०५
२०१२
अगस्त
|
बैंगलुरु आश्रम, भारत
|
(श्री श्री
आकाश की ओर देखते हुए)
देखिये, बादल
तो हैं ही| इस महीने के अंत तक अच्छी बारिश हो
जायेगी| अगर देश में अधर्म है और नैतिक मूल्यों
की कमी है, तो प्रकृति भी अपना क्रोध दिखाती है| जब
सारे भ्रष्ट लोग, जिन्हें हमने अपने ऊपर बिठा रखा है, लोगों के साथ अन्याय करते
हैं, तब प्रकृति भी अपना क्रोध दिखाती है|
आज हमारे देश
के किसान आत्महत्या कर रहें हैं| अगर किसानों के साथ अन्याय
होगा, तो इसका परिणाम प्रकृति के क्रोध दिखाने में होगा| इसीलिये लोगों में सच्चाई और न्याय परायणता बढ़नी चाहिये| अगर देश पर राज्य करने वाले लोग सच्चे नहीं हैं, तो देश
बर्बाद हो जाएगा, देश के लोग बर्बाद हो जायेंगे|
ये कोई नयी
बात नहीं है, ये तो सदियों से चला आ रहा है| पुराने समय में एक राजगुरु
होते थे, अगर राजा कोई गलत काम करते थे, तो ये राजगुरु राजा के कान पकड़ते थे, और
उन्हें चेतावनी देते थे, कि इससे उनकी और प्रजा दोनों की हानि होगी| आजकल, तो कोई सुनता ही नहीं है|
किसानों के
साथ अन्याय नहीं होना चाहिये|
आज से, आप सब
लोग, भोजन करने से पहले यह कहिये, ‘अन्नदाता सुखी भवः’ ; जो किसान हमें अन्न प्रदान करते हैं, वे सुखी रहें| जो व्यापारी हम तक अन्न पहुंचाते हैं और उपलब्ध कराते हैं,
वे सुखी रहें| तीसरा, घर की महिलाएं, जो खाना
पकाती हैं और परोसती हैं, वे खुश रहें| अगर ये तीनों खुश हैं, सुखी
हैं, तो विश्व भी सुखी रहेगा|
अगर घर की
महिलाएं खुश हैं, तो घर में खुशी रहेगी| अगर घर की महिलाएं दुःख,
कुंठा या गुस्से में खाना बनायेंगी, तो खाना ठीक से पचेगा नहीं, और ये हमारे मन को
भी प्रभावित करता है|
अगर व्यापारी
खुश हैं, तो वे धोखाधड़ी नहीं करेंगे, और खाने में मिलावट नहीं करेंगे| हमें शुद्ध और साफ़ भोजन मिलेगा| और तो और, वे लूट नहीं
मचाएंगे और बेतुके दाम नहीं बढ़ाएंगे|
सदियों से,
व्यापारी लोग बहुत से समाज-सेवा के कार्य करते थे, जैसे पानी की टंकियां बनवाना,
मंदिर बनवाना, और धर्मशालायें खोलना| अगर व्यापारी खुश नहीं हैं,
और लालची हो जाते हैं, तो इससे लोगों पर बहुत प्रभाव पड़ता है|
इसी तरह,
किसानों का खुश रहना भी ज़रूरी है| ये बहुत आवश्यक है|
इसलिए, इन
तीनों को ध्यान में रखते हुए, हमें प्रतिदिन, “अन्नदाता सुखी भवः” का जाप करना चाहिये|
प्रश्न :
गुरुदेव, हाल ही में, बिजली की बहुत समस्या हुई है| इस मुद्दे
से कैसे निपटें?
श्री श्री
रविशंकर : यहाँ
एक व्यक्ति आये थे, जिन्होंने ये समझाया था, कि किस तरह कूड़े-कचरे से बिजली बनायी
जा सकती है| मैंने उन्हें कर्नाटक में इसे करने
के लिए प्रेरित किया है| उन्हें किसी भी प्रकार का
१००० किलो कचरा चाहिये, जिसे वे बिजली में परिवर्तित कर सकते हैं| देखते हैं, कि ये कैसे होता है|
प्रश्न : बहुत
से महान संत, जैसे ईसा मसीह, हिंसात्मक मौत के शिकार हुए हैं| ऐसा क्यों है?
