"शांति के लिए राजनीति में आध्यात्मिकता, व्यापारिक कंपनियों में सामाजिक दायित्व की भावना और धर्म में धर्मनिरपेक्षता का होना आवश्यक है"

लोस एन्जेल्स अप्रैल १६:

श्री श्री रवि शंकर
ने दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय द्वारा प्रायोजित व्यवसाय,नैतिकता और आध्यत्मिक चर्चा में अपने विचार प्रकट किये| उसके कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत है|
इस चर्चा में श्री श्री के साथ जॉन पाल देजोरा, जोकि पहली पीढ़ी के अमरीकन,एन्टरप्रिनेउअर हैं,मानव कल्याण के लिए कार्य करतें हैं और व्यवसायिक समुदाय के अभिन्न अंग हैं; इनके साथ रोब डीरेक,एक व्यावसायिक सकेटबोर्डर,टेलीविज़न के सितारे,फिल्म निर्माता ,एन्टरप्रिनेउअर और बहुमुखी जन कल्याण के लिए कार्य करतें हैं|

श्री श्री रवि शंकर :
कुछ बर्षों पहले किसी अध्यात्मिक व्यक्ति का व्यापार में होना ठीक नहीं समझा जाता था| व्यापार और आध्यात्मिकता,या व्यापार और दान दोनों एकदम अलग प्रतीत होते थे| वास्तव में व्यापार में कम देकर अधिक लेते हैं| यदि एक केला दस सेंट का है तो इसे बारह में बेचा जाएगा| व्यापार में आप लेते अधिक हो और देते कम हो| जबकि दान में लेने की बजाय देना अधिक होता है|

विश्वास व्यापार का आधार है| यदि यह टूट जाए तो व्यापार सफल नहीं होता|लालच चेतना को मार देता है| यही हम वित्तीय संकट में देखतें हैं| इसे रोकने के लिए यह आवश्यक है कि 'जॉन पाल मिस्चेल सिस्टम' जैसी कम्पनियां विकसित हों| पालमिस्चेल एक उदाहरण है जो यह दर्शातें है कि एक व्यक्ति का अमीर और सफल होने के लिए अनैतिक होना आवश्यक नहीं है|

दुनिया में भ्रष्टाचार सबसे बड़ी दुविधा है| अफ्रीका के पास लोगों को खिलाने के लिए पैसे नहीं हैं,फिर भी भ्रष्ट राजनीतिकों के बैंक खातों में कई बिलियन पड़े हैं| दुनिया अकाल और दुःख से पीड़ित देशों के लिए अंधी कैसे हो सकती है? भ्रष्टाचार तभी होता है जब अपनेपन का भाव नहीं होता| कोई भी अपने लोगों के लिय भ्रष्ट नहीं हो सकता| हमें हर व्यक्ति में अपनेपन की भावना लानी है| ऐसा कैसे हो सकता है? जब मन तनाव रहित होता है| तनाव रहित मन प्रेम का स्रोत है| हमें अपनेपन की भावना को पैदा करना होगा जिससे राष्ट्र भेदभाव और धर्म का पक्षपात ख़त्म होतें हैं| 'आर्ट अफ लिविंग' में ऐसे बहुत से कार्यक्रम हैं जिनसे लोग सीख सकते है कि अपनेपन की भावना को कैसे विकसित करना है|
हमें दूसरों के साथ बाँटने और ध्यान रखने की जरूरत है| हेटी ,चीन और दूसरी जगहों पर भूकंप आ चुकें हैं| आज व्यापारी उनकी मदद कर रहें हे| अमेरिका को मदद के लिए अपने आप को बधाई देनी चाहिए|
एक कहानी है जो मैं आपको सुनाना चाहूँगा| बहुत बर्षों पहले गुजरात में भूकंप हुआ था| हमारे स्वयंसेवक वहां काम करने गए| वहां वे एक वृद्ध महिला से मिले| उन्होने अपने सारे परिवार को भूकंप में खो दिया था| उसने अपने बेटों,बहुओं और पति को खो दिया| उसका घर टूट चुका था| उसके पर्स में थोड़े से पैसे थे जो वह दान में देना चाहती थी| हमारे सेवकों ने कहा वे देने आयें हैं नाकि कुछ लेने| इस पर महिला ने कहा,"प्रकृति ने मुझसे सब कुछ ले लिया है| मेरे देने के अधिकार को भी मुझसे मत छीन लो| कृपया मेरा योगदान स्वीकार करो,यह मेरा धर्म है|"हमारे सेवकों की आँखों में आंसू आ गए| जब आपके पास हो और आप दूसरों को दें तो कोई बड़ी बात नहीं परन्तु जब आपके पास न हो और तब आप दूसरों को दे तो बड़ी बात है|

