१३
२०१२ मॉन्ट्रियल, कनाडा
मई
(श्री श्री रविशंकर जन्मोत्सव विशेषांक)
आज का संदेश है कि प्रत्येक मनुष्य एक मार्गदर्शक है | आप कहीं न कहीं, किसी को राह दिखा रहे हैं| या तो उन्हें सही राह पर ले जा रहे हैं, या फिर सही राह से भटकाने में आगे हैं| यह निश्चित है कि प्रत्येक मनुष्य एक नेता है| अगर आपको, हर एक को, सही राह दिखानी है तो आपके जीवन का पवित्र और बेदाग होना जरूरी है| और यही यहाँ है| यहाँ हम सभी बेदाग, बहुत स्पष्ट, बहुत निर्मल और पवित्र हैं| जबकि यह ऐसा कुछ नहीं है जो हमने प्राप्त किया है, यह एक उपहार है|
क्या आप जानते हैं, इन ५६ वर्षों में मैंने किसी को भी एक बुरा शब्द नहीं कहा है, कभी भी| बुरे से बुरा जो मैंने कहा था, वह शब्द 'मुर्ख' है| बस यही मेरे मुहँ से निकला है| लेकिन इसके लिए मैंने कभी कोई प्रयत्न नहीं किया, कोई और शब्द मेरे पास आए ही नहीं, बुरे शब्द आए ही नहीं|
अतः मैं कह रहा हूँ कि जब आप जानते हैं कि जीवन की यह पवित्रता आपकी बनाई हुई नहीं है, यह आपके पास उपहार की तरह आई है, तब विनम्रता जिंदगी में रहती है| अगर विनम्रता है, आप हमेशा आगे बढ़ते रहेंगे| वहाँ फँसने वाले कोई गुप्त-जाल नहीं है| जब विनम्रता खोती है, तभी इन्सान का पतन होता है|
प्रत्येक मनुष्य नेता है | सही मार्ग दिखने के लिए, सच्चे ज्ञान में रहने के लिये, हमें अंदर से पवित्र, बाहर से निर्मल होने की ज़रुरत है|
आप पवित्र कैसे होंगे? जब आप पवित्रता के साथ जुड़े रहेंगे, आप पवित्र हो जायेंगे| पवित्रता ज्ञान, विवेक, प्राणायाम आदि के साथ आती है| ज्ञान ने आपके लिये क्या किया? ज्ञान सरलता से आपको पवित्र और निर्मल करता है| यह साबुन की तरह है|
ज्ञान से बेहतर कुछ भी नहीं होता , जो आपको शुद्ध और पवित्र करे, हर व्यक्ति वर्तमान क्षण में निर्मल और पवित्र है| आपके अतीत में जो भी हुआ वह मायने नहीं रखता| उन चीजों को फेंक दें और अतीत जैसा भी था उसका समर्पण करें| वर्तमान क्षण में आप पवित्र है और आप निष्कलंक और निर्दोष है, इसमें विश्वास रखें| आपनी पवित्रता पर भरोसा रखें, बस वही है|
एक सीधी या परिपूर्णता अभी है |
ज्ञान आपको पवित्र बनाता है, लेकिन अगर आप सोचें 'ओह मैं सबसे पवित्र व्यक्ति हूँ| मेरे पास एक बहुत अच्छा दिल और दिमाग है', आदि, तब यह अहम भी बहुत खतरनाक हो सकता है| यह बहुत जल्दी ही आपको अपवित्र बना देता है| अतः पवित्रता का सम्मान करना चाहिए, उसे जाँचना नहीं चाहिए, यही महत्वपूर्ण है| विनीत और नम्र बनें, लेकिन ऐसा न जताएँ कि आप ही इस ग्रह के सबसे नम्र व्यक्ति है| ऐसा कहना भी बुरा/भद्दा लगता है| इसलिए अगर हम पवित्र और शुद्ध है, हम प्रत्येक मनुष्य का संसार की सही राह पर नेतृत्व कर सकते हैं|
आज का संदेश है कि प्रत्येक मनुष्य एक मार्गदर्शक है | आप कहीं न कहीं, किसी को राह दिखा रहे हैं| या तो उन्हें सही राह पर ले जा रहे हैं, या फिर सही राह से भटकाने में आगे हैं| यह निश्चित है कि प्रत्येक मनुष्य एक नेता है| अगर आपको, हर एक को, सही राह दिखानी है तो आपके जीवन का पवित्र और बेदाग होना जरूरी है| और यही यहाँ है| यहाँ हम सभी बेदाग, बहुत स्पष्ट, बहुत निर्मल और पवित्र हैं| जबकि यह ऐसा कुछ नहीं है जो हमने प्राप्त किया है, यह एक उपहार है|
