प्रश्न : भारत कब और कैसे पूरी तरह उन्नत हो जाएगा?
श्री श्री रवि शंकर : जब तुम्हारे जैसे नवयुवक यह सोचने लगेंगे कि वे क्या कर सकतें हैं|
प्रश्न : गुरूजी यदि कोई मेरी आलोचना करता है और यह सही है,तो ठीक है| परन्तु यदि यह सही नहीं है तो मुझ से वह आलोचना सहन नहीं होती और मैं संतुलन खो बैठता हूँ| कृपया मेरा मार्ग दर्शन करें|
श्री श्री रवि शंकर : दोषी ठहराने को ही तुम आलोचना करना कहते हो न। जिसे तुम सहन नहीं कर सकते| धैर्य और यह विश्वास की सत्य की हमेशा जीत होती है स्थिति को बेहतर करता है।
प्रश्न : मैं अपने आप में सूक्षम स्तर पर बहुत से बदलाब महसूस करता हूँ परन्तु मेरे आस पास के लोग ऐसा अनुभव नहीं करते|
श्री श्री रवि शंकर : तुम अपने में परिवर्तन देखते हो ये काफी है| दूसरे लोग नहीं देख पाते क्योंकि वे अपने मन में ही उलझे हैं| धैर्य रखकर अपने आप को बेहतर ढंग से व्यक्त करो| बहुत बार हमारा व्यवहार हमारी भावनाओ के साथ लय में नहीं होता| बाहरी व्यव्हार असभ्य हो सकता है परन्तु अंदर से तुम ऐसा महसूस नहीं करते| तुम्हारी भावनाएं बदल गई है परन्तु तुम्हारी अभिव्यक्ति नहीं बदली है| अधिकतर ऐसा ही होता है| तब आपको अपने को बेहतर ढंग से व्यक्त करने की आवश्यकता है|
प्रश्न : जो लोग आध्यात्मिकता को पसंद नहीं करते उन्हें कैसे शिक्षित किया जाए?
श्री श्री रवि शंकर : यदि आपके घर में कोई अध्यात्म के रास्ते के खिलाफ है तो आपको अप्रत्यक्ष रास्ता अपनाना होगा| तब आपको घर के उस सदस्य के करीबी दोस्त के द्वारा उनको कहलवाना पड़ेगा और जब ये मित्र की तरफ से आएगा तो वे जरुर सुनेगे| बाकी लोगों को आप शिक्षित करते रहो| उनके साथ ज्ञान बांटो| कई लोग आध्यात्मिकता से सही परिचिय न होने के कारण भी इसे पसन्द नहीं करते।
माओवादी और वामपंथी की भावना ने बहुत से लोगों को अध्यात्मिकता के विरुद्ध कर दिया है| नेपाल के अंदर भी बहुत से लोग आध्यात्मिकता के खिलाफ हैं| इंडिया में 600 में से 212 गाँव में अभी तक आर्ट ऑफ़ लिविंग नहीं आया है| एक बार हम वहां तक पहुँच जाएँ तो पूर्ण बदलाव आ जायेगा| एक घटना हुई थी जब झारखण्ड के एक गाँव में एक सत्संग में एक माओवादी ’आर्ट ऑफ़ लिविंग’ के अध्यापक पर हमला करने आया था|
वे आये और उन्होंने लोगों को ख़ुशी से गाते हुए देखा तो वे भी इस में शामिल हो गए|
बुद्ध के जीवन की उंगलीमार की कहानी केवल इतिहास या पौराणिक कथा ही नहीं है| ये आज अभी यहाँ घट रही है| जहाँ कोई कानून या पैसा काम नहीं करता, जो काम करता है वो प्यार है|
प्रश्न : क्या आत्मा की मृत्यु होती है?
श्री श्री रवि शंकर : जब आप टी वी बंद करते हो तो क्या तरंगे दिखाई देती हैं?तुम नहीं देख पाते पर तरंगें वहां होती है| उसी तरह से आत्मा हमेशा उपस्थित है| चाहे दिखाई दे या नहीं,प्रकट या अप्रकट हो यह एक अलग बात है|
प्रश्न : हम कैसे तय करें कि किसी की प्रशंसा की जाए?
