क्रोध से निपटना

२०१२
नवम्बर
बैंगलुरु आश्रम, भारत
प्रश्न : मुझे आश्चर्य होता है कि क्या आप प्रत्येक सत्संग की तैयारी पहले से करते हैं या आप ध्यान की रचना उस स्थान पर ही करते हैं ?
श्री श्री रविशंकर : यह उसी क्षण पर होता है | मैं कोई भी तैयारी नहीं करता | मैं रेडीमेड हूँ | (हंसी)

प्रश्न : बिना प्रक्षपात किये हुये सच्चाई का सामना कैसे किया जाये ? यदि मैं गलत हूँ तो मैं अपने आप को पीछे कर लेता हूँ और इससे मेरी क्षमा और भूलने की क्षमता सीमित हो जाती है |
श्री श्री रविशंकर : जो भी लोग क्रोध करते हैं , वे सिर्फ सच्चाई को ही आधार मान कर क्रोधित होते हैं | लेकिन सच्चाई की कल्पना करना काफी सीमित है | इस दुनिया में सभी प्रकार की चीजें होती है और आपको सिर्फ धैर्य रखने की आवश्यकता है |
सच्चाई की कामना करना और यह कहते रहना कि मुझे सच्चा रहना है और मैं चाहता हूँ कि सभी अभी ही सच्चे बन
जायें’ , यह संभव नहीं है |
सब सच्चे और अच्छे रहें , यह कामना करना ठीक है , लेकिन आपको लोगों को लंबा समय देना चाहिये | धैर्य के साथ सच्चाई की कामना करें , फिर क्रोध हावी नहीं होगा |
अन्यथा जब आप कहते हैं , मैं सच्चा हूँ’ , और फिर जब यह मांग करते हैं , मुझे यह चाहिये’ ,फिर क्रोध आता है , और जब क्रोध आता है फिर आप अपनी सच्चाई और अच्छाई को स्वयं ही गंवा देते हैं | जब आप क्रोधित होते हैं , तो यह उतना ही बुरा है , जैसे कोई व्यक्ति बुरा कर रहा हो |
यदि किसी ने इस स्थान को साफ नहीं किया और यहाँ सिर्फ गंदगी है | आप यहाँ पर आते हैं और क्रोधित हो जाते हैं | उस व्यक्ति ने एक गलती करी है , उसने सफाई नहीं करी , क्या यह ठीक है ? लेकिन उस पर आपका परेशान होना और चिल्लाना एक दूसरी गलती है |
दो गलतियाँ एक गलती को ठीक नहीं कर सकती | यदि किसी ने कोई गलती करी है तो उसे धैर्य के साथ दो तीन बार समझायें और शिक्षित करें | शिक्षक होने के लिये आपमें बहुत धैर्य होना चाहिये | स्कूल के शिक्षकों के सामने यह एक चुनौती है | वे बच्चों को वही बात १० बार बताते हैं , लेकिन बच्चे फिर भी नहीं सुनते | बच्चों में ध्यान की कमी का सिंड्रोम होता है | बच्चे उस पर ध्यान नहीं देते | इसलिये धैर्य की आवश्यकता होती है |
धैर्य एक गुण या खूबी होती है | वह ६ संपत्तियों में से एक है | शम (मन की शांति)
, दम (आत्म संयम या स्वयं पर नियंत्रण) , उपरति (सांसारिक सुखों और वस्तुओं से दूरी) , तितिक्षा (धैर्य की शक्ति या सहनशीलता) , श्रद्धा (विश्वास) और समाधान (आत्म संतुलन या मन का केंद्रित होना) | समाधान , संतोष और धैर्य पाने के लिये होता है | यह अत्यंत आवश्यक है |

प्रश्न : गुरुदेव जीवन में अपने स्वयं से उठकर , जीने के लिये बड़ा उद्देश्य कैसे खोजे ? खोजने की कोई प्रक्रिया है या उद्देश्य स्वयं हमें को खोज लेता है ?
श्री श्री रविशंकर : आपके पास एक लक्ष्य होना चाहिये , एक दृष्टि कि आप क्या चाहते हैं , और आप क्या करना चाहते हैं | यह आपके पास होना चाहिये |
एक व्यक्तिगत लक्ष्य होना चाहिये | मुझे जीवन ये सब हासिल करना हैं |
दूसरा लक्ष्य इस ग्रह के लिये होना चाहिये | मुझे इस ग्रह को क्या देना है ?
अक्सर जब आप किसी लक्ष्य के बारे में सोचते हैं , आप यह देखना चाहते हैं , मैं क्या चाहता हूँ | इसलिये मैं कहता हूँ कि आप के पास दो लक्ष्य होना चाहिये | एक वह कि आप को क्या चाहिये और दूसरा कि आप क्या देना चाहते हैं | यदि दोनों एक ही हो जायें तो यह बेहतर होगा |

प्रश्न : गुरुदेव , यदि हम अपने भोजन की आदतों को बदले तो क्या हम अपने क्रोध पर काबू पा सकते हैं ? वे ऐसा कहते हैं कि यदि आप मसालेदार भोजन ज्यादा खायेंगे , तो ज्यादा क्रोध आयेगा |
श्री श्री रविशंकर : आप ऐसा कर के देख सकते हैं | आप एक हफ्ते के लिये भोजन बिना नमक और बिना मिर्च पावडर के साथ खायें और देखें | यह संभव है | लेकिन ऐसे लोग भी हैं , जो मसालेदार और मिर्च पावडर के साथ भोजन करने के बाद भी क्रोधित नहीं होते | यह भी संभव है |