क्या आप जानते हैं, इन ५६ वर्षों में मैंने किसी को भी एक बुरा शब्द नहीं कहा है, कभी भी| बुरे से बुरा जो मैंने कहा था, वह शब्द 'मुर्ख' है| बस यही मेरे मुहँ से निकला है| लेकिन इसके लिए मैंने कभी कोई प्रयत्न नहीं किया, कोई और शब्द मेरे पास आए ही नहीं, बुरे शब्द आए ही नहीं|
अतः मैं कह रहा हूँ कि जब आप जानते हैं कि जीवन की यह पवित्रता आपकी बनाई हुई नहीं है, यह आपके पास उपहार की तरह आई है, तब विनम्रता जिंदगी में रहती है| अगर विनम्रता है, आप हमेशा आगे बढ़ते रहेंगे| वहाँ फँसने वाले कोई गुप्त-जाल नहीं है| जब विनम्रता खोती है, तभी इन्सान का पतन होता है|
प्रत्येक मनुष्य नेता है | सही मार्ग दिखने के लिए, सच्चे ज्ञान में रहने के लिये, हमें अंदर से पवित्र, बाहर से निर्मल होने की ज़रुरत है|
आप पवित्र कैसे होंगे? जब आप पवित्रता के साथ जुड़े रहेंगे, आप पवित्र हो जायेंगे| पवित्रता ज्ञान, विवेक, प्राणायाम आदि के साथ आती है| ज्ञान ने आपके लिये क्या किया? ज्ञान सरलता से आपको पवित्र और निर्मल करता है| यह साबुन की तरह है|
ज्ञान से बेहतर कुछ भी नहीं होता , जो आपको शुद्ध और पवित्र करे, हर व्यक्ति वर्तमान क्षण में निर्मल और पवित्र है| आपके अतीत में जो भी हुआ वह मायने नहीं रखता| उन चीजों को फेंक दें और अतीत जैसा भी था उसका समर्पण करें| वर्तमान क्षण में आप पवित्र है और आप निष्कलंक और निर्दोष है, इसमें विश्वास रखें| आपनी पवित्रता पर भरोसा रखें, बस वही है|
एक सीधी या परिपूर्णता अभी है |
ज्ञान आपको पवित्र बनाता है, लेकिन अगर आप सोचें 'ओह मैं सबसे पवित्र व्यक्ति हूँ| मेरे पास एक बहुत अच्छा दिल और दिमाग है', आदि, तब यह अहम भी बहुत खतरनाक हो सकता है| यह बहुत जल्दी ही आपको अपवित्र बना देता है| अतः पवित्रता का सम्मान करना चाहिए, उसे जाँचना नहीं चाहिए, यही महत्वपूर्ण है| विनीत और नम्र बनें, लेकिन ऐसा न जताएँ कि आप ही इस ग्रह के सबसे नम्र व्यक्ति है| ऐसा कहना भी बुरा/भद्दा लगता है| इसलिए अगर हम पवित्र और शुद्ध है, हम प्रत्येक मनुष्य का संसार की सही राह पर नेतृत्व कर सकते हैं|
विचार, शब्द और कर्म|
आप कह सकते हैं , 'ओह, मेरे कर्म तो बहुत सही और स्पष्ट हैं, लेकिन मेरे विचारों का मैं क्या करूँ? मैं कुछ नहीं करता, लेकिन मेरे मन में ऐसा विचार आता है कि उस आदमी को गला दबाकर मार दूँ, मैं क्या करूँ?' यह एक प्रश्न है| मुझे बतायें, यहाँ आप लोगों में से कितनों के पास यह प्रश्न था? पीछे बैठे हुए कुछ लोगों के पास भी यह सवाल था| संकोच न करें, जिनके पास यह प्रश्न है, हाथ उठाएँ| देखिये, कितने सारे लोग हैं|
'गुरूजी, कर्म के द्वारा हम कुछ नहीं करते, यहाँ तक की शब्दों पर भी नियंत्रण कर सकते हैं, लेकिन विचारों का क्या करें?