श्री श्री रवि शंकर : मूर्खों की प्रशंसा करना अच्छा है परन्तु बुद्धिमान की प्रशंसा करने की कोई जरुरत नहीं| प्रशंसा हो यां ना हो, बुद्धिमान व्यक्ति दोनो परिस्थितियों में काम करेगा|
प्रश्न : महाराष्ट्र एस्मबली के झगड़े, बंगलादेश,पाकिस्तान..यह सब देख कर मेरा मन रोता है| कभी कभी मुझे बहुत डर लगता है|
श्री श्री रवि शंकर : जब आप ये सब देखते हो तो मन में पीड़ा अनुभव होती है| पीड़ा होनी भी चाहिए| जब पीड़ा होगी तो आप कोई कदम उठाओगे| नहीं तो आप तब तक बैठे रहोगे जबतक कि आपके अपने घर में आग नहीं लग जाती|
ध्यान से देखो महात्मा गाँधी ने उन दिनों में कैसे रास्ता दिखाया| इस तरह से आप को भी विचार आयेगा कि कैसे आगे बढ़ना है| सभी को थोड़ा थोड़ा त्याग करना चाहिए| जो कुछ भी हम कर सकतें हैं करना चाहिए| कभी कभी आपको डर लगता है ,वह भी सही है| ध्यान और प्राणायाम से इससे बहार निकल जाओगे|
प्रश्न : पश्चाताप से कैसे छुटकारा पाएं?
श्री श्री रवि शंकर : जब आप यहाँ आयें तो एक नए जीवन में प्रवेश हो गया| वह पुराना व्यक्ति मर चुका है - यह नया जीवन है, तुम एक नए इंसान हो| क्या अभी भी तुम उस पुराने पत्थर का बोझ साथ लेकर चलना चाहते हो? प्राचीन समय में एक प्रथा थी| जब कोई गुरु के पास आता था तो उनका नाम बदल दिया जाता था तांकि उन्हें यह याद रहे कि अब उनका नया जीवन है|
प्रश्न : एक बच्चे को आदर्श नागरिक बनने के लिए क्या करना चाहिए?
श्री श्री रवि शंकर : अपने आंख और कान खुले रखो| अपने मूल को जानो| जड़ों को मजबूत करो ओर दृष्टिकोण को व्यापक करो|
प्रश्न : पर्यावरण के विषय में आप क्या कहेंगे?
श्री श्री रवि शंकर : पर्यावरण वास्तव में गंभीर मुद्दा है|आप सब को पेड़ लगाने चाहिए,फ्रोजेन खाने(frozen food) का इस्तेमाल कम करना चाहिए, और शाकाहारी बन जाना चाहिए| आज वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि जानवरों को मारना बंद कर दे तो ग्रीन हाउस के प्रभाव का सारा मामला हल हो जाए| एक जानवर को मारने से जो मिथेन निकलती है वह 500 पेड़ों को काटने के प्रभाव के बराबर है| औसत रूप में एक जानवर को जितना अनाज खिलाया जाता है उस से 400 लोगों को खाना खिलाया जा सकता है| शाकाहारी बनो और पृथ्वी को बचाओ |
प्रश्न : मैं राजनीति में कैसे जायूं ?क्या ये केवल अमीर लोगों के लिए है यां राजनितिक सम्बन्ध होने आवश्यक है?
श्री श्री रवि शंकर : राजनितिक संबंध से पहले लोग महत्वपूर्ण हैं| एक अच्छे समाज सेवक बनो,लोग अपने आप ही आपके लिए वोट देंगें| पहले लोगों के बीच में, उनके साथ काम करो|
प्रश्न : असहाय महसूस करना कमजोरी यां शक्ति का प्रतीक है?
