बैंगलोर आश्रम, भारत
ध्यान में कोई प्रयत्न नहीं है।
हम जो भी प्रयत्न से प्राप्त करते हैं, वो हमारे अहंकार को बढ़ाता है। जो तुम नहीं कर सकते, तुम्हें करने की आवश्यकता नहीं है। कोई कहे कि तुम्हें ४० दिन तक उपवास रखना है। तुम्हारा शरीर इसे सहन नहीं कर सकता। ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं है। पर अगर तुम सोचो कि तुम कुछ नहीं कर सकते, तो तुम आलसी हो जाओगे। तब भी तुम कुछ नहीं पाओगे।
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