बैंगलोर आश्रम, भारत
हमारी वाणी में मिठास हो
भारत में आज संक्रान्ति का त्यौहार है। पूरे देश के किसान यह उत्सव मनाते हैं। दक्षिण भारत में इसे ’पोंगल’ कहते हैं। लोग आपस में तिल और गन्ना बाँटते हैं।
पुराने समय में जब पैसे का चलन नहीं था तो लोग आपस में सामान बदलते थे। जैसे बादाम के बदले सेब, चावल के बदले गन्ना। इस तरह से पूरे विश्व में कुछ लेन देन चलता रहता था।
आज के दिन भी वैसा ही व्यव्हार चलता है। ज़्यादातर लोग मिठाई बाँटते हैं। इस इच्छा के साथ कि इस वर्ष हम अपनी वानी में मिठास लाएँ, और ज्ञान की बात करें।
कई जगह ऐसा कहते हैं:
तिलगुड़ खाया,
गुड़ गुड़ बोला।
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