२१ जून २०११, बैंगलुरू आश्रम
प्रश्न: गुरूजी आजकल युवा ड्रग्स, शराब, अश्लील चित्र और फिल्म देखने में बहुत रूचि रखते है, आपकी पालकों को क्या सलाह हैं कि वे किशोरों से कैसे निपटे और उनसे कैसे बेहतर संबंध स्थापित करे ?
श्री श्री रवि शंकर: हां यह एक नाजुक विषय है क्योंकि किशोर अवस्था के बच्चों को यह नहीं पसंद आता कि उनके पालक उन पर अधिकार जतायें | सामान्यता उस उम्र में यह प्रवृतियां होती है इसलिए पालकों को समझदारी से काम लेना होगा और एक दूसरे को समझना होगा | आपको किशोरों को व्यस्त रखना चाहिए और उन्हें भरपूर मनोरंजन और खेलकूद के अवसर प्रदान करने चाहिए | उन्हें इतना सारा काम दीजिए कि उनके पास कुछ और करने का समय ही न रह जाए | जब वे घर पर आये तो वे इतने थके होना चाहिए कि उन्हें तुरंत ही नींद आ जाए | उन्हें जिम और तैरने जाना चाहिये| जब कोई एक घंटे तैरता है और फिर कुछ देर व्यायाम करता है, तो उसकी पूरी उर्जा समाप्त हो जाती है और उसे फिर सिर्फ सोना होता है |सुबह जब वे ताज़गी के साथ उठते है तब उन्हें संगीत सीखना चाहिये और पहेलियां सुलझाने देना चाहिये, उन्हें अधिक से अधिक जानकारी, मनोरंजन और शिक्षा मुहैया करानी चाहिये | इस तरह आप किशोरों को इंटरनेट पर अश्लील चित्र और फिल्म को देखने दूर रख सकते है |
प्रश्न: गुरूजी, जब आप मेरी उम्र के थे तो आप का जीवन कैसा था? मेरी उम्र १४ वर्ष है |
श्री श्री रवि शंकर:वह काफी रोमांचक थी ! मैंने अपने जीवन के शुरवाती वर्ष मेरे से बड़ी उम्र के लोगों के साथ बिताये |
प्रश्न: गुरूजी मेरे पालक नहीं चाहते कि मैं शाकाहारी बन जाऊँ | मैं उन्हें कैसे समझाऊँ ?
श्री श्री रवि शंकर: आप उनसे सिर्फ यह कह दीजिये कि ‘मैं शाकाहारी बनना चाहता हूं’ फिर वे आपकी बात मान जायेंगे |
प्रश्न: गुरूजी, मैं भगवान पर भरोसा नहीं करता, क्या यह बुरी बात है ?
श्री श्री रवि शंकर: कोई बात नहीं, कम से कम अपने आप पर भरोसा करो | आपको पता होना चाहिये कि आप कौन है | आप सत्य, सच्चाई, प्रेम और करुणा पर विश्वास रखें, यह भगवान के गुण हैं !!
प्रश्न: गुरूजी मेरे पालक मुझ से बहुत प्रेम करते है और कई बार उनका इतना अधिक प्रेम मेरे लिए बहुत घुटन बन जाता है | मैं क्या करू ?
श्री श्री रवि शंकर: यह समस्या दो तरफा है | कभी कभी आपको लगता है कि वे आपसे प्रेम नहीं करते और वह भी सच नहीं है |कभी कभी आपको लगता है कि वे आपसे बहुत अधिक प्रेम करते है और वह घुटन लगता है |और फिर क्या करे? आपको घुटन कब महसूस होती है? जब आप कुछ गलत करने वाले होते है | जब आप की चेतना आपसे यह कहती है कि यह गलत है ‘मुझे यह नहीं करना चाहिये’ फिर आपको आपके पालकों से घुटन महसूस होती है | जब इस किस्म का ध्यान आप पर रखा जा रहा हो तो कुछ घुटन होना भी ठीक है | कुछ गलत करने का आप में यदि पाप की भावना लाता है तो वह भी ठीक है| यह आपको सुरक्षित करने की चेतावनी है |
प्रश्न: गुरूजी संगीत मेरी जिंदगी है परन्तु मेरे आस पास के अधिकांश लोग ड्रग इत्यादि का सेवन करते है और उनमें बुरी आदतें है | मैं कैसे इससे बिना प्रभावित होकर अपना कृत्य करते रहूं?
