नाद वैभवम्- संगीत वह अन्य शक्ति हैं जो हम सब को जोड़ कर रखती हैं |

३०, जनवरी २०११


संगीत का उद्देश्य आपके भीतर गहन मौन का सृजन करना होता हैं और मौन का उद्देश्य जीवन में सक्रियता का सृजन करना होता हैं
इसलिए वह मौन जो जीवन में सक्रियता का सृजन न कर सके, वह ठीक नहीं हैं और वह संगीत जिससे आपके भीतर मौन, शान्ति और सामंजस्य सृजन न कर सके वह भी ठीक नहीं हैं
यह एक विशाल यज्ञ हैं जिसमे हम सब हजारों की संख्या में एकाग्रित होकर गायन कर रहे हैं क्युकि संगीत हम सब को एक साथ जोड़ता हैं
सारी जातियो, धर्मो और महाद्वीपों में प्रेम के आलावा संगीत ही वह एक शक्ति हैं जो हम सभी को जोड़ती हैं
संगीत सब के दिल को छू लेता हैं, इसलिए यदि आप संगीतकार हैं या नहीं इसका कोई महत्त्व नहीं हैं, फिर भी सबको गाना चाहिए
जब आप गायन करने लगते हो तो आप भी संगीतकार बन जाते हैं


संगीत आपकी भावनाओ की सफाई करता हैं और उन्हें कोमल और हल्का करता हैं और जब भावनाए शुद्ध हो जाती हैं तो विचार शुद्ध हो जाते हैं ; और फिर आपको अच्छे विचार आने लगते हैं
आपका अंतर्ज्ञान का स्वरुप जाग जाता हैं और यही आध्यात्म हैं
संगीत और आध्यात्म आपस में ऐसे जुड़े हैं कि वे एक दुसरे के बिना नहीं हो सकते; विशेष रूप से इस देश में संगीत और आध्यात्म की परिकल्पना कभी भी भिन्न रूप में नहीं की गयी
५७०० संगीतकारों को एक मंच पर साथ देखना कितना आश्चर्यजनक हैं, कई और संगीतकार आना चाहते थे परन्तु मुझे बताया गया कि इस मंच पर सिर्फ इतने ही एकग्रित हो सकते हैं
मैं उन सब को भी गाता हुआ देख सकता हूँ और हम यही चाहते हैं
विश्व भर में इस कार्यक्रम में कई अन्य लोग भाग ले रहे हैं और वे भी गा रहे हैं


जब दिव्यता होती हैं तो सबकुछ संभव हैं, जब दिव्यता की कृपा हो और संगीत ही वह जरिया हैं जिससे आप स्वयं के गहन में जाकर विश्राम कर सकते हैं! एक शक्ति इस गृह के सारे जीवित प्राणियों ,पेड़ पक्षीयो और जानवरों में विराजमान हैं और उस शक्ति के कारण जब आप दिल से गाते हैं तो आप नृत्य करना शुरू कर देते हैं


जिस स्थान पर संगीत,कला,नृत्य ,ध्यान और योग मौजूद हो तो वहाँ पर हिंसा कैसे हो सकती हैं ?

योग,प्राणायाम,ध्यान और आयुर्वेद और जैविक पद्दति से उगाया हुआ भोजन ग्रहण करना , इन सब को अपने जीवन में सम्मलित करने का हमने संकल्प लेना चाहिए


क्या अब हम थोडा सा ध्यान करे ? ध्यान एकाग्रता नहीं हैं , ठीक हैं ,ध्यान एकाग्रता का अकेन्द्रिकरण हैं, वह गहन विश्राम हैं
ध्यान अस्थिरता से स्थिरता और ध्वनि से मौन की यात्रा हैं
हम अपनी खुशी/आनंद के लिए जिम्मेदार होते हैं
इसलिए हम अपने उत्साह और खुशी /आनंद को प्रबल रखने की जिम्मेदारी ले और उसके लिए आपको ध्यान, प्राणायाम , यह सब कुछ और समाज सेवा करनी होगी





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