०४
२०१२
नवम्बर
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बैंगलुरु आश्रम, भारत
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प्रश्न : गुरूजी यह सब आपने कहाँ से सीखा ? आप को
ध्यान करना किसने सिखाया ?
श्री श्री रविशंकर : क्या आप किसी कवि या लेखक से यह पूंछते हैं कि उन्होंने यह सब कहाँ से सीखा
? वे अपने आप ही लिखते हैं, ठीक है ना ? यदि कोई कवि या लेखक इधर उधर से विषय
वस्तु की चोरी करता है तो क्या वह उसे अपनी रचना कह सकता है ? उसी तरह जब कोई
ध्यान के गहन में जाता है, तब यह सब अंतर्ज्ञान उसी स्रोत से मिलता है |
प्रश्न : कुछ त्योहारों के दौरान , हम सभी किस्म के
अन्न का दान करते हैं | ऐसा क्यों कहा जाता है कि अन्न के साथ नमक को दान में नहीं
देना चाहिये ?
श्री श्री रविशंकर : यह सिर्फ एक प्रथा है | इसका उल्लेख शास्त्रों में नहीं है | आप इसके बारे
में चिंता न करें |
ऐसा कोई भी व्यंजन नहीं है जिसमे नमक नहीं होता | सभी
व्यंजनों में कुछ मात्रा में नमक होता ही है | धार्मिक संस्कारों के दौरान भी जो
कुछ भी चढ़ाया जाता है उसमें भी कुछ मात्रा में नमक होता है | नारियल पानी में भी
नमक होता है | ऐसा कहा जा जाता है कि फलों में भी नमक होता है | जिस वायु से आप
सांस लेते हैं उसमे भी नमक होता है |
ऐसी एक कहावत है कि किसी को तेल, नमक, हरी/लाल मिर्च
और पानी सीधे नहीं दिया जाता | इसलिये वे इसे ज़मीन पर रख देते थे |
ऐसी मान्यता है कि किसी व्यक्ति की कंपन दूसरे व्यक्ति
तक चली जाती है जब इन वस्तुओं को सीधे दुसरे व्यक्ति को दिया जाता है |
यदि आपको किसी अन्य व्यक्ति की कंपन से प्रभाव पड़ता है
तों भजनों का गान करे या ॐ नमः शिवाय का जप करे और प्राणायाम करे | सभी नकारात्मक
प्रभाव चले जायेंगे |
प्रश्न : मेरा प्रश्न योग वशिष्ठ से है | भ्रिगु
महर्षि के पुत्र शुक्राचार्य ने एक मृत व्यक्ति को पवित्र जल और मंत्रोचारण के
द्वारा जीवित कर दिया था | क्या यह संभव है ?
श्री श्री रविशंकर : योग वशिष्ठ की कहानियों में छुपे हुए कई गहन अर्थ हैं | उसे एक बार पढ़ना
पर्याप्त नहीं है | जैसे आप उसे बार बार पढते जायेंगे, फिर उस पुस्तक में छुपे हुए रहस्यों को समझना शुरू कर पायेंगे |
प्रश्न : जब हम मंत्रोचारण करते हैं तो कैसे उसका आसपास
के वातावरण , लोग और सारे ब्रह्माण्ड पर प्रभाव पड़ता है ?
श्री श्री रविशंकर : ब्रह्माण्ड में
हर किसी का एक दुसरे पर प्रभाव पड़ता है | जब आप मंत्रोचारण या हवन करते हैं तो
उसका वातावरण पर अत्यंत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है | इससे आपको बहुत अच्छे कंपन
प्राप्त होते हैं और पूरे वातावरण में सकारात्मक आयनों की वृद्धि होती है |
प्रश्न : दक्षिणामूर्ति ( शिव का एक गुरु स्वरुप ) को
सामवेदप्रिय ( जिसे सामवेद प्रिय हो ) कहते हैं | ऐसा क्यों है ?