श्री श्री रवि शंकर : असहाय महसूस करना तो ज़ाहिर है कि कमजोरी का लक्षण है।परन्तु यदि उस असहाय स्तिथि में तुम्हारे अंदर प्रार्थना जगती है तो भीतर से एक शक्ति मिलती है| अपने आप को असहाय महसूस करना और उस स्थिति मे प्रार्थना उठने के लिए जबरदस्ती नहीं कर सकते| यह अपने आप ही होता है|
© The Art of Living Foundation For Global Spirituality
श्री श्री रवि शंकर : जब तुम्हारे जैसे नवयुवक यह सोचने लगेंगे कि वे क्या कर सकतें हैं|
प्रश्न : गुरूजी यदि कोई मेरी आलोचना करता है और यह सही है,तो ठीक है| परन्तु यदि यह सही नहीं है तो मुझ से वह आलोचना सहन नहीं होती और मैं संतुलन खो बैठता हूँ| कृपया मेरा मार्ग दर्शन करें|
श्री श्री रवि शंकर : दोषी ठहराने को ही तुम आलोचना करना कहते हो न। जिसे तुम सहन नहीं कर सकते| धैर्य और यह विश्वास की सत्य की हमेशा जीत होती है स्थिति को बेहतर करता है।
प्रश्न : मैं अपने आप में सूक्षम स्तर पर बहुत से बदलाब महसूस करता हूँ परन्तु मेरे आस पास के लोग ऐसा अनुभव नहीं करते|
श्री श्री रवि शंकर : तुम अपने में परिवर्तन देखते हो ये काफी है| दूसरे लोग नहीं देख पाते क्योंकि वे अपने मन में ही उलझे हैं| धैर्य रखकर अपने आप को बेहतर ढंग से व्यक्त करो| बहुत बार हमारा व्यवहार हमारी भावनाओ के साथ लय में नहीं होता| बाहरी व्यव्हार असभ्य हो सकता है परन्तु अंदर से तुम ऐसा महसूस नहीं करते| तुम्हारी भावनाएं बदल गई है परन्तु तुम्हारी अभिव्यक्ति नहीं बदली है| अधिकतर ऐसा ही होता है| तब आपको अपने को बेहतर ढंग से व्यक्त करने की आवश्यकता है|
प्रश्न : जो लोग आध्यात्मिकता को पसंद नहीं करते उन्हें कैसे शिक्षित किया जाए?
श्री श्री रवि शंकर : यदि आपके घर में कोई अध्यात्म के रास्ते के खिलाफ है तो आपको अप्रत्यक्ष रास्ता अपनाना होगा| तब आपको घर के उस सदस्य के करीबी दोस्त के द्वारा उनको कहलवाना पड़ेगा और जब ये मित्र की तरफ से आएगा तो वे जरुर सुनेगे| बाकी लोगों को आप शिक्षित करते रहो| उनके साथ ज्ञान बांटो| कई लोग आध्यात्मिकता से सही परिचिय न होने के कारण भी इसे पसन्द नहीं करते।
माओवादी और वामपंथी की भावना ने बहुत से लोगों को अध्यात्मिकता के विरुद्ध कर दिया है| नेपाल के अंदर भी बहुत से लोग आध्यात्मिकता के खिलाफ हैं| इंडिया में 600 में से 212 गाँव में अभी तक आर्ट ऑफ़ लिविंग नहीं आया है| एक बार हम वहां तक पहुँच जाएँ तो पूर्ण बदलाव आ जायेगा| एक घटना हुई थी जब झारखण्ड के एक गाँव में एक सत्संग में एक माओवादी ’आर्ट ऑफ़ लिविंग’ के अध्यापक पर हमला करने आया था|
वे आये और उन्होंने लोगों को ख़ुशी से गाते हुए देखा तो वे भी इस में शामिल हो गए|
बुद्ध के जीवन की उंगलीमार की कहानी केवल इतिहास या पौराणिक कथा ही नहीं है| ये आज अभी यहाँ घट रही है| जहाँ कोई कानून या पैसा काम नहीं करता, जो काम करता है वो प्यार है|
प्रश्न : क्या आत्मा की मृत्यु होती है?
श्री श्री रवि शंकर : जब आप टी वी बंद करते हो तो क्या तरंगे दिखाई देती हैं?तुम नहीं देख पाते पर तरंगें वहां होती है| उसी तरह से आत्मा हमेशा उपस्थित है| चाहे दिखाई दे या नहीं,प्रकट या अप्रकट हो यह एक अलग बात है|
प्रश्न : हम कैसे तय करें कि किसी की प्रशंसा की जाए?
