०१
२०१३
जनवरी
|
बर्लिन , जर्मनी
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ध्यान के साथ नया
साल मनाना बहुत अच्छा है |
ध्यान क्या है ? ध्यान वह अवस्था है जिससे सब कुछ आया है , और जिसमें सब कुछ जाता है | यह वो
आतंरिक मौन है जहाँ आप आनंद , खुशी और शान्ति आदि महसूस करते
हैं |
क्या आप जानते
हैं कि तीन तरह के ज्ञान होते हैं |
एक वह ज्ञान जो
हम अपनी इन्द्रियों से प्राप्त करते हैं | पाँचों इन्द्रियां हमें ज्ञान
प्रदान करती हैं | देखने से हमें ज्ञान मिलता है , सुनने से हमें ज्ञान मिलता है , छूने
से , सूंघने से और चखने से हमें घ्यान मिलता
है |
तो संवेदनाओं की
अनुभूति से हम ज्ञान प्राप्त करते हैं | ये ज्ञान का एक स्तर है |
ज्ञान का दूसरा
स्तर होता है बुद्धि से |
बुद्धि के द्वारा
हम जो ज्ञान प्राप्त करते हैं वह इन्द्रियों द्वारा प्राप्त ज्ञान से अधिक श्रेष्ठ
होता है |
हम सूरज को उगते
और डूबते देखते हैं , लेकिन बुद्धि के द्वारा हम यह जानते
हैं कि सूरज न तो उग रहा है और न ही डूब रहा है |
आप एक पेन को पानी
में डालते हैं और पेन मुड़ा हुआ दिखता है | लेकिन बौद्धिक ज्ञान से हम्ज
ये जानते हैं कि पेन वास्तव में मुड़ा हुआ नहीं है , बल्कि
वह तो केवल एक ऑप्टिकल इल्ल्युजन (प्रकाशीय भ्रम) है |
तो बौद्धिक ज्ञान
ज्यादा श्रेष्ठ है |
फिर , ज्ञान का तीसरा स्तर है जो इससे भी ज्यादा श्रेष्ठ है , और वह है अंतर्ज्ञान
| आपको पेट के अंदर
कुछ महसूस होता है , और आपको पता चल जाता है |
वह जो एक गहरे
मौन से आता है , रचनात्मकता आती हैं , या कुछ नयी खोज जन्म लेती है | ये सब
चेतना के उसी स्तर से आता है , जो ज्ञान का तीसरा स्तर है |
ध्यान इस तीसरे
स्तर के ज्ञान तक पहुँचने का दरवाज़ा खोलता है
| और ध्यान आनंद
के तीसरे स्तर तक पहुँचने का दरवाज़ा भी खोल रहा है |
आनंद के भी तीन
स्तर होते हैं |
जब हमारी इन्द्रियां
भौतिक वस्तुओं में संलग्न होती हैं , जैसे आँखें देखने में व्यस्त
होती हैं , कान सुनने में व्यस्त होते हैं , तब हम केवल देख कर , सुनकर , चख कर या छू कर ही खुश हो जाते हैं | हमें इन्द्रियों से खुशी तो मिलती है , लेकिन इन्द्रियों द्वारा खुशी पाने की क्षमता बहुत कम होती है |
देखिये , आप जब पहला डोनट (एक प्रकार का मालपुआ) खाते हैं , तो उसका स्वाद बहुत अच्छा लगता है | दूसरा खाते हैं , तो उसका स्वाद ठीक ठीक होता
है | और तीसरा खाकर लगता है कि बस बहुत हो
गया , और चौथे को खाना तो बिल्कुल सज़ा लगता
है |
ऐसा क्यों होता
है ? वे सब एक ही बेकरी में बने हैं , लेकिन आनंद लेने की हमारी क्षमता कम हो जाती है |
यही बात हमारी
बाक़ी इन्द्रियों के साथ भी है | दृष्टि , छूना , सुगंध , स्वाद और सुनना – इन सबसे मिलने वाले आनंद की
अपनी सीमा होती है | ऐसा है न ?
