२५
२०१२
दिसम्बर
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बैड एंटोगस्त, जर्मनी
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ये तो हमारे परिवार
का पुनर्मिलन है ! पूरे विश्व की ओर से हम यहाँ क्रिसमस मना रहें हैं |
यहाँ , ये जो क्रिसमस का पेड़ है
, ये आपको बता रहा
है – ‘मेरे जैसे
बनिए , सदाबहार , प्रकाश से भरे हुए , उपहारों से भरे हुए’ | इसलिए , आपमें से हर एक कोई क्रिसमस
का एक पेड़ है , जो रोशनी से भरा हुआ है , चमचमाते तोहफों से लदा हुआ है और सदाबहार है !
अगले साल और
बहुत से लोग आध्यात्म के पथ पर चलेंगे और यह पथ और भी सुलभ व सहज हो जाएगा |
२०१३ में हम दो
नयी सुदर्शन क्रिया भी सिखाएंगे , जो बहुत अलग हैं , और बहुत अच्छी हैं |
प्रश्न : क्या आप हमें इस नए युग के बारे में बता सकते हैं ? क्या महिलाओं का और ज्यादा योगदान रहेगा ?
श्री श्री रविशंकर : महिलाओं का विश्व में और ज्यादा योगदान होगा | पहले ही महिलाएं काफी ज्यादा योगदान कर रहीं हैं , लेकिन इससे भी कहीं अधिक भूमिका निभाएंगी |
क्या आप जानते
हैं , कि २१ दिसम्बर के बारे में लोग कितने
चिंतित थे |
हे भगवान , लोगों ने दुनिया भर में अफवाह फैला दी थी कि २१ दिसम्बर को दुनिया
खत्म होने वाली है |
बहुत से लोग भोजन
खरीद खरीद कर अपने तहखानों में भर रहे थे | बहुत से लोगों ने अपने घर छोड़
दिए , अपने देश छोड़ दिए और ऊपर कहीं पहाड़ों
पर चले गए | और बहुत से लोग ये सोचते हुए बंगलौर
आश्रम आ गए थे कि अगर दुनिया खत्म हो रही है
, तो अच्छा होगा
कि वे किसी सुरक्षित स्थान पर आ जाएँ | मैं कबसे कह रहा हूँ कि ये सिर्फ
एक अफवाह है | इस दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें
आतंक फैलाकर ही खुशी मिलती है | वे उत्पादों को जल्दी बेचना
चाहते हैं , इसलिए वे भगदड़ मचाते हैं | जब भगदड़ होती है , तब लोग जाते हैं , और उन चीज़ों को खरीद कर इकठ्ठा करते हैं , भण्डार बनाते हैं | इसलिए ये सब चालबाजी है |
मैंने कहा था , कि दुनिया चलती रहेगी
| आज तो २५ दिसम्बर
हो गया है , और दुनिया बिल्कुल सही सलामत है , चल रही है | केवल अमरीकी फिल्मों में ही
ऐसा होता है , कि दुनिया खत्म हो जाती है |
हमें क्या करना
है ? हमें ये देखना है कि हमें कितना कुछ
मिला है , और उसके लिए कृतज्ञ होना है | हमने अपने जीवन में कितना कुछ पाया है | और भविष्य में भी हमें जो भी कुछ मिलना होगा , हमें वह भी मिल जाएगा
| इस बात के लिए
हमें आश्वस्त रहना है |
इसलिए , आपको जो भी कुछ मिला है उसके लिए कृतज्ञ हो जाईये |
जब आपको कुछ सेवा
करनी हो , तब आपको हमेशा ये सोचना चाहिये , ‘मुझे और करने की ज़रूरत है , मैंने पर्याप्त नहीं किया है’ |
यदि आप ये सोचेंगे , ‘मैंने बहुत सेवा कर ली हाई , लेकिन मुझे अपनी योग्यता के अनुसार मिला नहीं नही’ , तो ये दुखी रहने का रहस्य है | यदि
आप दुखी रहना चाहते हैं , तब आप इस बात की जिद्द करिये , ‘मुझे जो मिलना चाहिये था , वह मुझे नहीं मिला है’
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ऐसी चीज़ के लिए
जिद्द करना , जो आपके पास नहीं है – ये आपको दुखी कर देता है
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और यदि आप ये सोचते
हैं , ‘मैंने
बहुत किया है , और मुझे अब कुछ करने की ज़रूरत नहीं है’ तब भी आप दुखी हो जाते हैं | ये दरअसल
एक परेशान , क्रोधित और दुखी मन की निशानी है |
इसलिए , जब कुछ करने की बारी आये
, तब ये कहिये , ‘मैं और अधिक कैसे कर सकता हूँ ? मैं इस दुनिया को और बेहतर जगह कैसे बना सकता हूँ ? मैं इस दुनिया में और क्या योगदान दे सकता हूँ ?’ हमें इस प्रकार से सोचना चाहिये |
और जब कुछ प्राप्त
करने की बारी आये , तब कहिये ‘मुझे जिस चीज़ की ज़रूरत थी वह मुझे मिल गया है , और मुझे जो भी मिलना होगा वह मुझे मिल ही जाएगा | मुझे जो मिलना चाहिये
, वह प्रकृति मुझे
दे देगी |’
यह विश्वास आपको
खुश कर देगा , और इस मनोभाव के साथ कि ‘मैं दुनिया के लिए और बहुत कुछ करना चाहता हूँ’ - ये आपको उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए ऊर्जा देगा |
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