श्री श्री रवि शंकर: अपनी संगीत साधना पर अटल रहें , वहीं ठीक है |
प्रश्न: ऐसा क्यों कहा जाता है कि हिंसा प्रेरित और डरावनी फिल्मों को नहीं देखना चाहिये, क्या उसका मन पर प्रभाव होता है?
श्री श्री रवि शंकर: आपको क्या लगता है? डरावनी फिल्म को देखने के बाद क्या आपको रात में डरावने सपने आते है? यदि हां, तो उसे न देखें| आप साल में उसे एक बार देख सकते है क्योंकि उसका प्रभाव काफी समय के लिये होता है, इसलिये संभवतः उसे टाल देना ही बेहतर है |
प्रश्न: गुरूजी मेरे पालक मुझ पर बिना वजह ही हाथ उठाते है | मैं उस समय उनका कैसे सम्मान करूं और उन्हें कैसे स्वीकार करूं?
श्री श्री रवि शंकर: वे ऐसा बिना कारण नहीं करेंगे | जब वे अच्छे मनोभाव में हो तो उन्हें आर्ट ऑफ लिविंग बेसिक कोर्से करने को कहें | उन्हें बेसिक कोर्से करने के लिये मनाएं और हम उन्हें सिखायेंगे कि वे आप पर हाथ न उठायें |
प्रश्न:गुरूजी जब मैंने कोर्से किया तो दुसरे बच्चों ने बताया कि उन्हें अनूठे अनुभव आये परन्तु मुझे कोई भी अनुभव नहीं आया | मुझे इसकी बहुत जिज्ञासा हैं और मुझे भी इसे अनुभव करना है| मैं क्या करूं?
श्री श्री रवि शंकर: यह बात कि आप इसमें भाग ले रहे है तो निश्चित ही इससे आपको लाभ होगा अन्यथा आप यह प्रश्न नहीं कर रहे होते | आप दूसरों के अनुभव से अपनी तुलना न करें | कोई व्यक्ति कहेगा कि उसे यह अनुभव हुआ और कोई अन्य व्यक्ति कुछ और कहेगा, फिर आप अपने अनुभव और अपने आप पर संशय करने लगेंगे | आपको कभी भी ऐसा नहीं करना चाहिये |
प्रश्न: गुरूजी हम आपसे कुछ न कुछ प्रश्न करते रहते है,हम आपके लिए क्या कर सकते है?
श्री श्री रवि शंकर: अधिक से अधिक लोगो में हमारे संदेश का प्रचार करें |
प्रश्न: कुछ लोग बिना किसी कारण निराश हो जाते है, ऐसे में हम क्या कर सकते है?
श्री श्री रवि शंकर:लोगों को अच्छे भोजन का सेवन करने की, और अच्छा स्वास्थ्य रखने की सलाह दीजिये, यह काफी जरूरी हैं |
प्रश्न:जो लोग आर्ट ऑफ लिविंग कोर्से करना वहन नहीं कर सकते उनका क्या ?
श्री श्री रवि शंकर:फिर भी हम उन्हें प्रदान करेंगे | जो लोग कोर्से का शुल्क वहन नहीं कर सकते वे शिक्षक से बात करें वे उन्हें कोर्से करवा देंगे | हजारों लोग ऐसे ही कोर्से कर रहे है |
प्रश्न: इतने लोग आपको अपना गुरु मानते है, आप इतने लोगों के गुरु कैसे हो सकते है?
श्री श्री रवि शंकर:हां! मैं अपना कृत्य अच्छे से कर रहा हूं |
प्रश्न: क्या आप हर किसी व्यक्ति पर उतना ध्यान रख पाते हैं, जितनी अपेक्षा उनको आप से है?
