आज प्रकाश का त्यौहार है| दीवाली का मतलब है प्रकाश का त्यौहार| आप में से हर कोई अपने आप में एक प्रकाश है| यह त्यौहार सारे भारत,नेपाल,सिंगापोर,मलेसिया,श्री लंका,इंडोनेसिया,मारीशस,सूरीनाम,त्रिनिदाद और दक्षिण अफ्रीका में मनाया जाता है| लोग एक दूसरे को दिवाली की शुभ कामनाएं देते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं| दिवाली के समय हम अतीत के सारे दुःख भूल जाते हैं| जो कुछ भी दिमाग में भरा पड़ा हो ,आप पटाखे चलाते हो और सब भूल जाते हो| पटाखों की तरह अतीत भी चला जाता है,सब जल जाता है और मन नया बन जाता है| यही दिवाली है|
एक मोमबत्ती पर्याप्त नहीं है| हर किसी को खुश और प्रकाशित होना होगा| हर किसी को खुश और बुद्धिमान होना होगा| बुद्धिमता का प्रकाश प्रज्वलित हो चुका है| रोशनी को ज्ञान का द्योतक मानते हुए हम ज्ञान रूपी प्रकाश करते है, और आज उत्सव मनाते हैं| आप क्या कहते हो?
दिवाली का सन्देश है: अतीत को जाने दो ,भूल जाओ| जीवन का उत्सव बुद्धिमता से मनाओ| बुद्धिमता के बिना वास्तव में उत्सव नहीं मनाया जा सकता| बुद्धिमता यह जान लेना है कि ईश्वर मेरे साथ है| आज के दिन हम सब के पास जो भी सम्पति है उसे देखो| याद रखो आप के पास बहुत सारी सम्पति है और पूर्णता महसूस करो| नहीं तो मन हमेशा कमी में ही रहेगा,"ओह यह नहीं है,..वो नहीं है,इसके लिए दुखी,उसके लिए दुखी| कमी की ओर से प्रचुरता की ओर बढ़ो| प्राचीन पद्वति है कि अपने सामने सभी सोने चांदी के सिक्के रखे जाते हैं, आप अपनी सारी सम्पति सामने रखते हो और कहते हो, ' देखो भगवान ने मुझे इतना सब दिया है| मैं बहुत आभारी हूँ’| बाईबल में कहा गया है जिनके पास है उन्हें और मिलेगा, और जिनके पास नहीं है ,जो भी थोड़ा बहुत है वो भी ले लिया जायेगा| उसकी प्रचुरता महसूस करो| तब आपको पता चलेगा आपको बहुत दिया गया है|
तब हम लक्ष्मी पूजा करते हैं| धन और एश्वर्य की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, और गणेश - चेतना का आवेग जो हमारे रास्ते के सारे विघ्न हर लेते है - यह जप आज के दिन किया जाता है|
यूरोप में २७ राष्ट्र हैं|हम हर राष्ट्र के लिए एक दिया जलाएंगे| तब हम कुछ देर के लिए ध्यान करेंगे| जब हम ध्यान करते हैं हम सार्वभौमिक आत्मा को अपनी प्रचुरता के लिए धन्यवाद देते हैं| हम और ज्यादा के लिए भी प्रार्थना करतें हैं ताकि हम और ज्यादा सेवा कर सकें| सोना चांदी केवल एक बाहिरी प्रतीक है। दौलत हमारे भीतर है। भीतर में बहुत सारा प्रेम,शांति और आनंद है| इससे ज़्यादा दौलत आपको और क्या चाहिए? बुद्धिमत्ता ही वास्तविक धन है| आप का चरित्र,आपकी शांति और आत्म विश्वास आपकी वास्तविक दौलत है| जब आप ईश्वर के साथ जुड़ कर आगे बढ़ते हो तो इससे बड़कर कोई और दौलत नहीं है| यह शाही विचार तभी आता है जब आप ईश्वर और अनंतता के साथ जुड़ जाते हो| जब लहर यह याद रखती है कि वह समुद्र के साथ जुड़ी हुई है और समुद्र का हिस्सा है तो विशाल शक्ति मिलती है|
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