"कोई भी चीज जो आनंद, उत्साह, समरसता, और करुणा लाये, और सब लोगों के साथ अपनेपन की भावना लाये आध्यात्मिकता का हिस्सा है"

शांति और समृद्धि साथ साथ चलतें हैं| यदि शांति होगी तो समृद्धि भी होगी| सारी दुनिया चाहती है कि मध्य वर्ती पूर्व में शांति हो| परन्तु हम सब जानते हैं आज जिस समस्या का सामना दुनिया को करना पड़ रहा है - वह आतंकवाद है जो जल्दी खत्म होने वला नहीं है| आज दो बड़े समुदायों में आतंकवाद ठहर गया है - एक है भारत और दूसरा इसरायल| और कोई भी राष्ट्र आतंकवाद से इतना प्रभावित नहीं है जितना भारत प्रभावित है| पिछले वर्ष हर महीने आतंकवाद का हमला हुआ| इसका कारण था हठधर्मी और कट्टरवादी| जिसको मेरे विचार में बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक शिक्षा के द्वारा टाला जा सकता है| जब कोई बच्चा यह सोच कर बड़ा होता है, ’केवल मैं स्वर्ग में जायूँगा और बाकी सब नरक में जायेंगे’ ,'वे बाकि सब के लिए नरक बना देतें हैं|

इसलिए सब को प्रेम से गले लगा कर हमें बच्चों की इस विचारधारा को बदलना होगा| किसी भी धर्म यां सांस्कृतिक भेदभाव के परे हम यह प्रयास कर रहे हैं ताकि उनका मन शांत हो सके| मन हर समय अतीत और भविष्य में भटकता रहता है| हमे इस मन को वर्तमान में लाने की जरूरत है जहाँ से यह अतीत को भूलकर और भविष्य के बारे चिंतित हुए बिना आगे बढ़ सके| मैं कहूँगा हमने लोगों को मन को कैसे संभालें इसके सिवाय सब कुछ सिखाया है| बचपन से बच्चों में गुस्सा, ईर्ष्या और घृणा है| हम उनको बोलते हैं गुस्सा मत करो,लालच मत करो,उदास मत हो| परन्तु हम उन्हें यह नहीं बताते कैसे उदास ना हो, यां इन नकारात्मक भावनाओ को कैसे छोडें|

यहाँ पर मुझे लगता है अपने श्वास की शक्ति को इस्तेमाल करना है क्योंकि श्वास मन और शरीर को जोड़ता है| श्वास की शक्ति से हम अपने मन को शांत कर सकतें हैं और अपनी धारणायों,अवलोकन और अभिव्यक्ति को बेहतर बना सकतें हैं| श्वास के द्वारा लाखों लोगों को मन शुद्ध करने में मदद मिली है| हालाँकि कुछ योग अभ्यास ५००० वर्षों से हैं पर यह सबके साथ बांटे नहीं जाते थे, परन्तु कुछ लोगों को ही बताया गया| वे अभ्यास बहुत उपयोगी थे और उपयुक्त व्यक्ति को ही सिखाये जाते थे| मैंने सोचा ये अब सबके लिए उपलब्द्ध होने चाहिए - जो सब लोगों के लिए बहुत उपयोगी हैं, भले ही वे किसी भी धर्म और संस्कृति के हों, यह कुछ ऐसा है जो मन को शांत करने के लिए है और अंदर से ख़ुशी लाने वाला है| मुझे लगा यह सारी दुनिया की संपत्ति है और इसे सबके साथ बाँटना चाहिए| तब से हमने इस ज्ञान को बाँटना शुरू किया और हमें लोगों से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली - इस से उनको गुस्से,घृणा और डर से भी छुटकारा मिला|

यहाँ इज़रायल में भी सीमा रेखा के साथ साथ लोगों में इतना ज़्यादा डर था क्योंकि कभी ही किसी भी समय धमाके ,बम या आतंकवाद का हमला होने की संभावना रहती है। ये लोग भी इन चिन्ताओ से मुक्त हो कर शांत बने और इनमें धैर्य आया| इस तरह का काम हो रहा है|