मैं कहता हूँ , यह अपने आप होने लगेगा| इसलिये जब शरीर स्वच्छ रखा जाता है, तब चित्त और विचार भी स्वच्छ हो जाते हैं, और अच्छी संगति भी जरूरी है| देखिये, अगर आप ऐसे लोगों के साथ रहते हैं जो सात्विक हैं तो ऐसे विचार नहीं आते| ये कब आते हैं? जब आप ज़िद्दी, क्रोधी और उत्तेजित लोगों की संगति में रहते हैं| आप उनके विचारों की तरंगों को ले लेते हैं| अब हर समय आप एक नकारात्मक विचार पाते हैं, लेकिन दूसरों को दोष न दें| ऐसे न कहें कि 'वह आदमी यह विचार मेरे मन में डाल रहा है|' यह मन इतना चालबाज है, किसी भी स्थिति में यह आपको फँसा सकता है| इसलिये संस्कृत में एक कहावत है, 'वाच्यारंभ विकारो नामा देयस्य,' अर्थात जिस क्षण आप कुछ करते हैं, उसी क्षण वस्तु अपनी स्थिति से मुड़ने लगती है| अतः प्राणायाम, ध्यान ये सब विचारों को शुद्ध करते हैं|
आपने जो निश्चय किया है , उसे शब्द दें| जो मन को अच्छे न लगे, उन शब्दों को न कहें, और जिन्हें मुँह से नहीं निकलना चाहिए, आप ऐसी बातें न कहें| आप जानते हैं न, मैं क्या कह रहा हूँ| एक संकल्प करें, 'मैं बुरे शब्दों को नहीं कहूँगा|' 'हे भगवान!' कहना ठीक है, लेकिन कुछ और नहीं निकलना चाहिए, भले ही आप कोई गलती करें या कोई और गलती करे| लोग कहते हैं 'हे जीजस', 'हे राम', वह ठीक है, लेकिन दुसरे शब्द नहीं|
हमें अपनी भाषा को शिष्ट बनाना जरूरी है | अगर आप गलत शब्दों का प्रयोग करेंगे तो बच्चे भी वही सीखेंगे| इसलिये शब्द और फिर कर्म आते हैं| कर्म भी बहुत छोटी चीज़ है| सबसे प्रमुख आपका चित्त और मन है|
अतः हर एक व्यक्ति नेता है | आप लोगों को प्रकाश की ओर ले जाते है या अंधकार की ओर| या तो आप उन्हें ऐसी बातें कहते हैं जो उन्हें भ्रमित कर देती है| वे दया-प्रेम के बारे में, समाज के बारे में, अपने ह्रदय और चित्त में बसी अच्छी बातों को भुला देते है, और चित्त विक्षेपी बन जाते हैं, पथ भ्रष्ट हो जाते हैं| या फिर आप विवेक और ख़ुशी की ओर उनका नेतृत्व कर सकते हैं|
प्रत्येक व्यक्ति विश्वास का मान रख सकते हैं या विश्वास तोड़ सकते हैं | हर एक में यह क्षमता होती है| हालांकि हमेशा के लिए नहीं| आप किसी के भी विश्वास को हमेशा के लिये तोड़ सकते हैं, सिर्फ थोड़े समय के लिये ही ऐसा कर सकते हैं| आठ- दस सालों तक उनका मन गोल-गोल घूमता रहता है| वे विश्वास ही नहीं करते कि पृथ्वी पर अच्छे लोग होते हैं, सब कुछ बुरा है, सब लोग निराश हैं यही वे विश्वास करते हैं| यहाँ तीन चीज़ें होती हैं:
१. शक्ति के प्रति श्रद्धा , ये व्याख्या के परे है, तर्क से भी परे| एक शक्ति जिसने सारे जगत को ढक रखा है| कहीं कोई भगवान नहीं बैठे हैं, जो आपको सज़ा देने की कोशिश कर रहे है| नहीं, ऐसा भूल जाइये| यहाँ एक क़ानून है, यहाँ एक दैवी ऊर्जा है| आप इसे सृष्टि की पवित्र उर्जा कह सकते हैं, जिसका अखंड नियम है| यह ईश्वर की सर्वोत्तम परिभाषा है| ईश्वर विस्तार है या ऊर्जा है, जिनके अखंड नियम हैं, जो बेहद दयालु और प्यारे हैं| इसलिये इस प्यारी ऊर्जा पर किश्वास रखें, वही संपूर्ण जगत है|
२. लोगों की अच्छाइयों में श्रद्धा रखें | यहाँ, इस पृथ्वी पर बहुत अच्छे लोग हैं, जिनका ह्रदय अच्छा है| यहाँ सरल और निष्कलंक लोग हैं|
३. स्वयं पर विश्वास रखें |
बुरी संगती वही है जिसके कारण इन तीनों पर से विश्वास उठ जाता है |
'आप क्या कर सकते हैं? इस संसार में आप कुछ नहीं कर सकते| आइये, बैठ जाइये आप कुछ नहीं कर सकते| आप एक भ्रम में हैं|' जो स्वंय पर विश्वास का और लोगों की अच्छाइयों में श्रद्धा का नाश करे और दुनिया एक डरावनी जगह है, ऐसा चित्र हमें दें, वह बुरी संगती है|
उस दिन एक दंपति मेरे पास आये और कहा कि उनके १५ बर्ष के युवा पुत्र ने आत्महत्या कर ली और सिर्फ एक पत्र छोड़ गया, जिसमें लिखा है, 'यह संसार एक डरावनी जगह है, मुझे यहाँ कहीं भी कोई आशा नज़र नहीं आती| लोग धर्म के लिये लड़ रहे हैं, यहाँ चारों तरफ अपराध है|'
एक खुशमिज़ाज़ युवा लड़के ने कहा कि यह संसार एक अंधेरी जगह है , वह यहाँ और नहीं जीना चाहता|
आप कह सकते हैं , 'ओह, मेरे कर्म तो बहुत सही और स्पष्ट हैं, लेकिन मेरे विचारों का मैं क्या करूँ? मैं कुछ नहीं करता, लेकिन मेरे मन में ऐसा विचार आता है कि उस आदमी को गला दबाकर मार दूँ, मैं क्या करूँ?' यह एक प्रश्न है| मुझे बतायें, यहाँ आप लोगों में से कितनों के पास यह प्रश्न था? पीछे बैठे हुए कुछ लोगों के पास भी यह सवाल था| संकोच न करें, जिनके पास यह प्रश्न है, हाथ उठाएँ| देखिये, कितने सारे लोग हैं|
'गुरूजी, कर्म के द्वारा हम कुछ नहीं करते, यहाँ तक की शब्दों पर भी नियंत्रण कर सकते हैं, लेकिन विचारों का क्या करें?