श्री श्री रवि शंकर:हां,मुझे लगता है कि जितना संभव हो सकता हैं,उतना मैं करता हूं| हमारी चेतना इतनी विशाल होती है और उसमें कई योग्यता होती है| इसलिए हम ऐसा कर सकते है| प्रकृति आपको उतना ही कार्य करने को देगी जितना आप कर सकते हो अन्यथा वह आपको १ इंच वह कृत्य नहीं देगी जो आप नहीं कर सकते |
प्रश्न: मैं जानना चाहता हूं कि युद्ध के दौरान लोग देश के लिए अपनी जीवन की कुर्बानी दे देते है परन्तु शांति के दौरान लोग देश के लिए कुछ भी नहीं करते?
श्री श्री रवि शंकर: हां! विशेष तौर पर युवा ! जब वे प्रशासनिक तंत्र से परेशान हो जाते है और यह देखते है कि कुछ भी ठीक से नहीं चल रहा है तो फिर उनमें देश के लिए कुछ करने की प्रतिबद्धता आती है |उन्हें सिर्फ उचित नेतृत्व की आवश्यकता हैं जो उन्हें संकट की घड़ी में अहिंसा के मार्ग से आगे ले जाएगा, यहीं सबसे ज्यादा आवश्यक है | प्रेम और अहिंसा में शक्ति होती है | बहुत लोगों को यह नहीं मालूम होता है | उत्तर अफ्रीका में जो कुछ हो रहा है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है | वहां के तानाशाह ने सत्ता को काबू किया है और वे लोगों को अपने बात उठाने ही नहीं देते | अब आप १५ शताब्दी में नहीं रह सकते | १५वी शताब्दी तानाशाहों की थी और अब लोग लोकतंत्र और स्वतंत्रता चाहते है और इन लोगों ने लोकतंत्र को स्वीकार कर लेना चाहिये | यह आवश्यक है |
प्रश्न: यदि किसी को मंगल दोष हो तो क्या करना चाहिये ?
श्री श्री रवि शंकर: मंगल दोष के लिए समाधान होता है| ॐ नमः शिवाय जप का मंत्रोचारण सभी दोषों से मुक्ति देता है |
प्रश्न: आध्यात्मिक पथ पर होते हुये क्या किसी व्यक्ति का आक्रामक होना ठीक है? कई बार कार्य स्थल पर कार्य को करवाने के लिए आक्रामक होना पड़ता है |
श्री श्री रवि शंकर: आपको आक्रामक होने की जरूरत नहीं है आपको दृढ़ और प्रभावी होना चाहिये |
प्रश्न:गुरूजी, पूरा उत्तर अफ्रीका और मध्य पूर्वी देश में इस समय उथलपुथल है और लोग शासकों के विरुद्ध लड़ रहे और भारत में भी लोग भ्रष्ट शासकों के विरुद्ध लड़ रहे है| क्या यह दिव्यता की रचना है कि ऐसा ही होना था और इसका भविष्य क्या है? कृपया कर के इस पर प्रकाश दीजिये ?
श्री श्री रवि शंकर:हां ऐसा ही प्रतीत होता है कि यह प्रकृति की रचना है कि समाज में अच्छाई आ जाये | भ्रष्ट लोगों के विरुद्ध आवाज़ उठाने का यह सही समय है |
प्रश्न: गुरूजी, पतंजलि योग सूत्र क्या है ?