व्यापर के लिए भी यह बहुत प्रासंगिक है,जैसा कि आपको पता है कैसे व्यापारिक बाजारों में गिरावट आई, साम्यवाद को दुनिया से जाने के लिए लगभग १० वर्ष लगे| पूंजीवाद को खत्म होने में १० महीने से भी कम समय लगा। कुछ लोगों के लालच के कारण लाखों लोगों को दुःख उठाना पड़ा| ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है|

इसलिए हम यह सम्मेलन कर रहे हैं जो कारपोरेट संस्कृति और आध्यात्मिकता पर है| जिसमें यह विचार करेंगे हम कैसे इस स्थिति का सामना कर सकते हैं| आप में से बहुत से लोगों ने अपना कार्य इमानदारी और सच्चाई से किया होगा, परन्तु आप का उदाहरण लोगों के सामने लाने की आवश्यकता है। उन्हें पता चलना चाहिए कि यह कंपनी बहुत ज़िम्मेदार है, और यह अपना कार्य ईमानदारी और सच्चाई से कर रही है| इससे युवा व्यपारियों को प्रेरणा मिलेगी| इसी विचार से हम कंपनियों के संस्कृति और आध्यात्मिकता सम्मेलन कर रहे हैं जहाँ लोग यह महसूस करते हैं कि विश्वास व्यापर की रीढ़ की हड्डी है, और यदि विश्वास खो जाए तो सब कुछ खो जाता है| इस विचार को और अधिक से अधिक प्रोत्साहन दिया जा रहा है ताकि युवायों को प्रेरणा मिल सके|

जब हम सब बच्चे थे हम महात्मा गाँधी की बहुत सी कहानियां सुनते थे और उनसे प्रेरणा लेते थे| परन्तु आज,युवायों को व्यापर के क्षेत्र में अग्रणी उदाहरण चाहिए जो उन्हें ईमानदारी से व्यापर करने के लिए प्रेरित कर सकें| इसलिए यह प्रयोजना शुरू की गई| आध्यात्मिकता मेरे अनुसार वह है जो आत्मा को उन्नत करे - कोई भी चीज जो आनंद, उत्साह और समरसता लाए, और अधिक करुणा लाए और सब लोगों के साथ अपनेपन की भावना लाए आध्यात्मिकता का हिस्सा है|

आज अमेरिका में यहूदी समुदाय बहुत शक्तिशाली और सुसंगठित है|मैं दो बर्ष पहले उनके शताब्दी समारोह में मुख्य वक्ता था| वे बहुत अच्छी तरह से संगठित हैं और अमेरिका की आर्थिक उन्नति में उनका बहुत योगदान है| भारत में भी यहूदी समुदाय है| यह बहुत छोटा ,परन्तु बहुत शक्तिशाली और सुदृढ़ समुदाय है| केरल और मुंबई में हजारों वर्ष पुराने यहूदी समुदाय हैं| दो प्रकार की विचारधाराएं - तोरह और वेद सबसे पुराने हैं| सबसे पुराने धर्मों में से एक यहूदी धर्म और दूसरा हिन्दू धर्म है|

इन में बहुत सी सामानताएं हैं| दोनों एक ही बात कहतें हैं."शलोम,"और हम कहते हैं,"ॐ शांति" - सब जगह शांति हो, और सब मिलके रहे| दुनिया एक सुंदर परिवार है| यह सन्देश हमे सब जगह ले जाना है, हर घर तक पहुंचाना है| एक तो व्यक्तिगत शांति है - शांति केवल संघर्ष का ना होना ही नहीं है| यह एक आन्तरिक सकारात्मक भावना है| जब हम खुश होते हैं केवल तभी मैं समझता हूँ कि हम शांतिपूर्ण होते हैं| उस ख़ुशी को फिर से जगाना होगा|