श्री श्री रविशंकर : यह उन लोगों के द्वारा लिखा गया होगा जो सामवेद से जुड़े हुए होंगे | यदि
ऋग्वेद से जुड़े लोग उसे लिखते तों वे उसे ऋग्वेदप्रिय कहते | यजुर्वेद से जुड़े लोग
यजुर्वेद को सबसे महान वेद कहेंगे |
भगवान श्रीकृष्ण ने भगवत गीता के अध्याय १० के २२ वे
श्लोक में कहा है ‘वेदानां सामवेदऽस्मि’ | ऐसा इसलिये है क्योंकि
सामवेद भक्ति और संगीत को महत्व देता है | मस्तिष्क के दो हिस्सों में बायाँ
हिस्सा तर्क का होता है और दायाँ हिस्सा संगीत का होता है | क्योंकि सामवेद में
दोनों तर्क और संगीत है इसलिये यह संभव है कि यह शब्द वहाँ से आये होंगे |
प्रश्न : कन्नड़ भाषा की तुलना कस्तूरी से क्यों की
जाती है ?
श्री श्री रविशंकर : यदि आपको उसकी तुलना चमेली से करनी है तों आप कर सकते हैं | कवि उसे
कस्तूरी कन्नड़ कहते हैं | उन्होंने इसका नाम ऐसा क्यों रखा आप यह नहीं पूँछ सकते |
उदाहरण के लिये एक सुंदर महिला को चंद्रमुखी कहते हैं जिसका अर्थ है जिसका मुख
चंद्र के समान हो | चंद्र में कई दाग होते हैं | फिर चेहरे की तुलना चंद्र से
क्यों की जाती है ?
एक ऐसी कहावत है कि चंद्र होलिक ( एक गोल आकार का
पेनकेक- कर्नाटक का एक मीठा व्यंजन ) जैसा दिखता है , उसके लिये , जो भूखा है |
कस्तूरी की बहुत अच्छी सुगंध होती है | इसलिये कवियों ने कन्नड़ को एक मीठी भाषा के
रूप में वर्णित किया है |
प्रश्न : आजकल हमारा देश सूखे की समस्या का सामना कर
रहा है | यदि हम गंगा और कावेरी नदी को जोड़ दें तो इससे सिंचाई में सहायता मिलेगी
| क्या आप राज नेताओं से इस मुद्दे पर गंभीर रूप से विचार करने के लिये बात करेंगे
?
श्री श्री रविशंकर : वैज्ञानिक कहते हैं कि यदि हम भारत की सभी नदियों पर बांध बना दें और नदी के
पानी को समुद्र में जाने से रोके तो यह सुनिश्चित हो सकेगा कि पूरा भारत २ फीट पानी
से भरा हुआ होगा ( सिंचाई के लिये जो पानी उपलब्ध है उसके संदर्भ में कहा
)
नदियों का काफी पानी समुद्र में बहा कर बर्बाद कर दिया
जाता है | हमें नदियों के पानी का उपयोग अच्छे से करना चाहिये | पानी की कोई कमी नहीं
है | विश्व में अधिकतम वर्षा के मामले में भारत का दूसरा स्थान है | हालांकि हम इस
पानी को ठीक से जमा नहीं कर रहे हैं | वर्षा के पानी को जमा करने के लिये समूह में
रोकथाम के लिये बांध बनाने चाहिये |
प्रश्न : वैदिक ज्ञान कार्यक्रम का आयोजन यूरोप
वासियों के लिये विशेष रूप से वर्ष २०१२ में करने का क्या कारण था ?
श्री श्री रविशंकर : यदि हमने उत्तर और दक्षिण अमरीका के लिये आयोजित किया होता तो समूह बहुत
बड़ा होता | हम १५० लोगों का एक छोटा समूह रखना चाहते थे | इसलिये हमने इसे सिर्फ
यूरोप के लिये रखा |
यदि इसे हमने विश्व भर के लोगों के लिये रखा होता, तो यह बहुत बड़ा हो जाता जैसे कि गुरू पूजा कोर्स जिसमे १५०० लोग होते हैं |
इस वर्ष ज्ञान के एक नये तरंग की आवश्यकता थी और यह सब
हो सका और होगा | आप सब के पास एक बहुत बड़ा काम है | आज सारा विश्व प्राचीन ज्ञान
को प्राप्त करने के लिये तैयार है | वैदिक ज्ञान कार्यक्रम के सभी प्रतिभागी इस
ज्ञान को लेकर करोड़ो लोगों के जीवन में प्रकाश और मुस्कुराहट ला सकते हैं |
प्रश्न : थायरॉयड की समस्या से सामना करने वाली महिलाओं की संख्या में वृद्धि
हो रही है | इसका क्या उपाय है ?
श्री श्री रविशंकर : मुझे लगता है कि यह हमारे
भोजन में कीटनाशकों और रसायनों के उपयोग के कारण है |
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