"जो कह रहा है, जो सुन रहा है, जो समझ रहा है, वही आत्मा है"

प्रश्न : इस वर्ष को विरोधी क्यों कहा गया है?

श्री श्री रवि शंकर :
शायद इसलिए कि विरोध के लिये समाज में कुछ स्थान रहे। यह मार्च में ख़त्म हो रहा है। आगे बढ़ो।

प्रश्न : आत्मा कौन है?

श्री श्री रवि शंकर :
जो पूछ रहा है, जो सुन रहा है, जो जान रहा है, वही आत्मा है।

प्रश्न : गुरुजी, मैंने अतीत में पाप किया है...

श्री श्री रवि शंकर :
देखो, अब तुम यहां आ गये हो, सब पाप और पुण्य भूल जाओ। अपने पुण्य के कारण तुम यहां आये हो और तुम्हारे सब पाप धुल गये हैं।

प्रश्न : घर में जब लोगों के विचार नहीं मिलते तो उस स्थिति में क्या करें?

श्री श्री रवि शंकर :
उसे स्वीकार कर लो। मतभेद हो सकते हैं। स्वीकार करने से तुम शांत हो जाओगे। क्या तुम कह सकते हो कि सागर में लहरें नहीं होनी चाहिये? यह प्रकृति है। उसी प्रकार इस संसार में अलग अलग लोग अलग अलग बात कहेंगे। तुम बस मुस्कुराओ और आगे बढ़ जाओ। बार बार इसको मन में दोहराने से कभी न कभी यह बात समझ में आ ही जाएगी।

प्रश्न : लोग २०१२ में दुनिया ख़त्म होने की बात कर रहे हैं। जब मैं दुनिया के अंत की बात सोचने लगा तो विचार आया - सृष्टि क्यों है?

श्री श्री रवि शंकर :
२०१२! ऐसा कुछ नहीं होगा। हम तब भी यूं ही सत्संग करेंगे। बस तब लोग ज़्यादा होंगे|

प्रश्न : जब ध्यान करते समय द्वैत का आभास हो और कई विचार आयें तो मुझे क्या करना चाहिये?

श्री श्री रवि शंकर :
ध्यान में कुछ देखने का प्रयत्न ना करो। विश्राम करो। यदि कई विचार आएं तो उन्हें स्वीकार कर लो। द्वैत क्या है? अच्छा और बुरा, सही और ग़लत - ये सब संघर्ष है। ध्यान करते समय तीन बातों का ख़याल रखो - अकिंचन, अचाह, अप्रयत्न।
मैं कुछ नहीं हूं।
मुझे इस क्षण कुछ नहीं चाहिये।
मुझे इस क्षण कुछ नहीं करना|
इन तीन सिद्धांतों से तुम ध्यान कर पाओगे।

प्रश्न : पूर्ण शांति कब होगी?

श्री श्री रवि शंकर :
पहली बात, क्या तुम में पूर्ण शांति है? जब तुम पूर्ण रूप से शांत होगे तब समस्त संसार में भी पूर्ण शांति होगी। लहरें आती हैं, लहरें जाती हैं। संसार में हर समय सभी सुखी हों, ऐसा संभव नहीं है।

प्रश्न : मैं अपनी प्रतिबद्धताओं(कमिटमेन्ट्स) को पूरा नहीं कर पाता। मुझे क्या करना चाहिए?

श्री श्री रवि शंकर :
जो तुम कर सकते हो, उस पर ध्यान दो। यह देखो कि तुमने दो काम पूरे किए। अगली बार तीन पूरे करना, फिर चार...। इस पर ध्यान दो।

प्रश्न : कैसे जाने कि हमने अपना १०० प्रतिशत दिया है?

श्री श्री रवि शंकर :
तुम्हे ये खुद ही महसूस होगा!

प्रश्न : मैं पर्यावरण के लिये कुछ करना चाह्ता हूं।

श्री श्री रवि शंकर :
क्या तुम्हारे फ़्लैट में एक बाल्कनी है? गमलों मे कुछ पौधे उगाओ। यहाँ से शुरु करो।

प्रश्न : शिव क्या है?

श्री श्री रवि शंकर :
शिव महाकाल है, समय।

प्रश्न : मैं अपने साक्षातकार(इंटरव्यु) के परिणाम के बारे में चिंतित हूं। क्या करूं?

श्री श्री रवि शंकर :
उज्जई श्वास, प्राणायाम, भस्त्रिका, ध्यान करो, और गाओ और नाचो। प्रस्न्न रहो।

प्रश्न : परिपक्व(mature) होना किसे कहते हैं? मैं इस बारे में असमंजस(कनफ्युज़) हूं।
श्री श्री रवि शंकर :
जब असमंजसता खत्म हो जाती है तब तुम परिपक्व होते हो।

प्रश्न : कभी कभी मैं सब से एक अलगाव मह्सूस करता हूं।

श्री श्री रवि शंकर :
यह अच्छा है। उस समय अपनी आंखें बन्द करो और मुस्कुराओ। उस समय मैं तुम्हारे पास हूं।

प्रश्न : सब लोग कब ’आर्ट ऑफ़ लिविन्ग’ को अपनायेंगे?

श्री श्री रवि शंकर :
ऐसा कुछ नहीं है जो ’आर्ट ऑफ़ लिविन्ग के भीतर या बाहर हो।

प्रश्न : आप पूरी दुनिया को एकदम से क्यूं नहीं बदलते? इतती धीरे क्यों?

श्री श्री रवि शंकर :
तुम सब को भी तो काम चाहिए!

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