"जो मोक्ष की भी परवाह नहीं करते उन्हें ईश्वरीय प्रेम मिलता है"

श्री श्री रवि शंकर ने आज क्या कहा:
बंगलौर आश्रम,फरवरी 24:

प्रश्न : संस्कृत भाषा के लिए आपकी क्या दृष्टि है?

श्री श्री रवि शंकर :
इसमें कोई शक नहीं कि संस्कृत एक महान और सुंदर भाषा है| ये बहुत सी भाषाओं की जननी है| रशियन,जर्मन,इंग्लिश और बहुत सी भारतीय भाषाएँ संस्कृत से जन्मी हैं| भाषा का अपना एक स्थान है पर मैं भाषाओं के परे देखता हूँ| मेरी रुचि चेतना और मन की स्तिथि में ज्यादा है - दुनिया में चेतना का स्तर कैसे बड़ाया जाए!

प्रश्न : हमें कैसे पता चल सकता है कि हमारी भक्ति पूरी तरह से परिपक्व हो गई है?

श्री श्री रवि शंकर :
इस बारे में चिंता मत करो कि तुम्हारी भक्ति परिवक्व हो गई है या नहीं| इतना जान लो कि भक्ति है| कभी भी यह मत सोचो कि तुम्हारे पास भक्ति नहीं है या तुममे में भक्ति की कमी है|

प्रश्न : दिल और दिमाग के बीच संतुलन कैसे लायें जब दोनों ही विपरीत कह रहे हों?

श्री श्री रवि शंकर :
यदि आप किसी व्यापार में हो तो अपने दिमाग की सुनो,और यदि घर या रिश्तों की बात हो तो दिल की सुनो|

प्रश्न : अच्छे और बुरे विचार आते जाते रहतें हैं,क्या इनसे कर्म बनतें हैं?

श्री श्री रवि शंकर :
नहीं, जब आप विचारों के आने जाने के साक्षी होते हो,तो कोई कर्म नहीं बनता| जब आप बुरे विचार को ले कर परेशान हो जाते हो तो आपके मन पर इसका प्रभाव पड़ता है|

प्रश्न : कृप्या कर्म और कर्म फल के बारे में बताइए|

श्री श्री रवि शंकर :
तुमने यह प्रश्न पूछा - यह कर्म है| तुम मेरे जबाब को सुन रहे हो यह भी कर्म है| जीवन केवल कर्मफल है|

प्रश्न : गुरूजी,वैदिक गणित के बारे कुछ बताइए|

श्री श्री रवि शंकर :
आश्रम में गणित का विभाग है जिसमें बहुत से वैदिक गणित के अध्यापक हैं| कुछ 16 -17 फोर्मुले (सूत्र) हैं जिनसे गणित के प्रश्न आसानी से हल किये जा सकतें हैं| सभी गणित प्रेमियों को यह जरूर पढ़ना चाहिए।

प्रश्न : आध्यात्मिकता में मोक्ष अधिक महत्वपूर्ण है या ईश्वरीय प्रेम?

श्री श्री रवि शंकर :
जिन्हें ख़ुशी की परवाह नहीं होती उन्हें मोक्ष मिलता है और वे जो मोक्ष की परवाह नहीं करते उन्हें ईश्वरीय प्रेम मिलता है|

प्रश्न : हर मनुष्य पवित्र क्यों नहीं है?

श्री श्री रवि शंकर :
प्रत्येक व्यक्ति पवित्र है। हर व्यक्ति हीरे की तरह है| हीरा मिट्‌टी में होने पर भी हीरा ही रहता है। उसे केवल उठा कर साफ़ करने की आवश्यकता है,और यह फिर से चमकने लगता है| हीरे की चमक हमेशा रहती है परन्तु धूल और कीचड़ से ढकी हो सकती है।

प्रश्न : अपने व्यवसायिक और आध्यत्मिक जीवन में संतुलन कैसे बनाएं?

श्री श्री रवि शंकर :
क्या तुमको साईंकल या मोटर बाइक चलानी आती है?कैसे संतुलन करते हो? बस वैसे ही करो|


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