श्री श्री
रविशंकर : भगवान
कृष्ण ने इस बारे में भगवद्गीता में कहा है, ‘क्लेसो धिकतारस तेषां
अव्यक्तासक-सतसं अव्यक्ता हे गतिर दुखम देहावाद्भिर अवप्याते’ (अध्याय १२, श्लोक ५ )
यदि कोई ब्रह्मन
के अव्यक्त छवि की ही पूजा करेगा, तो उससे बहुत ज्यादा दुःख आएगा|
अगर आप ध्यान
दें, तो मोसेस, ईसा मसीह, प्रोफेट मोहम्मद, इन सब का जीवन कठिनाईयों से भरा हुआ था| गुरु नानक देव के वंश को भी बहुत कष्ट उठाने पड़े| यह इसलिए, क्योंकि उन्होंने सगुण ब्रह्मन की उपेक्षा की, और
केवल निर्गुण ब्रह्मन की पूजा करी|
यह बहुत
दिलचस्प है|
इसीलिये, कहा
गया है, ‘अविद्यया मृत्यम तीर्थ विद्यया अमृतं
स्नुते ’| सगुण और निर्गुण दोनों को अपने साथ
लेकर चलें| ‘व्यक्त’ और ‘अव्यक्त’ दोनों ज़रूरी हैं|
‘ईश्वरो गुरुरात्मेती मूर्ति भेद
विभागिने, व्योमवाद व्याप्त देहाय दक्षिनामुर्ताया नमः’ – गुरु, आत्म-ज्ञान और ईश्वर तीनों
ज़रूरी हैं| अगर हम जीवन में इन सब को साथ लेकर
चलें, तब हम इस दुनिया में और आने वाली दुनिया में खुश रहेंगे|
प्रश्न : मैं
एक किसान हूँ| मुझे एक क्विंटल मक्का के लिए १२००
रुपये मिलते हैं| लेकिन अगर मैं बंगलौर के किसी
सुपरमार्केट में जाऊं, तो वहां इससे कहीं ज्यादा दाम में बिकते हैं| क्या हम मूल्य समिति जैसा कुछ बना सकते हैं?
किसान बहुत मेहनत
करते हैं, लेकिन उन्हें अपनी फसल के लिए अच्छा दाम नहीं मिलता| क्या हम सरकार को ऐसा कोई प्रस्ताव दे सकते हैं?
श्री श्री
रविशंकर : जब मैं कश्मीर गया था, तब एक अफसर थे, जो मुझे एअरपोर्ट तक छोड़ने आये थे| वे पहले वित्तीय व कृषि मंत्रालय में रह चुके थे| वे किसानों के लिए एक ऐसी योजना लेकर आये थे, जिससे अगर किसी
वस्तु की कीमत बढ़ती है तो किसानों को सब्सिडी के बजाय ज्यादा कीमत मिलती थी| और अगर वस्तु की कीमत घट गयी, तो किसानों को कम दाम मिलता
था| इससे भारत के लिए १७ हज़ार करोड़ रुपये की बचत हो सकती थी|
लेकिन, जो
मंत्री वहां ऊपर बैठा था, उसने उन कागजों को कूड़े में फेंक दिया| क्यों? क्योंकि इससे उसे कोई जाति फ़ायदा नहीं होने वाला था|
मैंने उन अफसर
से कहा कि वे मुझे उस योजना का विवरण दें, और कहा कि ये मेरी जिम्मेदारी है कि
लोगों तक इसकी जानकारी पहुंचे|
और बहुत इस
तरह के अफसर हैं, लेकिन अधिकतर लोग उनके बारे में जानते नहीं हैं|
उन अफसर ने
मुझे बताया, कि अपनी फसल के सही दाम न मिलने के कारण किसान आत्महत्या कर रहें हैं| वस्तुओं के दाम बढ़ रहें हैं, लेकिन किसानों को सही दाम नहीं
मिल रहें हैं| और तो और, हमारे गोदामों में फसल सड़
रही है|
उन्होंने इतनी
बढ़िया योजना बनाई थी, जिससे सरकार और किसान दोनों को फ़ायदा होने वाला था| लेकिन उस मंत्री ने उसे आगे ही नहीं पहुचाया|
जब तक ऐसे
मंत्री सत्ता में हैं, समृद्धि कैसे आ सकती है? सब को साथ में मिलकर कुछ
करना चाहिये|
प्रश्न : ऐसा
कहते हैं कि मनुष्य जीवन बहुत दुर्लभ होता है| लेकिन, कुछ लोग बहुत आराम की जिंदगी
जीते हैं, और बाकी बहुत कष्ट से जीवन गुजारते हैं| ये
भेद-भाव क्यों?