श्री श्री रवि शंकर: पतंजलि ऋषि हज़ारो वर्ष पूर्व थे | शरीर की अशुद्धि को समाप्त करने के लिये उन्होंने आयुर्वेद पर कार्य किया और उस पर अपनी शोध पुस्तक लिखी| उन्होंने व्याकरण, स्वर/ध्वनि विज्ञान पर भी लिखा | ध्वनि कैसे बनती है और ध्वनि और आकार में क्या संबंध है | उन्होंने ध्वनि का अर्थ समझाया और वस्तु के प्रकृति के सम्बन्ध को समझाया | यह सब उन्होंने लिखा |यदि आपने पतंजलि का अध्ययन नहीं किया तो आप संस्कृत को नहीं पढ़ सकते | पतंजलि ने व्याकरण पर भी लिखा है | फिर उन्होंने योग सूत्र को भी लिखा |
प्रश्न: कई बार जब लोग आप के साथ कुछ बुरा करते है जिससे आपको बुरा लगता है और आप उन्हें माफ नहीं कर पाते और जैसे समय बीतता हैं फिर उस व्यक्ति के लिये वहीं भावना बनी रहती है | परन्तु आपको उस व्यक्ति को माफ करने की इच्छा होती है और उनसे अच्छे संबंध बनाना चाहते है |
श्री श्री रवि शंकर: हां, ध्यान करने से इसमें सहायता मिलेगी | इसकी बेहतर समझ से और फायदा होगा | यदि किसी व्यक्ति ने आप के साथ कुछ बुरा किया है तो आप उसे पहले इस दृष्टिकोण से देखे वह सिर्फ एक डाकिया था जिसने आप के साथ वह किया | फिर ऐसे सोचे कि वह व्यक्ति अज्ञानी था जिसे यह नहीं मालूम था कि वह क्या कर रहा है और क्यों कर रहा है | फिर यह सोचे कि व्यक्ति स्वयं ही पीड़ित हैं और उसने उस रूप से वह गलती करी| इस तरह से आप अपने दृष्टिकोण को व्यापक बना लेंगे | फिर आप पायेंगे कि सब कुछ बदल रहा है |
प्रश्न:आपने अपने किसी चर्चा में कहा है कि तीन बातें गृह को नष्ट करते है : गैरसमझ,गलत जानकारी और दुरुपयोग, इनसे हमें कैसे राहत मिल सकती है ?
श्री श्री रवि शंकर: हां! अपने संपर्क क्षमता में सुधार करे,बेहतर समझ रखें और लोगों पर संदेह न करें |
प्रश्न: क्या यह एक तरफा कृत्य नहीं होगा ?
श्री श्री रवि शंकर:आप अपने तरफ से कृत्य करें और फिर उसे छोड़ दीजिये |
© The Art of Living Foundation
प्रश्न: गुरूजी आजकल युवा ड्रग्स, शराब, अश्लील चित्र और फिल्म देखने में बहुत रूचि रखते है, आपकी पालकों को क्या सलाह हैं कि वे किशोरों से कैसे निपटे और उनसे कैसे बेहतर संबंध स्थापित करे ?
श्री श्री रवि शंकर: हां यह एक नाजुक विषय है क्योंकि किशोर अवस्था के बच्चों को यह नहीं पसंद आता कि उनके पालक उन पर अधिकार जतायें | सामान्यता उस उम्र में यह प्रवृतियां होती है इसलिए पालकों को समझदारी से काम लेना होगा और एक दूसरे को समझना होगा | आपको किशोरों को व्यस्त रखना चाहिए और उन्हें भरपूर मनोरंजन और खेलकूद के अवसर प्रदान करने चाहिए | उन्हें इतना सारा काम दीजिए कि उनके पास कुछ और करने का समय ही न रह जाए | जब वे घर पर आये तो वे इतने थके होना चाहिए कि उन्हें तुरंत ही नींद आ जाए | उन्हें जिम और तैरने जाना चाहिये| जब कोई एक घंटे तैरता है और फिर कुछ देर व्यायाम करता है, तो उसकी पूरी उर्जा समाप्त हो जाती है और उसे फिर सिर्फ सोना होता है |सुबह जब वे ताज़गी के साथ उठते है तब उन्हें संगीत सीखना चाहिये और पहेलियां सुलझाने देना चाहिये, उन्हें अधिक से अधिक जानकारी, मनोरंजन और शिक्षा मुहैया करानी चाहिये | इस तरह आप किशोरों को इंटरनेट पर अश्लील चित्र और फिल्म को देखने दूर रख सकते है |
प्रश्न: गुरूजी, जब आप मेरी उम्र के थे तो आप का जीवन कैसा था? मेरी उम्र १४ वर्ष है |
श्री श्री रवि शंकर:वह काफी रोमांचक थी ! मैंने अपने जीवन के शुरवाती वर्ष मेरे से बड़ी उम्र के लोगों के साथ बिताये |
प्रश्न: गुरूजी मेरे पालक नहीं चाहते कि मैं शाकाहारी बन जाऊँ | मैं उन्हें कैसे समझाऊँ ?