फिर दूसरे स्तर
का आनंद है जब आप कुछ रचनात्मक करते हैं ; जब आप कुछ नया खोजते हैं , या जब आप कोई कविता लिखते हैं या फिर जब आप कोई नये पकवान बनाते
हैं |
वह जो किसी तरह
की रचनात्मकता से आता है , अपने साथ एक तरह का आनंद लाता
है |
जब आपके एक शिशु
पैदा होता है , चाहे वह आपका पहला बच्चा हो , या तीसरा , तो वह एक तरह का जोश , एक तरह का आनंद लाता है
|
अब एक तीसरे स्तर
का आनंद भी है | एक ऐसा आनंद तो कभी कम नहीं होता , और जो इन्द्रियों के द्वारा नहीं आता , न ही रचनात्मकता के द्वारा आता है , लेकिन किसी बहुत गहरे और रहस्यमय स्थान से आता है |
उसी तरह , शान्ति , ज्ञान और आनंद – ये तीनों चीज़ें एक अन्य स्तर से आती हैं |
और जहाँ से ये
आती हैं , उसका स्त्रोत है – ध्यान |
ध्यान के लिए , तीन महत्वपूर्ण नियम हैं
|
ये तीन नियम हैं , कि अगले दस मिनट जब मैं ध्यान के लिए बैठ रहा/रही हूँ – तब तक ‘मुझे कुछ नहीं चाहिये , मुझे कुछ नहीं करना , और मैं कोई नहीं हूँ’ |
यदि हम इन तीन
आवश्यक नियमों का पालन करेंगे , तब हम गहरे ध्यान में जा पाएंगे |
शुरुआत में ध्यान
केवल एक तरह का विश्राम है |
दूसरे स्तर पर , ध्यान कुछ ऐसा है जो आपको ऊर्जा देता है ; आप और अधिक स्फूर्तिवान महसूस करते हैं |
तीसरे स्तर पर , ध्यान अपने साथ रचनात्मकता लाता है |
चौथे स्तर पर , ध्यान और अधिक उत्साह और आनंद लाता है |
ध्यान के पांचवे
स्तर का वर्णन नहीं किया जा सकता , आप उसे किसी भी तरह से समझा
नहीं सकते | ये एक तरह की एकता है – आप और ये संपूर्ण ब्रह्माण्ड | यही
ध्यान का पांचवा स्तर है , और इससे पहले आप रुकियेगा नहीं |
मैं आमतौर पर इसकी
तुलना उन लोगों के साथ करता हूँ , जो स्पेन के समुद्र तट पर या
इटली जाते हैं |
कुछ लोग वहां केवल
सैर करने जाते हैं , और वे उसी से खुश होते हैं | कुछ और जाते हैं और उसमें तैरते हैं , और तरोताज़ा महसूस करते हैं , और वे
उसी से खुश होते हैं | फिर कुछ और होते हैं , जो वहां मछली पकड़ते हैं
, या फिर स्कूबा-डाइविंग
करते हैं और बहुत से सुन्दर सुन्दर जीव-जंतु देखते हैं , और वे उससे खुश हो जाते हैं | और फिर
कुछ ऐसे लोग भी होते हैं , जो जाते हैं और समुद्र के अंदर
से खज़ाना निकल के ले आते हैं , वे और गहरे जाते हैं |
तो ज्ञान आपके
सामने ये सभी विकल्प रखता है |
सिर्फ कुछ विश्राम
पाकर ही आप रुकिए मत , सिर्फ थोड़ा सा आनंद , थोड़ा उत्साह या फिर कुछ छोटी-मोटी इच्छाएं पूरी हो जाने से रुकिए
नहीं |
क्या आप जानते
हैं , ध्यान करने से आपकी आनंद पाने की क्षमता
भी बढ़ जाती है | और ध्यान करने से आपकी खुद की इच्छाएं
पूरा करने की क्षमता भी बढ़ जाती है | और जब आपको अपने लिए कुछ नहीं
चाहिये होता , तब आप दूसरों की इच्छाएं भी पूरा कर
सकते हैं |
ये बस बहुत ही
बढ़िया है | तो इसके पहले रुकियेगा नहीं , ध्यान करते रहिये |
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