इज़रायल में नौजवानों में बहुत कुंठा है| थोड़े बहुत आत्महत्या की कोशिशें भी हो रही हैं| इन नौजवानों का आन्तरिक शांति के लिए मार्गदर्शन किया जाना चाहिए, और यह केवल श्वास के द्वारा हो सकता है| मैं प्राय कहता हूँ हमे धर्म को धर्म निरपेक्ष बनाना होगा,व्यापर को सामाजिक , और राजनीति को अध्यात्मिक बनाना होगा| धर्मनिरपेक्ष धर्म का अर्थ है नेता यह नहीं कह सकते कि वे केवल अपने लोगों का ही ध्यान रखेंगे| उन्हें दुनिया के सभी लोगों का ध्यान रखना होगा| एक इमाम यह नहीं कह सकता कि मेरा उत्तरदायित्व केवल मुसलमानों के प्रति है| उसे कहना चाहिए मेरा उत्तरदायित्व यह देखना है कि संसार के सभी लोग खुश रहे| इसी तरह से एक इसाई पादरी यां रब्बी कह सकते है मुझे दुनिया के सभी लोगों का ध्यान है| संस्कृत में हम कहते हैं,"सर्वजन: सुखिनो भवन्तु," - दुनिया में सभी लोग सुखी रहें| धर्म की धर्म निरपेक्षता से मेरा यही मतलब है| तब हट्ठ-धर्मी और आतंकवाद खत्म हो जायेगा|
दूसरा है राजनीति को अध्यात्मिक बनाना| यदि राजनितिज्ञ आध्यत्मिक होंगे तब वे लोगों का ध्यान रखेंगे| तब भ्रष्टाचार और भाई भतीजा बाद राजनीति से ख़त्म हो जायेगा| हम महत्मा गाँधी के युग में पहुँच जायेंगे जहाँ राजनितिज्ञ लोगों का ध्यान रखते थे|

फिर व्यापार को सामाजिक बनाना| जिसका अर्थ है हर व्यापार कोई सामाजिक दायित्व ले, संस्थाओ की मदद, स्त्री और बच्चों की मदद - ना केवल उन्हें पैसे ही दें बल्कि उनके सही रहन सहन का भी रखें| यदि आपके सभी कर्मचारी खुश है, यदि वे एकीकृत है तो वे इमानदार और प्रतिबद्ध होंगे|

यदि नहीं,उन्हें बुलाओ और उनसे बात करो| यदि आपके पास समय नहीं है हम आपके लिए यह कर सकते हैं| हम इसे ए पी इ एक्स(APEX) कार्यक्रम कहते हैं जिसके लिए चार दिन का समय चाहिए| २०० से ३०० व्यापारी कम्पनियों ने यह कार्यक्रम इस्तेमाल किया है जिसमें युवा कर्मचारियों ने हिस्सा लिया, और कार्यकम ने उन्हें प्रतिबद्धता और ख़ुशी प्रदान की।ख़ुशी तो अपने अंदर से ही आती है|

प्रश्न : आओ हम एक विचार लें - की इमाम कहे,"हम अन्य धर्मों में विश्वास करने वालों का ध्यान रखते हैं," और रब्बी केवल यहूदियों के लिए ही नहीं बल्कि सबके लिए सोचे| वास्तव में हमें ऐसे विचार विकसित करने के लिए क्या करना चाहिए, क्योंकि आज के दिन सभी घटनाएं अतिवादियों के हाथ में हैं?