श्री श्री रवि शंकर: आप उनसे सिर्फ यह कह दीजिये कि ‘मैं शाकाहारी बनना चाहता हूं’ फिर वे आपकी बात मान जायेंगे |
प्रश्न: गुरूजी, मैं भगवान पर भरोसा नहीं करता, क्या यह बुरी बात है ?
श्री श्री रवि शंकर: कोई बात नहीं, कम से कम अपने आप पर भरोसा करो | आपको पता होना चाहिये कि आप कौन है | आप सत्य, सच्चाई, प्रेम और करुणा पर विश्वास रखें, यह भगवान के गुण हैं !!
प्रश्न: गुरूजी मेरे पालक मुझ से बहुत प्रेम करते है और कई बार उनका इतना अधिक प्रेम मेरे लिए बहुत घुटन बन जाता है | मैं क्या करू ?
श्री श्री रवि शंकर: यह समस्या दो तरफा है | कभी कभी आपको लगता है कि वे आपसे प्रेम नहीं करते और वह भी सच नहीं है |कभी कभी आपको लगता है कि वे आपसे बहुत अधिक प्रेम करते है और वह घुटन लगता है |और फिर क्या करे? आपको घुटन कब महसूस होती है? जब आप कुछ गलत करने वाले होते है | जब आप की चेतना आपसे यह कहती है कि यह गलत है ‘मुझे यह नहीं करना चाहिये’ फिर आपको आपके पालकों से घुटन महसूस होती है | जब इस किस्म का ध्यान आप पर रखा जा रहा हो तो कुछ घुटन होना भी ठीक है | कुछ गलत करने का आप में यदि पाप की भावना लाता है तो वह भी ठीक है| यह आपको सुरक्षित करने की चेतावनी है |
प्रश्न: गुरूजी संगीत मेरी जिंदगी है परन्तु मेरे आस पास के अधिकांश लोग ड्रग इत्यादि का सेवन करते है और उनमें बुरी आदतें है | मैं कैसे इससे बिना प्रभावित होकर अपना कृत्य करते रहूं?
श्री श्री रवि शंकर: अपनी संगीत साधना पर अटल रहें , वहीं ठीक है |
प्रश्न: ऐसा क्यों कहा जाता है कि हिंसा प्रेरित और डरावनी फिल्मों को नहीं देखना चाहिये, क्या उसका मन पर प्रभाव होता है?
श्री श्री रवि शंकर: आपको क्या लगता है? डरावनी फिल्म को देखने के बाद क्या आपको रात में डरावने सपने आते है? यदि हां, तो उसे न देखें| आप साल में उसे एक बार देख सकते है क्योंकि उसका प्रभाव काफी समय के लिये होता है, इसलिये संभवतः उसे टाल देना ही बेहतर है |
प्रश्न: गुरूजी मेरे पालक मुझ पर बिना वजह ही हाथ उठाते है | मैं उस समय उनका कैसे सम्मान करूं और उन्हें कैसे स्वीकार करूं?
श्री श्री रवि शंकर: वे ऐसा बिना कारण नहीं करेंगे | जब वे अच्छे मनोभाव में हो तो उन्हें आर्ट ऑफ लिविंग बेसिक कोर्से करने को कहें | उन्हें बेसिक कोर्से करने के लिये मनाएं और हम उन्हें सिखायेंगे कि वे आप पर हाथ न उठायें |
प्रश्न:गुरूजी जब मैंने कोर्से किया तो दुसरे बच्चों ने बताया कि उन्हें अनूठे अनुभव आये परन्तु मुझे कोई भी अनुभव नहीं आया | मुझे इसकी बहुत जिज्ञासा हैं और मुझे भी इसे अनुभव करना है| मैं क्या करूं?