मैं कहता हूँ , यह अपने आप होने लगेगा| इसलिये जब शरीर स्वच्छ रखा जाता है, तब चित्त और विचार भी स्वच्छ हो जाते हैं, और अच्छी संगति भी जरूरी है| देखिये, अगर आप ऐसे लोगों के साथ रहते हैं जो सात्विक हैं तो ऐसे विचार नहीं आते| ये कब आते हैं? जब आप ज़िद्दी, क्रोधी और उत्तेजित लोगों की संगति में रहते हैं| आप उनके विचारों की तरंगों को ले लेते हैं| अब हर समय आप एक नकारात्मक विचार पाते हैं, लेकिन दूसरों को दोष न दें| ऐसे न कहें कि 'वह आदमी यह विचार मेरे मन में डाल रहा है|' यह मन इतना चालबाज है, किसी भी स्थिति में यह आपको फँसा सकता है| इसलिये संस्कृत में एक कहावत है, 'वाच्यारंभ विकारो नामा देयस्य,' अर्थात जिस क्षण आप कुछ करते हैं, उसी क्षण वस्तु अपनी स्थिति से मुड़ने लगती है| अतः प्राणायाम, ध्यान ये सब विचारों को शुद्ध करते हैं|
आपने जो निश्चय किया है , उसे शब्द दें| जो मन को अच्छे न लगे, उन शब्दों को न कहें, और जिन्हें मुँह से नहीं निकलना चाहिए, आप ऐसी बातें न कहें| आप जानते हैं न, मैं क्या कह रहा हूँ| एक संकल्प करें, 'मैं बुरे शब्दों को नहीं कहूँगा|' 'हे भगवान!' कहना ठीक है, लेकिन कुछ और नहीं निकलना चाहिए, भले ही आप कोई गलती करें या कोई और गलती करे| लोग कहते हैं 'हे जीजस', 'हे राम', वह ठीक है, लेकिन दुसरे शब्द नहीं|
हमें अपनी भाषा को शिष्ट बनाना जरूरी है | अगर आप गलत शब्दों का प्रयोग करेंगे तो बच्चे भी वही सीखेंगे| इसलिये शब्द और फिर कर्म आते हैं| कर्म भी बहुत छोटी चीज़ है| सबसे प्रमुख आपका चित्त और मन है|
अतः हर एक व्यक्ति नेता है | आप लोगों को प्रकाश की ओर ले जाते है या अंधकार की ओर| या तो आप उन्हें ऐसी बातें कहते हैं जो उन्हें भ्रमित कर देती है| वे दया-प्रेम के बारे में, समाज के बारे में, अपने ह्रदय और चित्त में बसी अच्छी बातों को भुला देते है, और चित्त विक्षेपी बन जाते हैं, पथ भ्रष्ट हो जाते हैं| या फिर आप विवेक और ख़ुशी की ओर उनका नेतृत्व कर सकते हैं|
प्रत्येक व्यक्ति विश्वास का मान रख सकते हैं या विश्वास तोड़ सकते हैं | हर एक में यह क्षमता होती है| हालांकि हमेशा के लिए नहीं| आप किसी के भी विश्वास को हमेशा के लिये तोड़ सकते हैं, सिर्फ थोड़े समय के लिये ही ऐसा कर सकते हैं| आठ- दस सालों तक उनका मन गोल-गोल घूमता रहता है| वे विश्वास ही नहीं करते कि पृथ्वी पर अच्छे लोग होते हैं, सब कुछ बुरा है, सब लोग निराश हैं यही वे विश्वास करते हैं| यहाँ तीन चीज़ें होती हैं:
१. शक्ति के प्रति श्रद्धा , ये व्याख्या के परे है, तर्क से भी परे| एक शक्ति जिसने सारे जगत को ढक रखा है| कहीं कोई भगवान नहीं बैठे हैं, जो आपको सज़ा देने की कोशिश कर रहे है| नहीं, ऐसा भूल जाइये| यहाँ एक क़ानून है, यहाँ एक दैवी ऊर्जा है| आप इसे सृष्टि की पवित्र उर्जा कह सकते हैं, जिसका अखंड नियम है| यह ईश्वर की सर्वोत्तम परिभाषा है| ईश्वर विस्तार है या ऊर्जा है, जिनके अखंड नियम हैं, जो बेहद दयालु और प्यारे हैं| इसलिये इस प्यारी ऊर्जा पर किश्वास रखें, वही संपूर्ण जगत है|
