केवल साधारण व्यक्ति ही आध्यात्मिकता प्राप्त कर सकते हैं

मेलबोर्न,
दिसम्बर 4,2009:

श्री श्री रवि शंकर
के साथ आस्ट्रेलिया के नवयुवकों की एक मुलाकात के कुछ अंश :
मैं बातचीत का सिलसिला शुरू करते हुए आपको कुछ भी पूछने के लिए आमंत्रित करता हूँ। हम वहां से बातचीत शुरू करते हैं|

प्रश्न : धर्मो में भिन्नता क्यों हैं?
श्री श्री रवि शंकर :
धर्म के तीन मुख्य अंग है :प्रतीक,रीति-रिवाज़ और परम्परा, और मूल्य | जहाँ तक मूल्यों का प्रश्न है,उनमें कोई मतभेद नहीं है। सभी एकता की बात करते हैं| रिवाज़ और प्रतीक सभी बिलकुल भिन्न हैं,और होने भी चाहिए। इससे संसार सुंदर बनता है। भगवान को विविधता पसन्द है| प्रकृति को भी कितनी विविधता के साथ रचा गया है-कितने सारे फूल हैं,जानवर हैं,लोग हैं| विविधता ही इश्वर की भाषा है| भारत में इश्वर के कितने ही नाम और रूप हो सकते हैं परन्तु ये सब एक ही देवत्व की और इशारा करते हैं|

प्रश्न : तीन मुख्य मूल्य कौन से हैं?
श्री श्री रवि शंकर :
आप इन्हें तीन तक ही सीमित कर देना चाहते हो?
सारे संसार के साथ अपनेपन की भावना| आप को यह कदम उठाना होगा, यह महसूस करना है कि तुम सारी दुनिया का हिस्सा हो और सब आप का ही एक हिस्सा हैं|
जो भी कार्य हाथ में लेते हो उसे पूरा करने की प्रतिबद्धता।
तीसरा मूल्य है वर्तमान क्षण में रहना। अतीत को पकड़े रहने से खुद भी और दूसरों को भी मुश्किल में डालते हैं।

प्रश्न : एक नौजवान जीवन के उतार चढ़ाव कैसे संभाल सकता है?
श्री श्री रवि शंकर :
जीवन सबका मिश्रण है :असफलता और सफलता-ये दोनों एक दूसरे के पूरक हैं| तुम कभी असफल हुए तभी तो सफलता की कीमत पता चलती है,यह आगे बढ़ने के लिए एक मार्ग दर्शन का काम करता है|
अपने आप से पूछो कि तुमने अतीत से क्या सीखा,और भविष्य के लिए तुमहारा दृष्टिकोण क्या होना चाहिए? इससे आगे बढ़ने में मदद मिलेगी| इसके लिए वर्तमान क्षण में रहने की और तनाव मुक्त होने जरूरत है|
तुम एक खिलाड़ी हो न कि प्यादे | यदि तुम प्यादे होते तो कोई और तुम्हे चला रहा होता और तुम पर तुम्हारा कोई नियंत्रण न होता|आपको खिलाड़ी होना होगा,अपने आप को सशक्त करो। 'आर्ट ऑफ़ लिविंग' के प्रोग्राम इसी में मदद करते हैं|

प्रश्न : अतीत से सबक सीख के इससे अलग कैसे हो सकते हैं?
श्री श्री रवि शंकर :
सबक तो एक अपने आप होने वाली घटना है, आपने जो भी अनुभव किया है वह अतीत ही है|अतीत में रहना मतलब अतीत में अटके रहना|जीवन के पास आपको देने के लिए बहुत कुछ है| पर अतीत में रहने से हम उस से अछूते रह जाते हैं|

प्रश्न : दुःख और पीड़ा का क्या महत्व है?
श्री श्री रवि शंकर :
दर्द तो रोक नहीं सकते परन्तु उससे पीड़ित होना याँ न होना अपने हाथ में है|

प्रश्न : मुझे अतीत बहुत दुखदायी लगता है|
श्री श्री रवि शंकर :
अतीत को भाग्य जानना चाहिए| यदि आप को लगता है कि अतीत में आपके पास कोई विकल्प था तो आपका वर्तमान भी खराब हो जाएगा। आप अतीत के लिए पश्चताप करते रहोगे| अतीत के बारे में लगातार पश्चताप करने से वर्तमान भी उज्ज्वल नही रहता और भविष्य भी।
हमारी शिक्षाओ में भी कर्म और पुरुषार्थ है| अतीत को भाग्य के रूप में देखो,भविष्य को तुम्हारी इच्छा की तरह देखो और वर्तमान में रहो|

प्रश्न : करुणा और निष्पक्षता को व्यवहार में कैसे लायें?
श्री श्री रवि शंकर :
जब आपके मन में पक्षपात नहीं होता, करुणा अपने आप आती है|जब हर किसी के साथ अपनापन होता है,बिना किसी श्रेणी, आर्थिक या बुद्धिमता के मतभेद के,यदि आप सभी से मिलजुल रह सकते हो तो करुणा अपने आप ही आती है|
आप कोई भी हो -चीनी ,अफ्रीकन, अपने आप को अलग अलग जगहों पर रख सकते हो अलग रोल अदा करते हुए। अचानक आप को लगता है कि आपका अस्तित्व केवल अपने एक तक ही नहीं पर सार्वभौमिक है।