श्री श्री रवि शंकर : मूर्खों की प्रशंसा करना अच्छा है परन्तु बुद्धिमान की प्रशंसा करने की कोई जरुरत नहीं| प्रशंसा हो यां ना हो, बुद्धिमान व्यक्ति दोनो परिस्थितियों में काम करेगा|
प्रश्न : महाराष्ट्र एस्मबली के झगड़े, बंगलादेश,पाकिस्तान..यह सब देख कर मेरा मन रोता है| कभी कभी मुझे बहुत डर लगता है|
श्री श्री रवि शंकर : जब आप ये सब देखते हो तो मन में पीड़ा अनुभव होती है| पीड़ा होनी भी चाहिए| जब पीड़ा होगी तो आप कोई कदम उठाओगे| नहीं तो आप तब तक बैठे रहोगे जबतक कि आपके अपने घर में आग नहीं लग जाती|
ध्यान से देखो महात्मा गाँधी ने उन दिनों में कैसे रास्ता दिखाया| इस तरह से आप को भी विचार आयेगा कि कैसे आगे बढ़ना है| सभी को थोड़ा थोड़ा त्याग करना चाहिए| जो कुछ भी हम कर सकतें हैं करना चाहिए| कभी कभी आपको डर लगता है ,वह भी सही है| ध्यान और प्राणायाम से इससे बहार निकल जाओगे|
प्रश्न : पश्चाताप से कैसे छुटकारा पाएं?
श्री श्री रवि शंकर : जब आप यहाँ आयें तो एक नए जीवन में प्रवेश हो गया| वह पुराना व्यक्ति मर चुका है - यह नया जीवन है, तुम एक नए इंसान हो| क्या अभी भी तुम उस पुराने पत्थर का बोझ साथ लेकर चलना चाहते हो? प्राचीन समय में एक प्रथा थी| जब कोई गुरु के पास आता था तो उनका नाम बदल दिया जाता था तांकि उन्हें यह याद रहे कि अब उनका नया जीवन है|
प्रश्न : एक बच्चे को आदर्श नागरिक बनने के लिए क्या करना चाहिए?
श्री श्री रवि शंकर : अपने आंख और कान खुले रखो| अपने मूल को जानो| जड़ों को मजबूत करो ओर दृष्टिकोण को व्यापक करो|
प्रश्न : पर्यावरण के विषय में आप क्या कहेंगे?
श्री श्री रवि शंकर : पर्यावरण वास्तव में गंभीर मुद्दा है|आप सब को पेड़ लगाने चाहिए,फ्रोजेन खाने(frozen food) का इस्तेमाल कम करना चाहिए, और शाकाहारी बन जाना चाहिए| आज वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि जानवरों को मारना बंद कर दे तो ग्रीन हाउस के प्रभाव का सारा मामला हल हो जाए| एक जानवर को मारने से जो मिथेन निकलती है वह 500 पेड़ों को काटने के प्रभाव के बराबर है| औसत रूप में एक जानवर को जितना अनाज खिलाया जाता है उस से 400 लोगों को खाना खिलाया जा सकता है| शाकाहारी बनो और पृथ्वी को बचाओ |
प्रश्न : मैं राजनीति में कैसे जायूं ?क्या ये केवल अमीर लोगों के लिए है यां राजनितिक सम्बन्ध होने आवश्यक है?
श्री श्री रवि शंकर : राजनितिक संबंध से पहले लोग महत्वपूर्ण हैं| एक अच्छे समाज सेवक बनो,लोग अपने आप ही आपके लिए वोट देंगें| पहले लोगों के बीच में, उनके साथ काम करो|
प्रश्न : असहाय महसूस करना कमजोरी यां शक्ति का प्रतीक है?
श्री श्री रवि शंकर : असहाय महसूस करना तो ज़ाहिर है कि कमजोरी का लक्षण है।परन्तु यदि उस असहाय स्तिथि में तुम्हारे अंदर प्रार्थना जगती है तो भीतर से एक शक्ति मिलती है| अपने आप को असहाय महसूस करना और उस स्थिति मे प्रार्थना उठने के लिए जबरदस्ती नहीं कर सकते| यह अपने आप ही होता है|
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