पिछली पंजाब यात्रा में हुई श्री श्री रवि शंकर जी के साथ एक वार्ता
श्री श्री रवि शंकर: एक नेता को अपनी दृष्टि में विशालता लाने की ज़रुरत है। अगर नेताओं का सच में विस्तृत दृष्टिकोण होता तो summit in Copenhagen कभी रुकता ना। वो सारे ग्रह के बारे में नहीं सोच रहे हैं, परन्तु वो केवल अपने राष्ट्रिय हित के लिए एक छोटे दृष्टिकोण से सोच रहे हैं। अगर उनका राष्ट्रिय स्वार्थ मानवता यां ग्रह के हित से अधिक है तो वो खुद ही नुकसान में हैं। इसलिए मैं चाहता हूँ कि नेता अब आगे आएं। दुनिया में फ़ैलने वाले depression एक ज्वलंत मुद्दा है। ३० प्रतिशत यूरोप आज अवसाद से पीड़ित है और मनोविज्ञानिकों का कहना है कि इसकी संख्या बड़ सकती है। भारत में तो बहुत कम है पर यूरोप में ३० - ३८ प्रतिशत। शायद Metropolitan cities में १०-१२ प्रतिशत हो पर यूरोप में इसकी संखया ३०-३८ प्रतिशत है।
Interviewer: जो कोर्स आप ने बनाएं हैं क्या वो इसकी रोकथाम में सहायक हैं?
श्री श्री रवि शंकर:हाँ! निश्चित रूप से।
Interviewer: क्या यह वैज्ञानिक तोर से भी सिद्ध हुआ है। मेरा मतलब क्या हम medical journals पर इसकी रिसर्च देख सकते हैं?
श्री श्री रवि शंकर: हाँ! NIMHANS (National Institute of Mental Health and Neuro Sciences) और IAMS में यह प्रदर्शित हो चुका है।
Interviewer: गुरुजी, योग के कई रास्तों का प्रचलन है। कितने लोग अलग अलग योग अभ्यास करते हैं। पर एक अन्जान व्यक्ति के लिए योग का क्या अर्थ है?
श्री श्री रवि शंकर: योग जीवन का अध्ययन है। जीवन के साथ स्तर - शरीर, मन, श्वास, बुद्धि, स्मृति, अहंकार! अपनी भीतरी परतों का अध्ययन!
Interviewer: वस्तुगत स्तर पर भी और राष्ट्रिय और अंर्तराष्ट्रिय स्तर पर भी हिंसा है। इसके लिए क्या किया जा सकता है?
श्री श्री रवि शंकर:हिंसा का कारण जमा हुआ तनाव है। जब तनाव जमा होता रहता है और समय से उसे नही निकालते तो वो हिंसा यां depression का रूप ले लेता है। इन दोनो में से कोई हो सकता है। तो तनाव के साथ यां तो आत्म हत्या यां हिंसात्मक प्रवतियां पैदा होती हैं। तो योग से वो संतुलन आता है। शरीर, मन और बुद्धि में संतुलन। योग से वो योग्यता आती है। और इसीलिए कहते हैं जिस के पास कुछ योग्यता है उसके लिए मानव बनने की कला योग है। तब आप अपने भाव पर नियंत्रण कर सकते हैं, और आप का अपने व्यवहार पर काबु होता है। फ़िर आपका व्यव्हार आपके काबु में ही रहता है।
Interviewer: एक अंतिम प्रश्न! सबसे महत्वपूर्ण ऐसा क्या है जो हमे अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता है?
श्री श्री रवि शंकर: मानवीय गुण! जीवन को सम्मान देना और इसका मुख्य गुण कस्र्णा का भाव सबसे महत्व पूर्ण है!
Interviewer: शुक्रिया गुरुजी!
© The Art of Living Foundation For Global Spirituality
श्री श्री रवि शंकर: एक नेता को अपनी दृष्टि में विशालता लाने की ज़रुरत है। अगर नेताओं का सच में विस्तृत दृष्टिकोण होता तो summit in Copenhagen कभी रुकता ना। वो सारे ग्रह के बारे में नहीं सोच रहे हैं, परन्तु वो केवल अपने राष्ट्रिय हित के लिए एक छोटे दृष्टिकोण से सोच रहे हैं। अगर उनका राष्ट्रिय स्वार्थ मानवता यां ग्रह के हित से अधिक है तो वो खुद ही नुकसान में हैं। इसलिए मैं चाहता हूँ कि नेता अब आगे आएं। दुनिया में फ़ैलने वाले depression एक ज्वलंत मुद्दा है। ३० प्रतिशत यूरोप आज अवसाद से पीड़ित है और मनोविज्ञानिकों का कहना है कि इसकी संख्या बड़ सकती है। भारत में तो बहुत कम है पर यूरोप में ३० - ३८ प्रतिशत। शायद Metropolitan cities में १०-१२ प्रतिशत हो पर यूरोप में इसकी संखया ३०-३८ प्रतिशत है।
Interviewer: जो कोर्स आप ने बनाएं हैं क्या वो इसकी रोकथाम में सहायक हैं?
श्री श्री रवि शंकर:हाँ! निश्चित रूप से।
Interviewer: क्या यह वैज्ञानिक तोर से भी सिद्ध हुआ है। मेरा मतलब क्या हम medical journals पर इसकी रिसर्च देख सकते हैं?
श्री श्री रवि शंकर: हाँ! NIMHANS (National Institute of Mental Health and Neuro Sciences) और IAMS में यह प्रदर्शित हो चुका है।
Interviewer: गुरुजी, योग के कई रास्तों का प्रचलन है। कितने लोग अलग अलग योग अभ्यास करते हैं। पर एक अन्जान व्यक्ति के लिए योग का क्या अर्थ है?
श्री श्री रवि शंकर: योग जीवन का अध्ययन है। जीवन के साथ स्तर - शरीर, मन, श्वास, बुद्धि, स्मृति, अहंकार! अपनी भीतरी परतों का अध्ययन!
Interviewer: वस्तुगत स्तर पर भी और राष्ट्रिय और अंर्तराष्ट्रिय स्तर पर भी हिंसा है। इसके लिए क्या किया जा सकता है?
श्री श्री रवि शंकर:हिंसा का कारण जमा हुआ तनाव है। जब तनाव जमा होता रहता है और समय से उसे नही निकालते तो वो हिंसा यां depression का रूप ले लेता है। इन दोनो में से कोई हो सकता है। तो तनाव के साथ यां तो आत्म हत्या यां हिंसात्मक प्रवतियां पैदा होती हैं। तो योग से वो संतुलन आता है। शरीर, मन और बुद्धि में संतुलन। योग से वो योग्यता आती है। और इसीलिए कहते हैं जिस के पास कुछ योग्यता है उसके लिए मानव बनने की कला योग है। तब आप अपने भाव पर नियंत्रण कर सकते हैं, और आप का अपने व्यवहार पर काबु होता है। फ़िर आपका व्यव्हार आपके काबु में ही रहता है।
Interviewer: एक अंतिम प्रश्न! सबसे महत्वपूर्ण ऐसा क्या है जो हमे अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता है?
श्री श्री रवि शंकर: मानवीय गुण! जीवन को सम्मान देना और इसका मुख्य गुण कस्र्णा का भाव सबसे महत्व पूर्ण है!
Interviewer: शुक्रिया गुरुजी!
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