२. लोगों की अच्छाइयों में श्रद्धा रखें | यहाँ, इस पृथ्वी पर बहुत अच्छे लोग हैं, जिनका ह्रदय अच्छा है| यहाँ सरल और निष्कलंक लोग हैं|
३. स्वयं पर विश्वास रखें |
बुरी संगती वही है जिसके कारण इन तीनों पर से विश्वास उठ जाता है |
'आप क्या कर सकते हैं? इस संसार में आप कुछ नहीं कर सकते| आइये, बैठ जाइये आप कुछ नहीं कर सकते| आप एक भ्रम में हैं|' जो स्वंय पर विश्वास का और लोगों की अच्छाइयों में श्रद्धा का नाश करे और दुनिया एक डरावनी जगह है, ऐसा चित्र हमें दें, वह बुरी संगती है|
उस दिन एक दंपति मेरे पास आये और कहा कि उनके १५ बर्ष के युवा पुत्र ने आत्महत्या कर ली और सिर्फ एक पत्र छोड़ गया, जिसमें लिखा है, 'यह संसार एक डरावनी जगह है, मुझे यहाँ कहीं भी कोई आशा नज़र नहीं आती| लोग धर्म के लिये लड़ रहे हैं, यहाँ चारों तरफ अपराध है|'
एक खुशमिज़ाज़ युवा लड़के ने कहा कि यह संसार एक अंधेरी जगह है , वह यहाँ और नहीं जीना चाहता|
क्या आप जानते हैं, ऐसा कहा जाता है कि जापान में ३०००० युवा हर बर्ष
ख़ुदकुशी करते हैं| गरीबी
के कारण नहीं, बल्कि इसलिये कि लोगों का अच्छाइयों के प्रति,
समाज के प्रति
विश्वास खत्म हो गया है| आप समझ रहे हैं, मैं क्या कह रहा हूँ?
ऐसे देखना जैसे कि प्रत्येक व्यक्ति धोखेबाज है , हर एक स्वार्थी है, कोई भी अच्छा नहीं हैं, इस तरह की असुरक्षा की भावना समाज में पनप रही है| लोग शादी के बाद भी सब कुछ अलग रखते हैं| उन्हें यह डर रहता है कि एक ही घर में रहकर भी, किसी भी समय कुछ भी हो सकता है| 'यही अच्छा है कि मैं अपनी चीज़ें रखूं और आप अपनी चीज़ें रखें| हम नहीं जानते कब आपका मन बदल जायेगा|' इसका मतलब है कि आप अपने पति या पत्नी पर भी यकीन नहीं करते| पड़ोसीयों को तो भूल ही जाइये, आप अपने खुद के बच्चों कि अच्छाइयों पर भी विश्वास नहीं करते| यही है बुरी संगति, यह लोगों की अच्छाइयों पर भी विश्वास नहीं करते| ये है बुरी संगति,यह लोगों कि अच्छाइयों पर से, समाज पर से विश्वास मिटा देती है और अंत में आपका आत्मविश्वास तोड़ देती है|
'आप कुछ भी नहीं कर सकते, कैसे आप इस संसार में कोई बदलाव ला सकते हैं? यह असंभव है| व्यवहारिक बनें| ऐसे कहने वाले एक तरह के नेता होते हैं| अंजाने में ही, वे लोगों को ऐसे मार्ग की ओर ले जाते हैं| योग्य नेता वे होते हैं जो लोगों में उत्साह, ख़ुशी, ऊर्जा लाते हैं और उन्हें आगे बढ़ने के लिए हिम्मत देते हैं, 'अगर आप दस बार असफल हो चुके हैं, तो भी मन छोटा न करें, ग्यारहवीं बार खड़े हों, दौड़ें| आप दौड़ सकते हैं| एक योग्य नेता किसी के मन में ऐसा विश्वास जगा सकता है, 'ध्यान न दें, गलतियाँ तो होती ही हैं, आगे बढ़ें|'
