०२
२०१३
जनवरी
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बर्लिन , जर्मनी
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प्रश्न : कई कहानियों द्वारा मुझे पता चलता है कि आप सर्वव्यापी है और सब जानते है | यह (बात) कभी कभी मेरे भीतर पैदा होती है कि आपको मेरी सभी गलतियों के बारे में पता है | (मेरी) गलतियों के प्रति आपका क्या दृष्टिकोण है ? क्या आप मुझसे नाराज होते हो जब आप मुझे वही गलतियां बार बार करते हुए देखते हैं ?
श्री श्री रविशंकर : तनिक भी नहीं |
क्या आप जानते हो कि भक्त गुरू से ज्यादा शक्तिशाली होते हैं ? क्या आप जानते हैं ? यह सत्य है | आप
लोगों ने मेरी गुरू कहानियां सुनी होगी , किन्तु मेरे पास कई भक्त कहानियां है | मैं
आपके साथ एक (कहानी) बांटता हूँ | नवम्बर के आखिरी सप्ताह में , मैं महाराष्ट्र के दूर-दराज के
गावों का दौरा कर रहा था | कुछ ऐसे गांव और जिल्ले थे | जहां पर
मैं कभी नहीं गया था | कई लोग थे जो मुझे मिलने आये थे | एक गांव में
मैं अपने सचिव से कहा , ‘‘तीन
लोगों ने अपना मोबाइल फोन खो दिया है और वे तीनों काफी गरीब लोग हैं | तो
तीन नये मोबाइल फोन मेरे बैग में रख देना | तो मैंने तीन
मोबाइल फोन अपने साथ रख लिया क्योंकि मुझे लगा कि तीन लोगों ने अपना मोबाइल फोन खो
दिया हैं
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तो , जब मैं वहाँ पर
गया , कार्यक्रम खत्म
होने के बाद स्वयंसेवकों के कार्यक्रम में मैंने कहा , ‘‘कुछ लोगों ने अपना मोबाइल फोन खो दिया
हैं | मुझे
इसके बारे में पता है | जिन लोगों ने अपना मोबाइल फोन खो दिया है , कृपया खड़े हो जाईये ,’’ और केवल तीन लोग ही बड़े हुये | एक
महिला थी जो खड़ी हुई , और
मैंने उसे कहा , देखिये , आप मेरी तस्वीर के सामने गये
गुरूवार के दिन रो रहे थे | आपको पता नहीं था कि क्या करें , अपने परिवार का सामना कैसे करे
क्योंकि एक महंगा मोबाइल फोन गुम हुआ था , जो दो तीन महीने के आय के मूल्य जितना रहा होगा | यह
लीजिये , एक नया (मोबाईल
फोन) लीजिये | जब मैं यह कर रहा था (बांट रहा था) , एक लड़का समूह में से मेरे पास
आया और उससे अपनी कहानी बताई | वह एक एडवांस कोर्स में था और उसकी
पत्नी घर पर थी और उसे उनसे बात करनी थी | तो उसने वह फोन मेरी तस्वीर के सामने
रखी और कहा , ‘‘गुरूदेव
फोन चार्ज हो जाए |’’ अगली सुबह , जब वह उठा वह फोन पूरी तरह से
चार्ज हो गया था | उस लड़के में मुझे अपना फोन बताया और कहा , ‘‘देखिये डेढ़ साल से मैंने अपना
चार्जर फेंक दिया है , और अब
मैं अपना फोन केवल आपकी तस्वीर के सामने रख हूँ और वह चार्ज हो जाता है |” उसने
अपना चार्जर फेक दिया था |
मैंने कहा , ‘‘यह सच
में कुछ बात हैं |’’ मुझे भी अपने
फोन के लिए चार्जर की जरूरत पड़ती है और मेरा भक्त अपना फोन मेरी तस्वीर के सामने
रखकर चार्ज करता है |’’ देखिये भक्त
कितने शक्तिशाली हो सकते हैं | मैं इसीलिए कह रहा हूँ क्योंकि हमारी
भावनाएं , हमारी
भक्ति और हमारा प्रेम है जो यह सब संभव कर पाता है |
मैं एक दूसरी कहानी आपके साथ बांटता हूँ | मैं दक्षिण अफ्रीका
में था , किसी के घर पर
