२४ मई २०१०,
बैंगलोर आश्रम, भारत
प्र : यहाँ मुझे बहुत ख़ुशी और शांति मिल रही है| मेरा ह्रदय सचमुच तृप्त हो गया है| जैसे ही मैं बाहर जाता हूँ, सारी नकारात्मकता वापिस आ जाती है| मुझे भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है|इन समस्याओं से कैसे लडूँ? यहाँ से जाने के बाद सकारात्मकता कैसे बनाए रखें?
श्री श्री रवि शंकर : तुम अपने भीतर की एक ताक़त को भूल रहे हो - प्रार्थना और तुम्हारे संकल्प की शक्ति| तुम साधना करते रहो और तुम्हारी देख-भाल होती रहेगी| प्रार्थना में छोटी-मोटी चीज़ें मत माँगो| बड़ी चीज़ माँगो - सरकार अच्छी और स्थिर हो, ये ज्ञान और भी ज़्यादा लोगों तक पहुंचे| इस समाज को दिव्य बनाना तुम्हारा कार्य है| तुम एक सामूहिक आन्दोलन शुरू कर सकते हो| अच्छे लोग ज़्यादा हैं और जो दंगे करते हैं वे बहुत कम मात्रा में हैं लेकिन उनके प्रभाव से लगता है कि वे कई सारे हैं| तुम सब साथ में एकजुट हो जाओ फिर देखो तुम कैसा परिवर्तन ला सकते हो|
प्र : अपने आप पर तरस करने पर कैसे काबू पाएँ?
श्री श्री रवि शंकर : जिस क्षण तुम उसे पहचान लेते हो, उसे बंद कर सकते हो| बस, इतनी-सी बात है| अगर तुम ये किसी और के लिए पूछ रहे हो, तो केवल वे स्वयं ही इससे बाहर आ सकते हैं| इसमें सिर्फ ध्यान मदद कर सकता है| एडवांस कोर्स से भी लाभ होगा|
प्र : कई लोगों ने सुदर्शन क्रिया जैसी साधना कराना शुरू कर दिया है| इसके लिए क्या करें?
श्री श्री रवि शंकर : कई लोगों ने अपनी ख़ुद की प्रणालियाँ शरू कीं हैं| इस तरह के गलत अभ्यास ज़्यादा लंबे समय तक नहीं चलते| इन सब के बारे में फ़िक्र मत करो| लोग एक बार करके देखते हैं फिर सर दर्द के मारे यहीं वापिस आते हैं| सुदर्शन क्रिया जैसी आध्यात्मिक साधना सिर्फ शारीरिक स्तर पर नहीं होतीं| इसमें दैवी कृपा कार्य करती है| अगर कोई यह सुन्दर ज्ञान फैलाना चाहता है तो २१ दिन की टीचर ट्रेनिंग के बाद टीचर बन कर ये ज्ञान सब जगह फैलाया जा सकता है|
प्र : नकारात्मक उर्जाओं को सकारात्मक उर्जाओं में परिवर्तित कैसे किया जाए?
श्री श्री रवि शंकर : यही तो हमें करना है और यही हम कर रहे हैं| ज़्यादा से ज़्यादा युवायों को साथ में लाओ और समाज का माहौल बदलने के लिए कार्य करो |
प्र : स्मृति आशीर्वाद है या अभिशाप?
श्री श्री रवि शंकर : बुरी बातें भूलना आशीर्वाद है|अच्छी बातें भूलना अभिशाप हो सकता है|
प्र : अपनी गलती पहचानने के बाद क्या करना सबसे अच्छा होगा?
श्री श्री रवि शंकर : गलती पहचानने के बाद जीवन में चलते रहना अच्छी बात है| उसे छुपाने या सही साबित करने से कुछ नहीं होगा| अपने मन में शांति बनाए रखना ज़रुरी है। जब मन में एक ठहराव आ जाए तो चाहने पर भी तुम गलतियाँ नहीं करोगे|आत्मा के ज्ञान से भय, क्रोध और दुःख जैसी नकारात्मक भावनाएँ गायब हो जाती हैं|
प्र : आत्मा और मन में क्या फर्क है?
श्री श्री रवि शंकर : आत्मा सागर है और मन एक लहर है|
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