श्री श्री रवि शंकर :
सबसे पहले ऐसे लोगों के लिए परस्पर विश्वास और शिक्षा बहुत जरुरी है|
दूसरा उसी समुदाय में लोगों को अतिवादियों का पता लगाना होगा और उन्हें अलग करना होगा| इन सब के लिए एक निष्पक्ष व्यक्ति का वहाँ होना जरुरी है| किसी अन्य व्यक्ति को बीच में आकर बातचीत करवानी चाहिए और पास लाना चाहिए| ऐसा हमने कश्मीर में किया था| वहाँ पर १५०० हेज्बोल्लाह मोहदीन लोग थे जिनमें परिवर्तन आया| ये लोग आये और उन्होंने बताया ,"हम कुछ गलत कर रहे थे| हम लोगों को मार रहे थे|" उन्हें भारत में जेल में रखा था जहाँ हमने उनको अभ्यास करवाया था| इससे उन्हे बदलाव के लिए मौका मिला। इसलिए कल सबसे पहला कदम यही होना चाहए, आतंकवादियों को जेल में अभ्यास करवाया जाए| उनके द्वारा दुनिया के अन्य आतंकवादियों से सम्पर्क किया जा सकता है| उन्हें यह शिक्षा,यह आध्यात्मिक अनुभव दो और उन के सोचने के तरीके में परिवर्तन लाओ| मुझे पता है यह एक तत्कालिक कार्य नहीं है, इसके परिणाम में कुछ समय लगता है| २००१ में कोई भी कश्मीर नहीं जा सकता था| व्यापर बंद हो गया था| चुनावी प्रक्रिया नहीं थी| कश्मीर का राज्य अस्त व्यस्त था| तब २००४ तक हमारे कार्य से बहुत अंतर आया| आज ६९% लोगों ने मतदान किया| व्यापार शुरू हुआ हालाँकि इस सब को शुरू होने में ५ से ७ वर्ष लग गए| थोड़ा थोड़ा करके हम अंतर ला सकते हैं कुछ परिवर्तन लाया जा सकता है|

ऐसे ही हम इज़रायल और पैलस्तीन में १०० युवा ले सकते हैं जो इसके लिए कार्य करें और इन लोगों को अलग तरह से सोचने के लिए प्रशिक्षण दें| मुझे विश्वास है हमें शांति मिल सकती है, मैंने इसे इराक में सफल होते देखा है|
मैं आपको इराक का एक उदाहरण देना चाहूँगा इराक में हमने शिया और सुन्नी के बीच कार्य शुरू किया| इन दोनों के बीच बहुत दुशमनी थी| ८००० सुन्नी लोगों को शिया गाँव से निकल दिया गया था| जब हम शिया लोगों से मिलाने उन्हें शिया गावं में ले गए और उन्हें समझाया तो इसके फलस्वरूप सुन्नी वालों ने शिया वालों से वापिस आ सकने के लिए कहा| यह केवल एक उदाहरण है| ऐसे बहुत से और उदाहरण भी हैं।

मुझे पता है बहुत कुछ करने को बाकी है| मुझे पता है इराक में हमे सम्पूर्ण शांति नहीं मिली है परन्तु हम महत्वपूर्ण ढंग से आगे बढ़े हैं| हमने इराक और मोरोक्को से ५०-५० लोगों को बुलाया| ये लोग बहुत कट्टर थे| कई लोग यह सोचते थे कि वे हमें स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि हम हिन्दू हैं, और हिन्दू का मतलब मूर्ति पूजा करने वाले लिया जाता था| परन्तु केवल तीन सप्ताह के समय में वे हमारे साथ दोस्त बनने लगे और नाचने लगे| बहुत सद्भावनापूर्ण वातावरण बन गया|

हमारे यहाँ इज़रायल से २२ लोग और अरब देशों से १५० लोग थे| जब वे बैंगलोर पहुंचे ईरानी,इराकी,अरबी ,वे बहुत गुस्सा हो गये| उन्होंने कहा की उन्हें पहले क्यों नहीं बताया गया कि यहाँ इजरायली भी हैं| जैसे हमने कोई बहुत बड़ा अपराध कर दिया हो| उन्होंने कहा हमने उन्हें धोखा दिया है| परन्तु केवल तीन दिन में ही उनमें अंतर आ गया - वे एक दूसरे को पसंद और सम्मान करने लगे| अरब से १५० लोग शालोम ओर ॐ शांति गा रहे थे| इससे हमें बहुत उम्मीद हो गई हम कुछ कर सकतें है|

