५
२०१२
दिसम्बर
|
नयी दिल्ली, भारत
|
जब मैं दीपक प्रज्वलित कर रहा था , तो उसमें थोड़ा समय लग रहा था | मैंने कहा ‘तेल के दिए को आग पकड़ने में थोड़ा समय ज़रूर लगता है , लेकिन जब एक बार वह आग पकड़ लेता है तो जलता है’ |
इस देश के
लोगों के साथ भी यही बात है | वे शुरुआत में थोड़ा धीमे
होते हैं , लेकिन एक बार जब कुछ शुरू करते हैं , तो फिर रुकते नहीं हैं
|
आप जानते हैं , कि भ्रष्टाचार वहां से शुरू होता है जहाँ अपनापन खत्म होता
है |
कोई भी अपने
परिवार या रिश्तेदारों के साथ भ्रष्ट नहीं होता , या
उन लोगों के साथ जो उन्हें लगता है कि ये उनके अपने हैं |
जब अपनेपन की
भावना खत्म हो जाती है , बस वहीँ उसी सीमा से
भ्रष्टाचार शुरू होता है |
आर्ट ऑफ
लिविंग में सभी वोलंटियर , टीचर और बाकी सब यही करने
का प्रयास कर रहे हैं; इस अपनेपन की भावना को बढ़ावा दे रहे हैं – पूरा विश्व हमारा अपना है |
हर समुदाय , हर धर्म , हर आयु के लोग , चाहे वे ग्रामीण हों या शहरी – वे
सब हमारा ही हिस्सा हैं , और वे सब हमारे अपने हैं |
ये पूरी
मानवता एक परिवार की तरह है , एक दूसरे की अपनी है – यह एक नैतिक और न्यायसंगत समाज के लिए आवश्यक है |
हालाँकि यह
सुनने में एक आदर्शलोक जैसा लगेगा , लेकिन हमें इस सपने को कभी
नहीं छोड़ना चाहिये | हमें ऐसे समाज का स्वप्न देखना
चाहिये और उसी दिशा में आगे बढ़ना चाहिये |
इस सही दिशा
में लिया गया एक छोटा सा कदम भी हमें बहुत आगे ले जाएगा , और हम ये देख भी चुके हैं |
जब समाज में
हिंसा और भ्रष्टाचार भरा होता है , तब ये किसी के भी रहने के
लिए सुरक्षित जगह नहीं है | और हम नहीं चाहते कि भारत
में ऐसी डर और अन्यायपूर्ण जगह बने , जहाँ लोग खुद को सुरक्षित
महसूस न करें | ये भारत नहीं है |
यहाँ तो लोग
हमेशा से निडर रहे हैं | हर धर्म , हर संस्कृति , हर भाषा ने इस भूमि में
संरक्षण पाया है | लेकिन आज हमें बिल्कुल अलग ही
तस्वीर दिखती है , जहाँ लोग अलग अलग तरह के डर के साथ
जी रहे हैं | महिलाओं के प्रति हिंसा , बच्चो के प्रति हिंसा दिन-रात बढ़ रहे हैं | इसलिए , अब हमें ये कदम उठाना पड़ेगा
लोगों को साथ लाने का , और उन्हें सुरक्षित और
भय-रहित बनाने का |
कल मैं 756
अपराधियों से मिला था | उन्हें यहाँ गुंडे कहते हैं |
कल हमने
उन्हें एक नया नाम दिया है – कर्णधार , जिसका अर्थ है वह जो समाज में एक नयी रोशनी , एक नयी आशा लाने का बीड़ा उठाये |
जब हमने उनसे
सुना कि किस तरह केवल एक ही हफ्ते में उनका जीवन-परिवर्तन हो गया , (उन्होंने आर्ट ऑफ लिविंग का YLTP प्रोग्राम किया था) , तब हमारी आशा बिल्कुल आसमान छू गयी |
ये लोग जो
झोपड़-पट्टियों में छोटे से लेकर बड़े बड़े अपराध करते हैं , अगर उनके दिल और मन परिवर्तित हों सकते हैं , तब तो हमारे मन में बहुत आशा है | और सिर्फ आशा ही नहीं
, बल्कि इससे
हमारे कन्धों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी आ जाती है |
जब हम ये
जानते हैं कि हम बहुत कुछ कर सकते हैं , तब तो हमें वह करना ही
पड़ेगा | हम चुप नहीं रह सकते |
Volunteer for
a Better India (एक बेहतर देश के लिए आपका योगदान) एक बहुत ही सुन्दर पहल है | मुझे पूरा यकीन है कि आप सबमें से एक एक व्यक्ति हज़ारों