श्री श्री
रविशंकर : जो
लोग खुश हैं, उन्हें दुखी लोगों के साथ बांटना चाहिये| जो लोग दुखी हैं, उन्हें त्याग-भाव के साथ अपने अंदर की
शक्ति को मज़बूत करना चाहिये|
ज्ञान से आपको
आतंरिक शक्ति मिलती है| आतंरिक शक्ति से जीवन में
धैर्य आता है और हमें दूसरों से सही आचरण करने की योग्यता देता है| इसीलिये, ज्ञान, गान और ध्यान जीवन में बहुत आवश्यक हैं|
प्रश्न : मैं
पिछले चार साल से सुदर्शन क्रिया कर रहा हूँ| मैंने अपने Pre-University की परीक्षा के लिए बहुत मेहनत से पढ़ाई भी करी थी| लेकिन, इसके बावजूद मुझे अपना मनपसंद कॉलेज और कोर्स नहीं
मिला| मैं हार चुका हूँ| मुझे कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में सीट मिली है|
श्री श्री
रविशंकर : कंप्यूटर
साइंस अच्छी ब्रांच है| उसे करिये|
घबराईये नहीं,
जो भी कोर्स मिलता है, उसे करिये| आपका जीवन अच्छा होगा| समझ गए?
आप जैसे बहुत
से छात्र हैं, जो अच्छे नंबर न मिलने पर, या अच्छे कॉलेज में सीट न मिलने पर निराश
हो जाते हैं, और आत्महत्या कर रहें हैं| ये कभी मत करियेगा| अपने खुद के जीवन को कभी भी छोटा मत समझियेगा| आपका जीवन सबसे ज्यादा बहुमूल्य है| आप नहीं जानते कि आपके अंदर क्या क्या प्रतिभाएं छिपी हैं| क्या पता आप कल को कोई बड़े मंत्री या बिज़नेसमैन बन जाएँ| सभे तरह की संभावनाएं हैं|
मुंबई में एक
ठेले पर सब्जी बेचने वाले, रामनाथ गोयनका, उन्होंने भारत में सबसे बड़ी प्रकाशन
कंपनी खोली| इसलिए, आपको दुखी नहीं होना चाहिये| अगर आपको कंप्यूटर साइंस मिला है, तो कोई बात नहीं, वही
करिये| हमारे देश में बहुत से सुधार हुए
हैं, और कंप्यूटर साइंस के क्षेत्र में और भी होंगे|
प्रश्न : आपके
सपनों का भारत कैसा है? खास तौर पर – शिक्षा, रक्षा,
अर्धव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र में?
श्री श्री
रविशंकर : मेरा
सपना है एक साफ़ और सुन्दर समाज का, जहाँ कोई हिंसा नहीं है|
छोटे छोटे
देश, जैसे भूटान, स्विट्ज़रलैंड, आयरलैंड, यहाँ कितनी शांति है| एक समय था, जब भारत में ये सब कुछ था|
लॉर्ड मेकोलय
ने कहा था, ‘मैं भारत के कोने कोने में जा चुका
हूँ और मैंने एक भी ऐसा इंसान नहीं देखा, जो भिखारी हो, चोर हो| इस देश में मैंने इतना धन देखा है, इतने ऊंचे नैतिक मूल्य
देखे हैं’|
हमारा देश
इतना प्रतापी था| हमें अपने देश को वापस उसी अवस्था में लाना है|
प्रश्न : कुछ
दिन पहले आपने कहा था, कि हमें भगवान से कुछ पाने के लिए उन्हें रिश्वत नहीं देनी
चाहिये| हिंदुत्व में हम मन्नत करते हैं,
जिसमें हम भगवान से कुछ पाने के लिए प्रार्थना करते हैं, और बदले में उन्हें कुछ
देते हैं| क्या यह उचित है?
