब एक समय ऐसा आएगा की आप पर ये सब का कोई असर ही नहीं होगा, ये आपको बिना छुए निकल जायेंगे, और वो आपके आस पास भी नहीं आयेंगे, ये प्रबोधन है|

प्रश्न : गुरु जी, आप ज्योतिष शास्त्र के विषय में क्या सोचते हैं?
श्री श्री रवि शंकर : इसलिए मैं कहता हूँ कि ये एक विलुप्त होती हुई विज्ञान की शाखा है, ज्योतिष शास्त्र एक विज्ञान है लेकिन ज्योतिषी नहीं, वो सिर्फ बातें घडते हैं, आपको अपने दिमाग से काम लेना चाहिए| ये सब के बारे में ज्यादा चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, एक साधारण सा ज्ञान होना काफी है, जैसे अमावस्या और पूर्णिमा के दिन, चाँद का आपके मन पर प्रभाव पड़ता है, ऐसा आप में से कितनो ने महसूस किया है? आप में से कितने इन दिनों में सो नहीं पाते? चाँद का मन से गहरा रिश्ता है इसलिए ये सब होता ही है| सिर्फ इस के प्रति सजग हो जायें, वहमी हो जायें| एक वहमी होने में और एक बात का पता होने में बहुत फर्क है, इसके प्रति सजग रहें|

प्रश्न : गुरु जी, मैं बहुत सा ज्ञान पड़ता और सुनता हूँ, लेकिन लगभग उसी वक़्त भूल जाता हूँ, मुझे क्या करना चाहिए?
श्री श्री रवि शंकर : कोई बात नहीं; मैं आपसे कहता रहूँगा, अगर आप सौ बार भी भूल जायें तब भी कोई बात नहीं, मुझ में बहुत धैर्य है, मैं आपको फिर वो ही बातें बताता रहूँगा, जो आपसे बात कर रहे हैं, वो भी उसी नाव में सवार हैं, यहाँ बहुत से लोग हैं जो कहते हैं, लेकिन फिर भी दूसरी तरफ ही रहते हैं, कोई बात नहीं! आपने कभी अष्टावक्र गीता सुनी है? भूल गए हैं, ठीक! आपने उसमें वो सूक्ति सुनी है, "वो भाग्यशाली है जो भूल गए हैं "| आप उस ही श्रेणी में हैं| अष्टावक्र गीता में एक जगह अष्टावक्र जी कहते हैं, "जो सब कुछ भूल सकते हैं वो भाग्यशाली हैं "| तो आप भी उस ही श्रेणी में हैं, लेकिन एक बात तो आप नहीं भूल सकते की आप भाग्यशाली हैं| आपको सिर्फ एक ही बात याद रखनी है, "मैं भाग्यशाली हूँ "|

प्रश्न : गुरु जी, मैं अपना अंतर ज्ञान खो चूका हूँ, मुझे क्या करना चाहिए?
श्री श्री रवि शंकर : आप सही जगह पर हैं, कोई परेशानी की बात नहीं है| देखिये, कल हमारी ऊपर कृष्ण हॉल में एक मीटिंग थी, मैंने अचानक कहा कि मुझे तहखाने में जाना है वहां देखना है, लगभग एक साल हो गया, मैं वहां नहीं गया| मैंने कहा कि मुझे वहां नीचे जाना है और देखना है तो हम सब नीचे आये, अचानक मैं इस कमरे में आया और पूछा कि यहाँ कौन रह रहा है? उन्होंने कहा कि हम नहीं जानते कि यहाँ कोई रह रहा है| मैंने कहा कि दरवाज़ा खोलिए, और जब हमने दरवाज़ा खोला तो पाया कि एक मोमबत्ती जल रही है, वो ख़त्म होने को थी और बिस्तर और पलंग आग पकड़ने को था| आग लग जाती क्योंकि लौ सब जगह फैली हुई थी| अगर हम १० मिनट बाद जाते तो शायद आग लग चुकी होती, किसी ने मोमबत्ती जलाई और भूल गया, मेरा वहां जाने का कोई काम नहीं था, ये अन्दर की आवाज़ थी, मुझे लगा कि मुझे वहां जाना चाहिए और वो कमरा ही सिर्फ खोला| मैं कभी ऐसे किसी के कमरे में जाकर दरवाज़ा नहीं खोलता, लेकिन आप जानते हैं सब कुछ संभव है, मैं किसी के कमरे में भी घुस सकता हूँ| इसलिए मैं उस कमरे में घुसा और पाया कि वहां कोई रह ही नहीं रहा और मोमबत्ती जल रही है| तो अन्दर की ये आवाज़ वो है जो सबके पास होती है, जैसे ही वो पैदा होते हैं| जितना ज्यादा आप अन्दर से खाली होते जाते हो, जितना ज्यादा ध्यान में उतरते जाते हो, उतना ही ज्यादा आप खुद को सुन पाते हो, ठीक है! इसलिए मोमबत्ती जला के कमरे में से गायब मत हो जाओ, समझे!

प्रश्न : आत्मा का संसार कहाँ है?
श्री श्री रवि शंकर : वो और कहीं नहीं है, यहाँ ही है|