स्वयंसेवकों को जुटाएगा , ताकि हम एक हिंसा-मुक्त , भ्रष्टाचार-मुक्त और न्यायपूर्ण भारत का सन्देश लोगों तक
पहुंचा सकें |
क्या कहते हैं ? (सभी लोग कहते हैं , ‘हाँ’)
1 मार्च , 2009 को मुझे याद है कि कुछ आप जैसे स्वयंसेवक और कुछ YES+
के बच्चों ने India Against Terrorism (आतंकवाद के खिलाफ़ भारत) की शुरुआत करी थी , क्योंकि 2008 में भारत में १२ महीने में १३ आतंकवादी हमले
हुए थे , और इन हमलों में कई सौ लोगों की
जाने गयी थीं |
ये कितने दुःख
की बात थी | कितने दुःख की बात है कि हमारे यहाँ
ऐसे हादसे हुए | और वे आप थे , दिल्ली के युवा थे , जिन्होंने खड़े होकर इस
आंदोलन की शुरुआत करी और किरण बेदी , केजरीवाल और बाकी सब को
आमंत्रित किया | इसी आन्दोलन ने आगे चलकर India
Against Corruption (भ्रष्टाचार के खिलाफ़ भारत) का बीज बोया |
इसलिए
स्वयंसेवक बहुत कुछ कर सकते हैं , और आप ही असली प्रेरणा की
शक्ति हैं |
अगर भारत के
युवा आगे आकर इन मुद्दों को उठायें , जैसे बालिका-भ्रूणहत्या , नशामुक्ति के कार्यक्रम
, शराब-मुक्ति
के कार्यक्रम , और भ्रष्टाचार के खिलाफ़ कुछ ठोस कदम , तब आप बहुत कुछ बदल सकते हैं |
अपनी शक्ति को
कम मत समझिए | मैंने आपसे कहता हूँ , कि आप चमत्कार कर सकते हैं | आप
चीज़ों को 180 degree घुमा सकते हैं | आज के युवा और हमारे देश की
नौजवान पीढ़ी – ये आप ही हैं जिनके पास शक्ति है | और जब मैं कहता हूँ ‘युवा’ , तो मेरा मतलब उन बहुत से वृद्ध युवाओं से भी है | (सब हँसते हैं)
ऐसे ही एक
युवा ने कल अपनी शादी की 56वीं सालगिरह मनाई
| ये दंपत्ति , मैं आपको क्या बताऊँ
, वे 80 वर्ष
के ऊपर हैं , लेकिन उनके अंदर का जोश और ऊर्जा
अद्भुत है | यह होती है ‘आंतरिक शक्ति’ |
पूर्णता और
अंतर्ज्ञान सिर्फ तभी आ सकता है जब आपके पास आंतरिक शक्ति हों |
आंतरिक शक्ति
का अर्थ है , जब आप जीवन को एक बड़े दृष्टिकोण से
देखें , प्रेम और दायित्व के साथ देखें | जीवन वह छोटा सा समय है जो हम यहाँ , इस पृथ्वी पर बिताने वाले हैं , और
उसके अनुसार ही हमें अपनी प्राथमिकताएं बनानी चाहिये |
मैंने आपको एक
उदाहरण देना चाहता हूँ | गुजरात में एक IAS ऑफिसर है , जो आर्ट ऑफ लिविंग टीचर भी है |\अब
अब इन सज्जन को 51 करोड़ रुपये लेने का प्रस्ताव आया ,
सिर्फ एक छोटे से कागज़ पर साइन करने के लिए
| 51 करोड़ ! !
एक ऑफिसर कभी
भी 51 करोड़ अपने एक जन्म में कमाने के बारे में सोच भी नहीं सकता | एक जन्म भी छोड़िये , बल्कि तीन जन्मों में भी वह
51 करोड़ नहीं कमा सकता |
मैंने कभी भी
किसी भी ऑफिसर को 51 करोड़ कमाते हुए नहीं देखा
, यानि 10
मिलियन डॉलर |
तो इन सज्जन
को 51 करोड़ देने की पेशकश हुई , और इन्होंने कहा , ‘नहीं , मैं साइन नहीं करूँगा’
|
अगर उन्होंने
साइन कर भी दिए होते , तो भी किसी को पता नहीं
चलता | वे कोई भी सफाई दे सकते थे उस पैसे
को लेने के लिए |
वे कह सकते थे , ‘ओह मैं ये पैसा लेकर गरीब
लोगों में बांट दूंगा , या मैं समाज में कुछ अच्छा
काम करूँगा’ |
10 मिलियन
डॉलर बहुत बड़ी चीज़ होती हैं , लेकिन इस आदमी की ईमानदारी
देखिये | इन्होंने उस पैसे को लेने से मना कर
दिया | मुझे इन सज्जन पर इतना गर्व है !