श्री श्री
रविशंकर : मन्नत
रखना आपके अपने लिए है| ईश्वर की कृपा सबपर बराबर
है| ईश्वर आपको बिना किसी शर्त के सब कुछ देता है|
ये सिर्फ कुछ
रिवाज़ हैं| इनका आधार हमारे पुराणों में नहीं
है| अगर आप अच्छी सेवा करते हैं, तो उससे आपका अच्छा
पुण्य प्राप्त होता है, और पुण्य से खुशी आती है|
प्रश्न :
स्वामी नित्यानंद ने हिंदू सभ्यता को बर्बाद कर दिया, और तभी से लोग आश्रमों में
प्रवेश करने में हिचकने लगे हैं| ईश्वर ने ऐसा पाप करने की
अनुमति उन्हें कैसे दी? इस बारे में सोचकर मैं बहुत
दुखी हूँ|
श्री श्री
रविशंकर : ये
कोई नयी बात नहीं है| ये तो एक परंपरा है, जो चली आ रही है| रामायण में सीता भी एक सन्यासी द्वारा ठगी गयी थीं| रावण जानता था, कि यदि वह अपने आप को एक संत के भेष में बदल
लेगा, तो सीता उसपर विश्वास कर लेंगी|
विजयनगर के
राज्य का विनाश भी एक संत रूपी शत्रु द्वारा किया गया था| उसने राजा को एक ही दिन में मार डाला| ऐसा राज्य जहाँ हज़ारों हाथी और सैनिक थे, उन सब का एक ही दिन
में विनाश हो गया| यह इसलिए, क्योंकि संतों को खुली
छूट थी|
हर क्षेत्र
में इस तरह के लोग तो होंगे ही|
आज, आप इस तरह
के सारे किस्से टीवी में देखते हैं| टीचर छोटी बच्चियों के साथ
कक्षा में दुर्व्यवहार कर रहें हैं| कैसे माता-पिता को भरोसा
रहेगा, कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजें?
अस्पताल में
डॉक्टर ने एक मरीज़ का बलात्कार कर लिया| इन सबसे पता चलता है, की आज
देश में आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों को जगाने की कितनी सख्त ज़रूरत है|
हम बहुत
ज्यादा वामपंथी हो गए हैं| धर्मनिरपेक्षता के नाम पर,
देश में सभी मूल्यों को उठा कर फेंक दिया गया है| हमें
दोबारा एक धार्मिक समाज का निर्माण करना है| नहीं तो आप देख ही रहें
हैं, कि क्या हो रहा है| स्कूल, कॉलेज, अस्पताल सब
असुरक्षित हो गए हैं|
हमारे देश में
तो, टीचरों और डॉक्टरों को बहुत सम्मान दिया जाता था|
वैद्यों
नारायणो हरिः डॉक्टरों
को नारायण का अवतार माना जाता था|
नृपो
नारायण: राजा
को ईश्वर माना जाता था|
ईश्वर सब जगह
व्याप्त थे| वह एक ईश्वरीय समाज था| मगर अब हर जगह डर समाया हुआ है| लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने में डरने लगे हैं| वे आपको भर्ती करते हैं, और छोड़ देते हैं|
बहुत बार वे
कहते हैं, “ऑपरेशन कामयाब हुआ”, लेकिन मरीज़ मर जाता है|
इन सबका मूल
कारण है, आध्यात्मिक ज्ञान की कमी| इसीलिये, आप सबको टीचर बनना
चाहिये, साधक बनना चाहिये, और बहुत से लोगों को भी साधक बनाना चाहिये| तब हम निश्चय ही कोई बड़ा परिवर्तन ला पाने में सफल होंगे|
२४०
आतंकवादियों ने हथियार छोड़ दिए, और यहाँ आश्रम आकर नए जीवन की शुरुआत करी है| उनमें से एक एक की कहानी बहुत दिलचस्प है| उनमें से एक एक के ऊपर हम एक पूरा उपन्यास लिख सकते हैं|
प्रश्न :
आत्म-ज्ञान का सबसे सुलभ रास्ता क्या है?
श्री श्री
रविशंकर : ध्यान,
स्वाध्याय कि “मैं कौन हूँ”, और ये जानना कि आप क्या ‘नहीं’ है|
प्रश्न : लोग
कहते हैं, कि आत्महत्या करना पाप है, लेकिन गाँधी जी का ‘आमरण-अनशन’ का तरीका भी क्या पाप है?
श्री श्री
रविशंकर : किसी
भी तरह की आत्महत्या गलत है| मैं इसके पक्ष में नहीं हूँ| मैं नहीं मानता कि किसी को अनशन करते हुए मर जाना चाहिये|
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