जर्मन आश्रम, १ जनवरी २०११
पुराने समय में नव वर्ष पर नीम और गुड़ के साथ शुरुआत करते थे - जीवन में अच्छे और बुरे दोनो को स्वीकार करते हुए। जीवन में केवल मीठा ही हो तो वो गहराई नहीं आती। कुछ थोड़ा कड़वा जीवन में गहराई लाता है। जीवन में मुश्किल घड़ियों ने कहीं हमे मज़बूत बनाया है और अच्छे पल हमे आगे बढ़ाते हैं।पर अगर केवल मीठा ही हो जीवन में, सब अच्छा ही चलता रहे तब भी जीवन आगे नहीं चल सकता। जीवन मीठा और कड़वा, अच्छे और बुरे का मेल है। समय का फ़ेर ऐसा ही है - कभी अच्छा और कभी बुरा। जब कुछ बुरा होता है तो हमें होंसले और हिम्मत की ज़रुरत पड़ती है। जब अच्छा होता है तो दूसरों के साथ बांटने का रवैया। यह जीवन का तथ्य है। फ़िर कैलेंडर देखते थे। कैलेंडर देखकर यह याद करते थे कि पिछले बारह महीनों में कुछ अच्छा हुआ और कुछ बुरा और जिन महीनों में कुछ अच्छा नहीं हुआ उनके लिए तैयार होते थे। और फिर ध्यान करते थे ताकि सब तरह के बुरे प्रभाव कम हो जाएं और अच्छे बड़ जाएं और इस प्रार्थना के साथ कि कड़वे अनुभव हमें मज़बूत बनाएं। एक भीतरी शक्ति जाग्रित होती है। अपने भीतर उत्सव अनुभव करने के लिए सत्संग और सेवा बहुत ज़रुरी हैं। उत्सव होता है जब कुदरत की पूर्ण स्वीकृति होती है। समय और जीवन का आदर, और पिछले वर्ष में जो भी हमे मिला उसके लिए दिव्यता का शुकराना। चाहे अच्छा हुआ यां बुरा - हमे क्या करना चाहिए और हमे क्या नही करना चाहिए, और खुले दिल से नव वर्ष का स्वागत जो हमे और समृद्ध और उत्साह दे, और जीवन में और ज्ञान का समावेश हो। जब जीवन में ज्ञान होता है तो उत्सव सहज ही होता है।
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