अब ऐसा क्या
है जो आपको इस तरह की आंतरिक शक्ति दे सकता है
?
आपको कोई
वैरागी होने की ज़रूरत नहीं है; हाँ , एक वैरागी तो ये कर ही सकता
है | लेकिन एक गृहस्थ को इस तरह के बड़े
प्रस्ताव को ठुकराना आसान नहीं है , जब तक कि उसके अंदर वह
आंतरिक शक्ति , और संतोष न हों |
संतोष , करुणा , ईमानदारी , पूर्णता , अंतर्ज्ञान – ये सब नैतिक मूल्य आपके अंदर से खुद ही फूंटते हैं | और जो आपके जीवन में इन मूल्यों को पनपने में सहयता करता है , उसे मैं कहता हूँ – ‘आध्यात्मिकता’ |
सिर्फ कुछ
प्रार्थनाएं करना नहीं , या पवित्र स्थानों की
यात्रा करना नहीं , लेकिन इन नैतिक मूल्यों को अपने
जीवन में उतारना ही आध्यात्मिकता है |
असली श्रद्धा
का यही अर्थ है; और यह श्रद्धा , यह विश्वास बहुत ज़रूरी है | स्वयं में विश्वास , और अपने आस-पास के लोगों
में विश्वास |
आधे समय तो हम
यही सोचते रहते हैं , कि सब लोग बुरे हैं , इस पूरे समाज में सिर्फ मैं ही कैसे ठीक हो सकता हूँ ?
जब आप हर एक
को बुरा व्यक्ति ही समझते हैं - तब आप अंदर ही अंदर भ्रष्टाचार को स्वीकार करने की
सफाई दे रहे होते हैं | आप सोचते हैं , ‘अब क्या करें , ये तो जीवन का अंग है
, हमें तो वैसे
ही चलना पड़ेगा जैसा हो रहा है’ |
खुद को बचाने
के लिए इस तरह की बातें आपके मन में आती हैं
|
अब अगर आप (इस
सबके विरुद्ध) खड़ा होना चाहते हैं , तो आपको आंतरिक शक्ति
चाहिये होगी , और यही ध्यान है |
ध्यान करने से
आपको वह आंतरिक शक्ति मिलती है , आपके व्यक्तित्व में वह
पूर्णता आती है , और आपके जीवन में उस अंतर्ज्ञान को
पनपने में सहायता करता है , जो पहले से ही आपके अंदर
निहित है | मुझे लगता है कि यह बेहद ज़रूरी है |
जैसा कि मैं
कह रहा था , कि जब मैं उन अपराधियों से बातचीत
कर रहा था; बल्कि मुझे उन्हें अपराधी कहना ही नहीं चाहिये; उन्हें भटके हुए युवा
कह सकते हैं , तो मुझे उन सबमें एक सुंदरता दिखी | बस ऐसा हुआ कि उन्हें अपने तनाव और गलतफहमियों से छुटकारा
पाने का अवसर ही नहीं मिला |
उन्हें ये
मौका दिया ही नहीं गया कि वे अपनी परेशानियों और टेंशन से मुक्त हो पाएं , और ये समझ पाएं , कि समाज में पर्याप्त प्रेम
है , कि इस ग्रह पर अच्छे लोग भी हैं , आस-पड़ोस में रहने वाले अच्छे लोग जो उनकी मुसीबत के समय में
उनके साथ खड़े हो जायेंगे |
ऐसे लोग हैं , जो आपक्से साथ खड़े होते हैं ,
आपके कंधे से कंधा मिला कर आपकी मदद करने को तैयार रहते हैं |
समाज की
अच्छाई में ऐसा विश्वास हमें दोबारा जगाना होगा | जब
तक ये नहीं होगा , समाज में नैतिकता टिक नहीं पाएगी |
जिस समाज में
मानवीय मूल्यों में विश्वास नहीं है , लोगों में आपसी विश्वास
नहीं है , और समुदायों में आपस में विश्वास
नहीं है , ऐसे समाज में नैतिकता पनप ही नहीं
सकती |
इसलिए , खुद पर विश्वास , आस-पास के लोगों पर विश्वास , और उस अनदेखे , अनसुने , और उसअज्ञात हाथ पर विश्वास जो हमेशा हमारी मदद कर रहा है – ये सब ज़रूरी हैं |
आप इसे ईश्वर
