जर्मनी आश्रम
मनुष्य जीवन में सबसे सौभाग्य की बात यही हो सकती है कि आप कह सकें ,"मुझे कुछ नहीं चाहिए और मैं यहाँ आपके लिए हूँ"। मुझे शुरु से ही ऐसा महसूस करने की किस्मत मिली है। मेरी इच्छा है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग ऐसा कह सकें। कल्पना कीजिए वो परिवार कैसा होगा जहाँ हर सदस्य ऐसा महसूस करता हो। ऐसी भावना सब में पहले से ही है, बस कहीं छुपी हुइ है। जब एक देश का मुखिया यह महसूस करता है कि उसे अपने लिए कुछ नहीं चाहिए और वो देश के लोगों के लिए मौजूद है तो देश का विकास होना स्वाभाविक है। और जब देश विकास करता है तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि मुखिया की कोई ज़रुरत पूरी ना हो। पर अगर हम केवल अपनी ज़रुरत पर ही ध्यान देते रहें तो हम खुद को और अपनी क्षमतायों को खिलने का मौका नहीं देते। हमे यह विश्वास होना चाहिए कि हमारी ज़रुरत पूरी होगी।
इसका यह मतलब नहीं है कि अपनी कुछ ज़रुरत होने पर तुम अपने पर दबाव डालो कि "मुझे कुछ नहीं चाहिए"। "मुझे कुछ नहीं चाहिए" - पूर्णता की स्थिति से आता है, अस्वीकार यां नकारने से नहीं। पूर्णता आध्यात्मिक ज्ञान से आती है। जब तुम सर्वोच्च ज्ञान की ओर ध्यान देते हो तो तुम्हारी ज़रुरतें समय से पहले ही पूर्ण हो जाती हैं। समाज में उपभोक्तावाद केवल भीतरी आनंद से ही रोका जा सकता है, और ऐसी खुशी आध्यात्म से ही आ सकती है। यह बहुत खुशी की बात है कि ’आर्ट ऑफ़ लिविन्ग’ विश्व की विभिन्न सुंदर सभ्यतायों को एक साथ जोड़ रहा है। हर सभ्यता और धर्म का केन्द्र प्रेम ही है, और ’आर्ट ऑफ़ लिविन्ग’ का यही आधार है। "मुझे कुछ नहीं चाहिए और मैं यहाँ आपके लिए हूँ" - विश्व भर में अधिक से अधिक लोगों में ऐसा कहने की क्षमता खिलनी चाहिए।
१३ मई - तेरा मैं, का मतलब है मैं आपका हूँ। १३ मई साल में एक बार नहीं बल्कि हर दिन और हर क्षण होना चाहिए।
अगर हमें कोई इच्छा रखनी हो तो वो यह होनी चाहिए कि विश्व में ज़्यादा से ज़्यादा लोगो का ऐसा सुन्दर भाग्य हो कि वो यह महसूस कर सकें - "मुझे कुछ नहीं चाहिए और मैं यहाँ आपके लिए हूँ"। जब हर कोई ऐसा सोचेगा तो यह दुनिया एक स्वर्ग होगी। अगर हर कोई किसी से कुछ लेने की ही सोचे तो हम वर्तमान दुनिया की स्थिति देख ही सकते है।
हम दुनिया को स्वर्ग बनाने में विकास कर रहे है, और यह देखकर बहुत अच्छा लग रहा है। तो हम हर दिन ऐसे ही मनाते हैं जैसे ’तेरा मैं’। इस ज्ञान में प्रेम, कर्म, मज़ा और उत्सव सब ही है। और इस ज्ञान से यह सब आता है।
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