तुम्हारे जीवन में जितना ही सत्व उभरता है, उतनी आसानी से तुम्हारे कार्य पूरे होते जाते हैं।

बैंगलोर आश्रम, ७ फ़रवरी २०१०

शाम के सत्संग में स्वामी रामदेव ने आकर श्री श्री का अभिवादन किया। स्वामी रामदेव का स्वागत करते हुए श्री श्री ने कहा ’भारत का उत्थान हमेशा संतों, सन्यासियों, वैरागियों द्वारा ही हुआ है। भारत के गांवों तक योग और आयुर्वेद के प्रचार में स्वामी रामदेव ने बहुत योगदान दिया है।’

स्वामी रामदेव ने भारत को भूख, गरीबी, भ्रष्टाचार और अन्य सामाजिक व्यभिचार से छुटकारा दिलाने का अपना संकल्प दोहराया, और श्री श्री का आभार प्रकट करते हुए ’आर्ट आफ़ लिविंग’ के सामाजिक विकास में रहे योगदान को सराहा।

प्रश्न : हमारे जीवन में सत्व और ध्यान की क्या महत्वता है?

श्री श्री रवि शंकर :
तुम्हारे जीवन में जितना ही सत्व उभरता है, उतनी आसानी से तुम्हारे कार्य पूरे होते जाते हैं। हमारे भीतर का सत्व और पवित्रता, हमारे कार्यों की पूर्णता निर्धारित करते हैं।अगर तुम बहुत मेहनत कर रहे हो, पर परिणाम तुम्हारी उम्मीद से कम है, तो इसका अर्थ हुआ कि जीवन में सत्व और पवित्रता की कमी है। जब हम ध्यान करते हैं तो हमारे कार्य आसानी से पूरे होते हैं। तुम में से कितनों को इसका अनुभव है? ( कई लोगों ने हाथ उठाया।)
लोगों को इस राज़ का पता नहीं है। वे सोचते हैं कि ध्यान में क्यों २०-३० मिनट गंवायें, जबकि उस समय में कोई और कार्य किया जा सकता हैं। पर वो इस बात से अंजान है।
जब भी समय मिले ध्यान करना बहुत आवश्यक है, ताकि तुम अपने कार्य आसानी से और कुशलता से पूरे कर सको।

प्रश्न : कई लोगों में जानवरों की बलि को लेकर कुछ धारणाएं हैं। इसके बारे में आपके क्या विचार हैं?

श्री श्री रवि शंकर :
जानवरों की बलि को रोकना होगा। किसी भी शास्त्र में निरीह जानवरों को मारने की स्वीकृति नहीं दी गई है। बलि का अर्थ है - अपनी पशु वृत्तियों का समर्पण करना। तुम ये बात दूसरे लोगों को भी समझा सकते हो।

प्रश्न : गुरुजी, झारखंड में कई संतों ने नक्सलवाद की समस्या से लड़ने का प्रयास किया है, पर कोई उपाय काम नहीं आ रहा।

श्री श्री रवि शंकर :
नक्सली भी मूल रूप में अच्छे लोग हैं। उन्हें बस थोड़ी समझ और दिशा देने की आवश्यकता है। धर्म और आध्यात्म की शिक्षा के अभाव में ऐसा हुआ है। अगर शिक्षा संस्थानों में थोड़ी सी धर्म और आध्यात्म की शिक्षा भी हो जाये, तो कोई नक्सली नहीं बनेगा। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर धर्म की सही शिक्षा के प्रति लापरवाही बरती गई है।

प्रश्न : हर दिन लोग आपसे इच्छा पूर्ति के लिये प्रार्थना करते है। ये प्रार्थनायें वे लोग सीधा ईश्वर से भी कर सकते हैं। क्या आपके माध्यम से प्रार्थना करने पर ईश्वर ज़्यादा ध्यान देते हैं?

श्री श्री रवि शंकर :
मैं तुम्हें इस प्रश्न के साथ रहने को कहूंगा। विस्मय मे रहने के लिये तुम्हें भी तो कुछ चाहिये। और, तुम सारी रहस्यमय बातें क्यों जान लेना चाहते हो? (हंसी)

प्रश्न : युवाओं के लिये आपकी क्या सलाह है?

श्री श्री रवि शंकर :
उन्हें सलाह चाहिये तो वे ले सकते हैं। आमतौर पर सलाह लेने को अगर कोई इच्छुक ना हो, तो मैं सलाह नहीं देता। अगर सलाह दी जाये, और उसे लेनेवाला कोई ना हो, तो वो हवा में ही रह जाती है।
मैं हमेशा से संयुक्त परिवार के पक्ष में रहा हूं - जहां कई पीढ़ियां मिल कर रहें। पर इसके लाभ और दिक्कतें, दोनों ही हैं।


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