एक अतिथि के रूप में | यह करीब दस साल पहले की बात है | तो बस जोहान्सबर्ग
जाने से पहले , हम सब
अपना सामान बांध रहे थे , और
अचानक मैं दूसरे कमरे में गया ,
जहां अन्य भक्त निवास कर रहे थे और मैं कमरे में इधर उधर देखने लगा |
आमतौर पर मैं किसी के भी कमरे में ऐसे नहीं जाता | लोग हैरान थे
और सोच रहे थे कि गुरूदेव क्यों हमारे कमरे में आये है | तनिक सोचिये , मैं आपके होटल के कमरे में आता हूँ , अचानक आप हैरान हो जायेंगे | तो
लोग हैरान हो जायेंगे | तो लोग हैरान थे ‘‘गुरूदेव यहाँ क्यों आये हैं और वे बहुत
व्याकुल लग रहे हैं | वह क्या ढूंढ रहे हैं ? ‘‘फिर मैंने एक चाय के पैकेट को देखकर
पूछा , यह किसका है ?’’ उन्होंने कहा , ‘‘हमें पता नहीं | शायद
किसी का हो | मैं कभी चाय नहीं पीता , लेकिन मैंने उसे चाय के पैकेट को लिया
और अपने सूटकेस में डाला और सूटकेस बंद कर दिया | तब मैं सांस
ले सका | मैं
उस चाय के पैकेट के मिलने तक बहुत व्याकुल था | लोगों को यह
(घटना) थोड़ी सी अजीब सी लगी , कैसे
गुरूदेव एक चाय के पैकेट की चोरी की यह जानते हुए की वह हमारी नहीं थी वह किसी और
की थी , उन्होंने परवाह
नहीं की , बस उसे
लिया और चले गए | तो जब हम डर्बन से जोहान्सबर्ग उतरे , एक बुजुर्ग सज्जन मुझे हवाई
अड्डे पर मिले और उन्होंने कहा
, गुरूदेव क्या आपको वह चाय का पैकेट मिल गया तो मैंने आपके लिए भेजा था ? यह एक खास चाय है | मैंने
खुद जाकर उसे खरीदा और मुझे आपको देना था | मैंने डर्बन
नहीं आ सका इसीलिए मैंने उसे किसी के हाथों भिजवा दिया |’’ तो वह किसी के द्वारा भेजी गयी थी ? वह एक खास चाय है | मैंने
खुद जाकर उसे खरीदा और मुझे आपको देना था | मैंने डर्बन
नहीं आ सका इसलिये मैंने उसी किसी के हाथों भिजवा दिया |’’ तो वह किसी के द्वारा भेजा गया था और
उन्होंने उसे किसी दूसरे कमरे में रख दिया क्योंकि उन्हें पता है कि मैं चाय नहीं
पीता और इसीलिए उन्होंने मुझे बताया भी नहीं | यह बात थी | फिर
मैंने कहा , हां
मुझे वह चाय का पैकेट मिल गया |’’ इसका
मतलब यह है कि जब आपकी भावनाएं इतनी तीव्र होती हैं , तो तब मैं केवल एक कठपुतली होता हूँ | तो
मुझे उस चाय के पैकेट को प्राप्त करना ही था |
तो यह कहानी है कि कैसे मुझे एक चाय के पैकेट को चुराना पड़ा , जो वास्तव में चोरी नहीं है | वह
मेरे लिए ही था लेकिन उस पल यह प्रतीत हुआ कि जैसे मैं कुछ चोरी कर रहा हूँ जो
मेरा नहीं है | ऐसी कई घटनाएं हैं | आपको पता है , मैं दिल्ली में था , एक बड़े हॉल में था | उस हॉल
में बहुत भीड़ थी और कार्यक्रम के बाद लोग होटल की लॉबी में कतार में इंतज़ार कर
रहे थे | जो
लोग मेरा अनुरक्षण करना चाहते थे
, उन्होने कहा , ‘‘ओह बहुत भीड़ है | बहुत
समय लगेगा और गुरूजी को विमान पकड़ना है |” तो इसीलिए उन्होंने लोगों को चकमाना
चाहा और इसीलिए उन्होंने लोगों को चकमा देने का फैसला किया और मुझे तैखाने से सीधे
कार की ओर ले गए और हम निकल गये | आपको पता है , करीब एक हजार लोग थे जो निराश हो गये
क्योंकि मैं वहां नहीं था और मैं बीमार पड़ गया | लोग गुस्सा थे , व्याकुल थे और उस पूरे दिन मेरा सिर