पर भरोसा कह सकते हैं , प्रकृति पर भरोसा कह सकते
हैं या फिर कोई दैवीय शक्ति मान सकते हैं | ये सब एक न्यायपूर्ण , मुक्त और सुखी समाज के लिए ज़रूरी है |
इसलिए , Volunteer for a Better India (एक बेहतर देश के लिए आपका
योगदान) न केवल समाज की बुराईयों और अस्वस्थता को साफ़ करेगा , बल्कि इस पर ‘खुशी की लहरें’ फैलाने की भी जिम्मेदारी है |
आज , युनाइटेड नेशन (UN) , GDH (Gross Domestic
Happiness) के बारे में बात करने लगा है | यानी कि किसी देश के विकास
को मापने के लिए ये देखना कि उस देश में लोग कितने खुश हैं | नाकि , उस देश में कितना आर्थिक
विकास हो रहा है , जिसे GDP (Gross Domestic Product)
कहते हैं |
क्या आप जानते
हैं , हमारे पड़ोसी देश भूटान का सबसे
ज्यादा GDH है | हालांकि वह अभी तक काफी नियंत्रित
देश रहा है लेकिन फिर भी इस देश ने अपनी खुशी बरकरार रखी है |
आज भी ग्रामीण
भारत में , लोग ज्यादा खुश नज़र आते हैं | अगर उनके पास एक ग्लास लस्सी भी होगी , तो भी वे उसे आपक्से साथ बांटेंगे | उनके अंदर इतनी करुणा और इतना अपनापन है | वे आपसे आपकी पृष्ठभूमि नहीं पूछते , या ये नहीं पूछते कि आप कौन हैं , कहाँ से आये हैं , आपकी क्या शैक्षिक योग्यता
है , या फिर आपका नाम क्या है | वे सबसे पहले कहेंगे
, ‘आईये अंदर आईये , चाय पीजिए या लस्सी पीजिए’ | और उसके बाद वे आपसे पूछेंगे , कि
आप कहाँ से आये हैं , और आप क्या करते हैं |
तो इसलिए , वे अपना हाथ पहले बढ़ाते हैं , और
उनके पास जो भी है , उसे आपके साथ बांटते हैं , और फिर बाक़ी सारे सवाल बाद में आते हैं |
दिल्ली , मुंबई और इस तरह के जितने बड़े शहर हैं , यहाँ तो हमें ये तक नहीं पता कि हमारे पड़ोसी कौन हैं | Volunteer for a Better India (एक बेहतर देश के लिए आपका
योगदान) इन घेरों को तोड़ेगी , पड़ोसियों को साथ में लाएगी , समुदायों को साथ में लाएगी |
समुदाय साथ
में मिलकर जब काम करते हैं , तो बहुत खुशी होती हैं | न केवल कन्या-भ्रूणहत्या और भ्रष्टाचार के लिए लड़ना , बल्कि ये एक खुशी की लहर ले कर आती है , जो कि डिप्रेशन (अवसाद) की बीमारी के लिए बढ़िया दवा है |
इन शब्दों के
साथ , मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि
वे आपको बहुत शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करे
, ताकि आप
Volunteer for a Better India (एक बेहतर देश के लिए आपका योगदान) के लिए काम कर
सकें |
आर्ट ऑफ
लिविंग केवल एक NGO है | मुझे लगता है कि मैं आर्ट
ऑफ लिविंग में फंसा नहीं हूँ | ये बहुत सी संस्थाओं में से
एक है और मैं बहुत सी संस्थाओं से जुड़ा हूँ केवल आर्ट ऑफ लिविंग से ही नहीं | इसलिए , मुझे आशा है कि आप भी ऐसा
ही महसूस करते होंगे | और बाकी सभी NGO जो आज यहाँ
मौजूद हैं , हम सब एक ही मानव परिवार के हिस्सा
हैं , और हमारा एक ही लक्ष्य है , कि हम इस ग्रह पर और ज्यादा खुशियाँ व और ज्यादा मुस्कुराहट
ला पाएं |
धन्यवाद !
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