मुंबई , १३ जनवरी २०११
आज हम तनाव या तनाव से मुक्ति के बारे में बात नहीं करेंगे और संबंधो के बारे में भी नहीं। हम कुछ और गहराई की बात करेंगे!
आप अपनी उम्र को याद करें? वह जो भी हो...२५-३० वर्ष। आप इन २५-३० वर्ष के पहले कहाँ थे? आप ५०-६० वर्ष या १०० वर्षों के उपरांत कहाँ पर होंगे? मुंबई और यह सागर आपके पहले भी यहाँ थे।
क्या आपको याद है आपने अपनी माँ के गर्भ में कैसे प्रवेश किया?
क्या आप को यह याद हैं आप इस दुनिया में कैसे आये ?
पांच वर्ष की आयु तक एक शिशु को उसका पूर्व जन्म याद रहता है| शिशु कुछ रंगों को पहचानता है या कुछ बातें कहता है परन्तु उसके पालक/बड़े बुजुर्ग उसे अनदेखा कर देते हैं|
क्या आप को पता हैं यह सारा विश्व प्राण शक्ति की क्रीडा है | यहाँ पर सब कुछ में कुछ प्राण शक्ति होती हैं | किन्तु प्राण के मात्रक (यूनिट) भिन्न होते हैं| पत्थर से लेकर वायु तक, जानवरों से लेकर मनुष्य तक, सब में अलग अलग मात्रा में प्राण उर्जा मौजूद है।
१. पत्थर (पृथ्वी) में प्राण का १ युनिट होता हैं |
२. जल में प्राण के २ युनिट होते हैं |
३. अग्नि में प्राण के ३ युनिट होते हैं |
४. वायु में प्राण के ४ युनिट होते हैं |
५. आकाश में प्राण के ५ युनिट होते हैं |
६. पेड़ और पशुओ में प्राण के ६-७ मात्रक होते हैं |
मानवो में प्राण के ८ मात्रक होते हैं | इसलिए उसे अष्टवसु कहा जाता हैं | परन्तु मनुष्य प्राणों की उच्चतम ईकाई अभिव्यक्त करने की संभावना के साथ पैदा होता है। भगवान कृष्ण में प्राण की १६ कलाएं थी, उनकी चेतना पूर्ण विकसित है और इसलिए उन्हे पद्द्मनाभा भी कहते हैं।
आप अक्सर देखते हैं कि सभी देवी/देवताओं को किसी पशु-पक्षी पर सवारी करते दर्शाते हैं | माँ दुर्गा की शेर पर सवारी! देखने में तो कितना काल्पनिक प्रतीत होता है! इसे बुद्धि आसानी से स्वीकार नहीं करती, परन्तु यह बहुत वैज्ञानिक हैं| आज विज्ञान कहता है सब कुछ तरंगों से बना है और ३३ विभिन्न प्रकार की ऊर्जा के संयोग-वियोग से सब कुछ है। प्रत्येक पशु इस ग्रह पर कुछ ब्रह्मांडीय ऊर्जा को लाते हैं| उदाहरण के लिए मोर, सरस्वती देवी (ज्ञान की देवी) की ऊर्जा लाता है | बैल के शरीर का विकिरण भगवान शिव (The transformational energy in the Nature) की चेतना को लाता है (पृथ्वी का परिवर्तनशील और ध्यानस्थ स्वरुप)| अभी इस समय सारे देवी-देवता(विभिन्न प्रकार के ऊर्जा क्षेत्र) और विभिन्न उर्जायें इस चेतना में मौजूद हैं| सारे मंत्र इन शुभ तरंगों को आमंत्रित करते हैं |
क्या आपको महीनो का अर्थ मालूम हैं ?
जनवरी ,फरवरी...नवंबर , दिसम्बर | आप महीनो के नाम लेते रहते हो और आपको उनका अर्थ नहीं मालूम!
सितम्बर (सप्त +अम्बर): ७वा आकाश
नवंबर (नव+अम्बर): ९वा आकाश
क्या आपको पता हैं कि यह महीने किस भाषा की देंन हैं ?
(अंग्रेजी)
श्री श्री: नहीं , यह सभी संस्कृत भाषा से उत्पन्न हुए हैं | ब्रह्माण्ड के शुरुवात में केवल संस्कृत भाषा ही मौजूद थी|
फरवरी को फेग एंड ( अंतिम महीना ) कहा जाता हैं |
मार्च का अर्थ है आगे बढ़ो| इराक, इरान, कुर्दिस्तान में सभी जगहों पर नव वर्ष का उत्सव मार्च के महीने में मनाते हैं | भारत में भी कई हिस्सों में इसे मार्च के महीने में मनाया जाता हैं| इसलिए दिसम्बर (दस + अम्बर : १० वा आकाश )
आप की उम्र कुछ भी हो, पर आप, आपकी चेतना बहुत प्राचीन है। गहन ध्यान में आप इसका अनुभव करते हैं। अगर अभी यह समझ ना भी आए तो कोई बात नहीं। मन के किसी कोने में इसे रखें और कभी ना कभी आपके अनुभव में यह आ ही जाएगा!
क्या आप अब मुझे इस टोपी/पगड़ी को उतारने की अनुमति देंगे ? (गुरूजी चर्चा के शुरुवात में एक सुन्दर टोपी/पगड़ी पहने हुए थे और बहुत सारे लोगो ने उनसे उसे पहने रहने का निवेदन किया था )
हमेशा की तरह १० से १५ मिनिट का ध्यान कुछ ही क्षणों में गायब हो गया। और उसके उपरान्त मधुर भजनों के साथ सत्संग का समापन हुआ|
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