श्री श्री रवि शंकर: यह बात कि आप इसमें भाग ले रहे है तो निश्चित ही इससे आपको लाभ होगा अन्यथा आप यह प्रश्न नहीं कर रहे होते | आप दूसरों के अनुभव से अपनी तुलना न करें | कोई व्यक्ति कहेगा कि उसे यह अनुभव हुआ और कोई अन्य व्यक्ति कुछ और कहेगा, फिर आप अपने अनुभव और अपने आप पर संशय करने लगेंगे | आपको कभी भी ऐसा नहीं करना चाहिये |
प्रश्न: गुरूजी हम आपसे कुछ न कुछ प्रश्न करते रहते है,हम आपके लिए क्या कर सकते है?
श्री श्री रवि शंकर: अधिक से अधिक लोगो में हमारे संदेश का प्रचार करें |
प्रश्न: कुछ लोग बिना किसी कारण निराश हो जाते है, ऐसे में हम क्या कर सकते है?
श्री श्री रवि शंकर:लोगों को अच्छे भोजन का सेवन करने की, और अच्छा स्वास्थ्य रखने की सलाह दीजिये, यह काफी जरूरी हैं |
प्रश्न:जो लोग आर्ट ऑफ लिविंग कोर्से करना वहन नहीं कर सकते उनका क्या ?
श्री श्री रवि शंकर:फिर भी हम उन्हें प्रदान करेंगे | जो लोग कोर्से का शुल्क वहन नहीं कर सकते वे शिक्षक से बात करें वे उन्हें कोर्से करवा देंगे | हजारों लोग ऐसे ही कोर्से कर रहे है |
प्रश्न: इतने लोग आपको अपना गुरु मानते है, आप इतने लोगों के गुरु कैसे हो सकते है?
श्री श्री रवि शंकर:हां! मैं अपना कृत्य अच्छे से कर रहा हूं |
प्रश्न: क्या आप हर किसी व्यक्ति पर उतना ध्यान रख पाते हैं, जितनी अपेक्षा उनको आप से है?
श्री श्री रवि शंकर:हां,मुझे लगता है कि जितना संभव हो सकता हैं,उतना मैं करता हूं| हमारी चेतना इतनी विशाल होती है और उसमें कई योग्यता होती है| इसलिए हम ऐसा कर सकते है| प्रकृति आपको उतना ही कार्य करने को देगी जितना आप कर सकते हो अन्यथा वह आपको १ इंच वह कृत्य नहीं देगी जो आप नहीं कर सकते |
प्रश्न: मैं जानना चाहता हूं कि युद्ध के दौरान लोग देश के लिए अपनी जीवन की कुर्बानी दे देते है परन्तु शांति के दौरान लोग देश के लिए कुछ भी नहीं करते?
श्री श्री रवि शंकर: हां! विशेष तौर पर युवा ! जब वे प्रशासनिक तंत्र से परेशान हो जाते है और यह देखते है कि कुछ भी ठीक से नहीं चल रहा है तो फिर उनमें देश के लिए कुछ करने की प्रतिबद्धता आती है |उन्हें सिर्फ उचित नेतृत्व की आवश्यकता हैं जो उन्हें संकट की घड़ी में अहिंसा के मार्ग से आगे ले जाएगा, यहीं सबसे ज्यादा आवश्यक है | प्रेम और अहिंसा में शक्ति होती है | बहुत लोगों को यह नहीं मालूम होता है | उत्तर अफ्रीका में जो कुछ हो रहा है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है | वहां के तानाशाह ने सत्ता को काबू किया है और वे लोगों को अपने बात उठाने ही नहीं देते | अब आप १५ शताब्दी में नहीं रह सकते | १५वी शताब्दी तानाशाहों की थी और अब लोग लोकतंत्र और स्वतंत्रता चाहते है और इन लोगों ने लोकतंत्र को स्वीकार कर लेना चाहिये | यह आवश्यक है |
प्रश्न: यदि किसी को मंगल दोष हो तो क्या करना चाहिये ?