अपराधियों में भी अच्छाई होती है | एक अपराधी के अंदर भी एक अच्छा इंसान बैठा रहता है| हमारे बहुत से शिक्षकों ने जेल में कुशल कार्यक्रम सिखाये थे, उन्हीं से हमें पता लगा| उनसे पूछिये, जब वे कैदियों से मिले, उनसे बातें की तो कैसा लगा| एक वह,जिसे सारे संसार द्वारा अपराधी ठहराया गया है, उसके अंदर भी एक सच्चा आदमी बैठा हुआ है, क्या ऐसा नहीं है? (श्रोतायों में से बहुतों ने कहा, 'हाँ गुरूजी')
एक योग्य नेता अपराध करने वालों में भी अच्छाई खोज लेता है | एक सच्चा मार्गदर्शक आपको ख़ुशी, विश्वास और ज्ञान की ओर ले जाता है| एक अयोग्य नेता वह होता है जो सर्वोत्तम मनुष्य में, या एक बच्चे में भी कुछ गलतियाँ खोज लेता है और यह सिद्ध करने की कोशिश करता है कि वह बच्चा बुरा है| अदालतें भी बच्चों को सज़ा से आज़ादी देती हैं, क्योंकि वे बच्चे हैं, उन्हें सज़ा नहीं मिलती| लेकिन अयोग्य नेता उनमें भी दोष ढूंढ़ लेता है|
अतः आज आप लोग जान गए हैं , मुझसे मत पूछिये, 'मैं कैसे एक योग्य नेता बन सकता हूँ? सच तो यह है कि आप यहाँ है, इसका मतलब है कि आप एक अच्छे नेता हैं क्योंकि एक जैसे पंख वाले पक्षी ही झुण्ड में रहते हैं| इसलिये हम सभी ने इतने तादाद में झुण्ड लगा रखा हैं| जान के चलें कि आप एक सच्चे नेता है| इस पर संदेह न करे और न ही प्रश्न करें| हमें इस पर मुहर लगानी है| मुहर लग गई, 'मैं एक योग्य नेता हूँ'|
इस बिषय पर और सवाल न करें , ना ही जिक्र करें| ठीक है, बात पक्की!
यह न कहें कि , 'ओह मैं एक अच्छा नेता नहीं हूँ|'
आप अतीत में कैसे थे , वह एक अलग कहानी है, लेकिन अब इस बात पर मुहर लग चुकी है| आप एक योग्य और सच्चे मार्गदर्शक है| हाँ, अब आपको भूल जाना चाहिए कि आप एक अच्छे नेता हैं| आप कुछ भी नहीं है| जब आपको आलस्य का अनुभव हो, आप जड़ अवस्था में पड़े हों तब आपको जानना चाहिए कि आप एक नेता/मार्गदर्शक है| जब आप थके हों, परेशान हों और अपनी ज़िम्मेदारी के बोझ में हैं तब भूल जाईये कि आप एक मार्गदर्शक है| अगर आपको नेता बनना बोझ लगता है तो वही करते रहिये जो आप कर रहे हैं| नेता या मार्गदर्शक बनने के बारें में भूल जाइये|
हाँ काम करना बंद न करें , काम करते रहना चाहिए| ठीक है|
ऐसे देखना जैसे कि प्रत्येक व्यक्ति धोखेबाज है , हर एक स्वार्थी है, कोई भी अच्छा नहीं हैं, इस तरह की असुरक्षा की भावना समाज में पनप रही है| लोग शादी के बाद भी सब कुछ अलग रखते हैं| उन्हें यह डर रहता है कि एक ही घर में रहकर भी, किसी भी समय कुछ भी हो सकता है| 'यही अच्छा है कि मैं अपनी चीज़ें रखूं और आप अपनी चीज़ें रखें| हम नहीं जानते कब आपका मन बदल जायेगा|' इसका मतलब है कि आप अपने पति या पत्नी पर भी यकीन नहीं करते| पड़ोसीयों को तो भूल ही जाइये, आप अपने खुद के बच्चों कि अच्छाइयों पर भी विश्वास नहीं करते| यही है बुरी संगति, यह लोगों की अच्छाइयों पर भी विश्वास नहीं करते| ये है बुरी संगति,यह लोगों कि अच्छाइयों पर से, समाज पर से विश्वास मिटा देती है और अंत में आपका आत्मविश्वास तोड़ देती है|