दर्द करता रहा और मैं बहुत बीमार हो गया | मैंने उन लोगों से पूंछा जिन्होंने
मुझे सीधे कार की ओर लेकर सीधे हवाई अड्डे पर ले गए , “आपने ऐसा क्यों किया ? मुझे किसी को भी निराश नहीं करना
है | मैं
किसी को भी निराश नहीं करता |” मैं
क्या यह कह रहा हूँ क्योंकि जब आपकी भावनाएं इतनी तीव्र होती है और आपका प्रेम
इतना तीव्र होता है तो वह पत्थर को भी पिघला देता है | ठीक है ? तो बहुत सारी कहानियां है |
इसीलिए ध्यान का अभ्यास करने वाले
, आपको बहुत सचेत रहना पड़ेगा | आपको किसी को भी कभी भी अभिशाप नहीं
देना चाहिए | कोई भी बुरा शब्द न कहे | कुछ भी बुरा
आपके मुख से बाहर नहीं आना चाहिए | आपको पता है मैंने ५६ सालों में एक भी
बुरा शब्द नहीं कहा हैं | मैंने कभी कोई बुरा शब्द नहीं कहा है | मैं
इसके लिए श्रेय नहीं ले सकता , यह बस
आता ही नही | सबसे बुरी बात मैंने यह कही है कि , “आप मूर्ख हैं | आपने कभी भी
मुझे किसी भी बारे में कहीं भी बुरे शब्द का प्रयोग करते नहीं देखा होगा , अपने आप के साथ भी नहीं | तो एक
अभ्यासी के तौर पर , आपको
अपनी वाणी बुरे शब्दों से रहित रखनी चाहिए |
जहां तक हो सके , क्योंकि आपने शब्दों में ऊर्जा होती है | जैसे
जैसे आप ध्यान करते हैं , आपके
भीतर आशीर्वाद और श्राप देने की क्षमता आ जाती है | पहले श्राप
देने की क्षमता आती है और बाद में आशीर्वाद देने की क्षमता आती है |
इसीलिए साधक के लिए यह नियम है कि किसी के बारे में बुरा न सोचे और किसी को भी
बुरे शब्द न कहे और अपनी ओर से सकारात्मक रहे | मैं यह नहीं
कह रहा हूँ | कि आपको कभी भी गुस्सा नहीं होना चाहिए |
गुस्सा जीवन का भाग है | लेकिन यदि आप गुस्सा भी होते हो , तो अपने होंठ को और अपनी जीभ को
अपने काबू में रखे | आपको जीवन में कभी कभी गुस्सा होना पड़ेगा , यह जरूरी है लेकिन अपने मुख से
गंदे शब्दों के न बहने दे | क्योंकि आप अपनी खूब सारी ऊर्जा खर्च
करेंगे जब आप उन सब बुरे शब्दों का उपयोग करेंगे | जरा सोचिये की
अगर आप पूरे एक महीने के अपने ध्यान को गवां देंगे केवल कुछ शब्दों के वजह से | क्या
यह आर्थिक रूप से बुद्धिमानी है ? यह
हजार डॉलर खर्च करके कोक लेने जैसा है जिसका मूल्य केवल एक डॉलर है | तो
अपनी शक्ति , अपनी
ऊर्जा और अपने संकल्प को कम मत समझना | जब आप ध्यान करते हैं , आपके पास वास्तव में बहुत शक्ति
होती है |
इसीलिए पुरातन भारत में सभी ऋषि और शिक्षक शिष्यों को शिक्षा नहीं देते थे , क्योंकि उन्हें पता था कि वे
बहुत शक्तिशाली हो जायेंगे और यदि वे नियम का पालन नहीं करते हैं , तो वह एक बड़ी समस्या हो सकती है
इसीलिए वे यह ज्ञान सभी को नहीं देते थे | वे पहले उनकी बहुत परीक्षा लेते थे और
यदि वे सभी परीक्षा में उत्तीर्ण होते थे , तब वे उन्हें ध्यान वगैरह देते थे | लेकिन
मैंने कहा कि हम यह ज्ञान सभी को देंगे | यह आवश्यक है | अन्यथा यह एक
विकृत परिस्थिति हो जायेगी | यदि आप अच्छे हो तो आपको यह ज्ञान मिल
सकता है | जब तक
आपको ज्ञान नहीं मिलता आप अच्छे नहीं बन सकते | इसलिए मने
दूसरा रास्ता चुना |
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