प्रश्न : स्वार्थरहित कैसे बने?
श्री श्री रवि शंकर :
तुम स्वार्थरहित क्यों होना चाहते हो? क्योंकि तुम खुश होना चाहते हो| अगर आप का परिवार ही खुश नहीं होगा तो आप कैसे खुश रह सकते हो?आपके खुश रहने के लिए आपके आसपास के लोग खुश रहने चाहिए| ऐसे स्वार्थी बनो जिसमें आपकी ख़ुशी आसपास मौजूद सभी को अपने साथ मिला ले |स्वार्थी बनो परन्तु अपने स्वार्थ को जितना बड़ा सको बड़ाओ| परन्तु चरम सीमा तक मत जाओ-धीरे धीरे अपनी क्षमता के अनुसार अपनेपन का दायरा बड़ाओ। तुम चाहते हो कि तुम्हारा पड़ोसी तुम्हारे लिए सोचे, सहयोग दे, परन्तु जो तुम दूसरों को नहीं देते उसकी दूसरो से उपेक्षा कैसे कर सकते हो|

प्रश्न : हम दान कैसे करें?
श्री श्री रवि शंकर :
तीन तिहाई अपने बच्चों को दिया जा सकता है,और एक तिहाई पड़ौसी के बच्चे को| आपका पहला कर्तव्य अपने बच्चे को पालना है| जैसे कि कहा गया है आज दुनिया में सबकी जरुरत के लिए काफी है पर लालच के लिए नहीं|
आप सेवा करने के लिए अपने परिवार की हर जरूरत पूरी होने का इन्तजार नहीं कर सकते। दोनो काम एक साथ करो|

प्रश्न : क्या साधारण व्यक्ति आध्यात्मिकता प्राप्त कर सकतें है?
श्री श्री रवि शंकर :
केवल साधारण व्यक्ति ही आध्यात्मिकता प्राप्त कर सकते हैं|यदि कोई सोचे कि वह खास है तो नहीं प्राप्त कर सकते|

प्रश्न : 'आर्ट ऑफ़ लिविंग' कि सफलता के लिए कौन से तीन मुख्य कारण हैं?
श्री श्री रवि शंकर :
उदेश्य के प्रति निष्ठा,सम्मलित रवैया (सब एक हैं कोई भी बाहर का नहीं है,अपनेपन की भावना)और इश्वर की कृपा|

प्रश्न : इस संगठन को शुरू करने के पीछे क्या उदेश्य था?
श्री श्री रवि शंकर :
हर चहरे पर मुस्कान देखना|

प्रश्न : दुनिया के नेता जो भी निर्णय लेते हैं उसका असर हम पर पड़ता है।जबकि कोई कार्य हम व्यक्तिगत रूप से करते हैं तो इसका असर केवल कुछ ही लोगों पर पड़ता है।
श्री श्री रवि शंकर :
पहले तो तुम यह मत सोचो की राजनितिज्ञ कोई ख़ास किस्म है,वे हम में से ही एक हैं| बहुत से राजनीतिज्ञ अच्छे हैं जो समाज को बदलना चाहते हैं, आर्थिक बदलाव लाना चाहते हैं परन्तु अपने आप को असहाय पाते हैं| कोई भी समझदार राजनीतिज्ञ समाज को हिंसा से दूर रखना चाहेगा,पर उन्हें लगता है कि उनके हाथ बंधे हैं। ये समाज से शुरू होना चाहिए| तुम सोचते हो कि वे शक्तिशाली हैं पर वास्तव में समाज को चलाने के लिए सामूहिक सहयोग की आवश्यकता है। एन जी ओ(NGO) ,धार्मिक नेता और ऐसे संगठन प्रेरणा लाने के लिए ज़रूरी हैं|

समाज के चार स्तम्भ है-राजनीति,व्यवसाय,नागरिक समाज और विश्वसनीय संगठन(Faith based organizations)। यह ज़रूरी है कि यह सब एकसाथ काम करें। इसी को ध्यान में रखते हुए UN ने नेताओं की समिति बनाई है| सभी को इसमें काम करना है।

प्रश्न : हिरोशिमा में बोम्ब गिराए गए,आदि..सभी बड़े अत्याचार राजनीतिज्ञयों के फैसलों के परिणामस्वरूप हुए।
श्री श्री रवि शंकर :
राजनीतिज्ञयों को अध्यात्मिक होने की जरुरत है|जब आप में करुणा और देखभाल की भावना होगी तो ऐसे नहीं होगा|
संस्कृत में एक कहावत है -पहले शांति से,फिर क्षमा से ,फिर करुणा से|यदि कुछ भी काम न करे तो अंत में डंडा उठा लो|

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