"आक्रमण के बाद श्री श्री रवि शंकर द्वारा कहे गए शब्द"

श्री श्री रवि शंकर ने अपनी भक्तों को चिंता ना करने को कहा।




जो ध्यान करते हैं, उनके सानिध्य में सब वैर छूट जाता है। आज सारी दुनिया आतंकवाद से पीड़ित है। ध्यान और साधना एक ही रास्ता है जिससे इस वैर को खत्म किया जा सकता है। आज श्याम यहाँ भी एक आतंकवादी आया था। उसने गोली तो चलाई पर किसी को ज़्यादा नुकसान नहीं हुआ। इस वातावरण में आकर उसके भीतर भी ज़्यादा नुकसान करने का भाव नहीं आया, वो एक गोली चला के भाग गया। उसका भी मन परिवर्तन हो गया। एक जन को पैर में थोड़ा सा लगा, नहीं तो कुछ भी हो सकता था।योगासूत्र में दिया गया ज्ञान,तत सानिध्य वैर त्याग:, ध्यान करने वालों के सानिध्य में किसी भी तरह का वैर छूट जाता है। जहाँ सब ध्यान करते हैं वहाँ ज़्यादा नुकसान हो ही नहीं सकता। जब हम २५ वर्ष पूरे होने पर उत्सव की तैयारी कर रहे थे, तब भी किसी ने कहा था, "यह हो ही नहीं सकता"। और हमने कहा था कि यह होकर ही रहेगा। हम सबको मिलकर इस ज्ञान को घर घर में फ़ैला देना है। घर घर में लोग ध्यान और योग करें तो देश भर में एक नई लहर हमको ले के आनी है। अभी एक तारीक को कई नक्सल लोग जो हिंसा में लगे हुए हैं, आ रहे हैं। वो बोले दर्शन करना चाहते हैं। हमा लोगों के साथ बैठकर वो सत्संग करेंगे, सब हिंसा छोड़ देंगे और फूल की तरह खिल जाएंगे।
देशभर में जितने लोग आतंक में लगे हुए हैं हम उन सबका स्वागत करते हैं। इस दैवी उर्जा में उनका भी मन बदल जाएगा। हरेक इंसान के अन्दर कुछ मान्यता है, दैवी गुण हैं, बस वो जगने की ज़रुरत है। कई लोग हमसे पूछते हैं कि इतने प्रचार और प्रसार की क्या ज़रुरत है। हमे क्या ज़रुरत है! हमे कुछ भी नहीं चाहिए पर जब तक यह ज्ञान लोगों तक नहीं पहुँचता, समाज शांति से नहीं रह सकता। इसलिए समाज में शांति और लोक कल्याण के लिए हम सबको काम करना पड़ेगा। अगर यहाँ एक एक आदमी ज्ञान, भक्ति और ध्यान फैलाने की ज़िम्मेदारी ले ले तो सोचो समाज कितना सुन्दर हो जाएगा। आप लोग भी प्रसन्नता से और निर्भय होकर आगे बड़ो, यह जानकर की आपको एक सुरक्षा का कवच मिल गया।

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