श्री श्री रवि शंकर: मंगल दोष के लिए समाधान होता है| ॐ नमः शिवाय जप का मंत्रोचारण सभी दोषों से मुक्ति देता है |
प्रश्न: आध्यात्मिक पथ पर होते हुये क्या किसी व्यक्ति का आक्रामक होना ठीक है? कई बार कार्य स्थल पर कार्य को करवाने के लिए आक्रामक होना पड़ता है |
श्री श्री रवि शंकर: आपको आक्रामक होने की जरूरत नहीं है आपको दृढ़ और प्रभावी होना चाहिये |
प्रश्न:गुरूजी, पूरा उत्तर अफ्रीका और मध्य पूर्वी देश में इस समय उथलपुथल है और लोग शासकों के विरुद्ध लड़ रहे और भारत में भी लोग भ्रष्ट शासकों के विरुद्ध लड़ रहे है| क्या यह दिव्यता की रचना है कि ऐसा ही होना था और इसका भविष्य क्या है? कृपया कर के इस पर प्रकाश दीजिये ?
श्री श्री रवि शंकर:हां ऐसा ही प्रतीत होता है कि यह प्रकृति की रचना है कि समाज में अच्छाई आ जाये | भ्रष्ट लोगों के विरुद्ध आवाज़ उठाने का यह सही समय है |
प्रश्न: गुरूजी, पतंजलि योग सूत्र क्या है ?
श्री श्री रवि शंकर: पतंजलि ऋषि हज़ारो वर्ष पूर्व थे | शरीर की अशुद्धि को समाप्त करने के लिये उन्होंने आयुर्वेद पर कार्य किया और उस पर अपनी शोध पुस्तक लिखी| उन्होंने व्याकरण, स्वर/ध्वनि विज्ञान पर भी लिखा | ध्वनि कैसे बनती है और ध्वनि और आकार में क्या संबंध है | उन्होंने ध्वनि का अर्थ समझाया और वस्तु के प्रकृति के सम्बन्ध को समझाया | यह सब उन्होंने लिखा |यदि आपने पतंजलि का अध्ययन नहीं किया तो आप संस्कृत को नहीं पढ़ सकते | पतंजलि ने व्याकरण पर भी लिखा है | फिर उन्होंने योग सूत्र को भी लिखा |
प्रश्न: कई बार जब लोग आप के साथ कुछ बुरा करते है जिससे आपको बुरा लगता है और आप उन्हें माफ नहीं कर पाते और जैसे समय बीतता हैं फिर उस व्यक्ति के लिये वहीं भावना बनी रहती है | परन्तु आपको उस व्यक्ति को माफ करने की इच्छा होती है और उनसे अच्छे संबंध बनाना चाहते है |
श्री श्री रवि शंकर: हां, ध्यान करने से इसमें सहायता मिलेगी | इसकी बेहतर समझ से और फायदा होगा | यदि किसी व्यक्ति ने आप के साथ कुछ बुरा किया है तो आप उसे पहले इस दृष्टिकोण से देखे वह सिर्फ एक डाकिया था जिसने आप के साथ वह किया | फिर ऐसे सोचे कि वह व्यक्ति अज्ञानी था जिसे यह नहीं मालूम था कि वह क्या कर रहा है और क्यों कर रहा है | फिर यह सोचे कि व्यक्ति स्वयं ही पीड़ित हैं और उसने उस रूप से वह गलती करी| इस तरह से आप अपने दृष्टिकोण को व्यापक बना लेंगे | फिर आप पायेंगे कि सब कुछ बदल रहा है |
प्रश्न:आपने अपने किसी चर्चा में कहा है कि तीन बातें गृह को नष्ट करते है : गैरसमझ,गलत जानकारी और दुरुपयोग, इनसे हमें कैसे राहत मिल सकती है ?
श्री श्री रवि शंकर: हां! अपने संपर्क क्षमता में सुधार करे,बेहतर समझ रखें और लोगों पर संदेह न करें |
प्रश्न: क्या यह एक तरफा कृत्य नहीं होगा ?
श्री श्री रवि शंकर:आप अपने तरफ से कृत्य करें और फिर उसे छोड़ दीजिये |
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