प्रश्न : इजरायल के बहुत से युवा अच्छे अवसर की तलाश में देश छोड़ कर कहीं और चले जा रहे हैं| क्या इससे हमारी अर्थ व्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा? कृपया बताइए|

श्री श्री रवि शंकर :
यदि यह केवल २५% लोग ही हैं तो मैं कहूँगा यह अच्छा है| उनमें अपने देश,अपने मूल स्थान के प्रति अपनेपन की भावना आयेगी| अच्छा है लोग जाएँ और इसे सब जगह फैलाएं| इसके साथ यह भी है कि विश्वविद्यालय की अर्थव्यवस्था ख़त्म हो रही है| यह ऐसे ही है मान लो आप किसी बच्चे की पढाई में मदद कर रहे हो परन्तु बच्चा कहीं और चला जाता है, और सरकार या प्रणाली में योगदान नहीं देता - कमी तो आती है| यह सार्वभौमिक समस्या है| यह केवल इज़रायल तक ही सीमित नहीं है| यह एशिया,जापान,सब जगह है| मैं कहूँगा यह विश्वविद्यालय और सरकार का उत्तरदायित्व है कि आपने जिनको शिक्षा दी है इनको अच्छे अवसर प्रदान करें| यह लोगों में आना चाहिए|

आध्यात्मिकता से आत्मा और चेतना उन्नत होती है| पैसा आपके आराम के लिए है| यह भौतिक स्तर पर आराम लाता है| हम अपना आधा स्वास्थ्य धन कमाने में लगा देते हैं और तब आधा धन अपना स्वास्थ्य वापिस लाने के लिए लगा देते हैं। इसलिए अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखो क्योंकि आपका स्वास्थ्य ही आपकी पूंजी है| यह आध्यात्मिकता का हिस्सा है| पैसे को अपनी जेब में ही रखना चाहिए,मन में नहीं| यदि आप हमेशा पैसे के बारे में ही सोचते रहोगे तो जो भी पैसा आपने कमाया है, उसका आनंद नहीं उठा सकते| इसलिए पैसा तो ज़रुरी है परन्तु कुछ और है जो इससे ज्यादा ज़रुरी है, और वह है मानवता और ख़ुशी जो पैसे से नहीं खरीदी जा सकती|

वर्तमान पीड़ी परवाह नहीं करती कि लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं| वे दिखावे में रूचि नहीं लेते जितनी पहले के लोग लेते थे| पूंजी को सम्मान का प्रतीक मानते थे,परन्तु आज की युवा पीड़ी ऐसा नहीं सोचती| जोकि बहुत अच्छा है| वे पैसा कमाते हैं केवल अपने लिए नाकी दिखावे के लिए| मैं कहूँगा युवा पीड़ी बहुत अधिक समझदार है वे जानतें हैं बहुत से लोगों के पास बहुत पैसा है परन्तु ख़ुशी नहीं है| वे मैत्रीपूर्ण नहीं हैं,न खुश हैं और हमेशा उलझे रहतें हैं| युवा लोग सोचतें है उन्हें जीवन में अधिक से अधिक हासिल करना है| यह अंतर तो है| केवल यही ज़रुरी है कि पीड़ी के अंतर को खत्म किया जाए| यह समझदारी से और शिक्षा के ज़रिये ख़त्म हो सकता है| मैं कहूँगा आज के युवा बहुत प्रतिभाशाली,चिंतापूर्ण और उपयोगी हैं| वे शराब और नशे में नहीं फस जाते| यह उनके लिए खतरा है - यदि वे इस प्रकार के नशे से प्रभावित हो जाते हैं तो यह बड़े दुःख की बात है|


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