'आप कुछ भी नहीं कर सकते, कैसे आप इस संसार में कोई बदलाव ला सकते हैं? यह असंभव है| व्यवहारिक बनें| ऐसे कहने वाले एक तरह के नेता होते हैं| अंजाने में ही, वे लोगों को ऐसे मार्ग की ओर ले जाते हैं| योग्य नेता वे होते हैं जो लोगों में उत्साह, ख़ुशी, ऊर्जा लाते हैं और उन्हें आगे बढ़ने के लिए हिम्मत देते हैं, 'अगर आप दस बार असफल हो चुके हैं, तो भी मन छोटा न करें, ग्यारहवीं बार खड़े हों, दौड़ें| आप दौड़ सकते हैं| एक योग्य नेता किसी के मन में ऐसा विश्वास जगा सकता है, 'ध्यान न दें, गलतियाँ तो होती ही हैं, आगे बढ़ें|'
अपराधियों में भी अच्छाई होती है | एक अपराधी के अंदर भी एक अच्छा इंसान बैठा रहता है| हमारे बहुत से शिक्षकों ने जेल में कुशल कार्यक्रम सिखाये थे, उन्हीं से हमें पता लगा| उनसे पूछिये, जब वे कैदियों से मिले, उनसे बातें की तो कैसा लगा| एक वह,जिसे सारे संसार द्वारा अपराधी ठहराया गया है, उसके अंदर भी एक सच्चा आदमी बैठा हुआ है, क्या ऐसा नहीं है? (श्रोतायों में से बहुतों ने कहा, 'हाँ गुरूजी')
एक योग्य नेता अपराध करने वालों में भी अच्छाई खोज लेता है | एक सच्चा मार्गदर्शक आपको ख़ुशी, विश्वास और ज्ञान की ओर ले जाता है| एक अयोग्य नेता वह होता है जो सर्वोत्तम मनुष्य में, या एक बच्चे में भी कुछ गलतियाँ खोज लेता है और यह सिद्ध करने की कोशिश करता है कि वह बच्चा बुरा है| अदालतें भी बच्चों को सज़ा से आज़ादी देती हैं, क्योंकि वे बच्चे हैं, उन्हें सज़ा नहीं मिलती| लेकिन अयोग्य नेता उनमें भी दोष ढूंढ़ लेता है|
अतः आज आप लोग जान गए हैं , मुझसे मत पूछिये, 'मैं कैसे एक योग्य नेता बन सकता हूँ? सच तो यह है कि आप यहाँ है, इसका मतलब है कि आप एक अच्छे नेता हैं क्योंकि एक जैसे पंख वाले पक्षी ही झुण्ड में रहते हैं| इसलिये हम सभी ने इतने तादाद में झुण्ड लगा रखा हैं| जान के चलें कि आप एक सच्चे नेता है| इस पर संदेह न करे और न ही प्रश्न करें| हमें इस पर मुहर लगानी है| मुहर लग गई, 'मैं एक योग्य नेता हूँ'|
इस बिषय पर और सवाल न करें , ना ही जिक्र करें| ठीक है, बात पक्की!
यह न कहें कि , 'ओह मैं एक अच्छा नेता नहीं हूँ|'
आप अतीत में कैसे थे , वह एक अलग कहानी है, लेकिन अब इस बात पर मुहर लग चुकी है| आप एक योग्य और सच्चे मार्गदर्शक है| हाँ, अब आपको भूल जाना चाहिए कि आप एक अच्छे नेता हैं| आप कुछ भी नहीं है| जब आपको आलस्य का अनुभव हो, आप जड़ अवस्था में पड़े हों तब आपको जानना चाहिए कि आप एक नेता/मार्गदर्शक है| जब आप थके हों, परेशान हों और अपनी ज़िम्मेदारी के बोझ में हैं तब भूल जाईये कि आप एक मार्गदर्शक है| अगर आपको नेता बनना बोझ लगता है तो वही करते रहिये जो आप कर रहे हैं| नेता या मार्गदर्शक बनने के बारें में भूल जाइये|
हाँ काम करना बंद न करें , काम करते रहना चाहिए| ठीक है|