प्रश्न : कृप्या धन के बारे में बताइए|

श्री श्री रवि शंकर :
पुराने ग्रंथों के अनुसार आठ प्रकार का धन होता है| केवल दौलत ही धन नहीं है| हालाकि बैंक बैलंस धन है,वंश भी एक तरह की दौलत है| इसी तरह से सेहत भी एक प्रकार का धन है| आपका आत्मविश्वास कि आप किसी भी स्थिति में पैसा कमा सकतें हैं, यहाँ तक कि जब अर्थ व्यवस्था ठीक न हो, भी एक प्रकार का धन है| साहस और आत्मविश्वास दौलत है| दोस्त बनाने की योग्यता दौलत है| ज्ञान भी दौलत है|

धन की देवी ,लक्ष्मी,कमल पर तैरती हैं| पानी के बहाव के साथ कमल भी हिलता है| ज्ञान की देवी सरस्वती एक पत्थर पर हैं| एक पत्थर स्थिर होता है| एक बार सीखा हुआ ज्ञान उम्र भर ही नहीं बल्कि आने वाले जीवन में भी आपके साथ रहता है| दौलत अपने आप में एक लक्ष्य नहीं है|यह लक्ष्य के लिए एक साधन है| धन,ख़ुशी और जीवन अपने आस पास के लोगों के साथ बाँटना चाहिए|
आज बहुत से लोगों ने विश्वास खो दिया है| जब आप विश्वास खो देते हो तो यह आपको अपने भीतर ले जाता है| हर दुविधा अपने भीतर जाने का एक अवसर है| जब सब दरवाजे बंद हो जातें हैं और आपके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं होती तब आप अपने भीतर जाते हो|
बहुत सी रुकावटें और दुविधाएं आती है,परन्तु आपको अपने इरादे मजबूत रखने हैं| आपको एक सही दृष्टिकोण रखना है| जब आप अपने आसपास देखते हो ऐसे कुछ ही लोग हैं जो आपका विश्वास तोड़ते हैं| कुछ लोगों के ही मूल्य लड़खड़ाते हैं| हालाँकि आप भी कभी कभी डगमगा सकते हो परन्तु अपने दृष्टिकोण और मिशन पर पकड़ बनाए रखो|
यदि आप चाहते हो कि दूसरे लोग आपको धोखा न दें तो आप अन्य लोगों को धोखा कैसे दे सकते हैं? धन आवश्यक है,फिर भी आप सिर्फ पैसे होने से ही चैन से नहीं सो सकते| लोग आधा स्वास्थ्य धन कमाने में और फिर अपना आधा पैसा स्वास्थ्य वापिस लेने में खर्च कर देतें हैं|

प्रश्न : आप सफलता को कैसे परिभाषित करोगे?

श्री श्री रवि शंकर :
सफलता को आपकी दिल से आने वाली मुस्कुराहटों से तोला जा सकता है| यह आपका आत्मविश्वास है जिनसे आप चुनौतिओं का सामना करते हो| जब सब ठीक चल रहा हो तो आप आसानी से मुस्कुरा सकते हो| जब आप पूरी तरह असफल रहते हो और फिर भी मुस्कुरा सकते हो ,वह सफलता है| एक व्यक्ति जो जीवन की सारी चुनौतियों को स्वीकार करता है ,सफल है!

प्रश्न : क्या व्यापार राष्ट्रों में शांति बढाने के लिए एक शक्ति है?

श्री श्री रवि शंकर :
तीन पहलू है जो शांति लायेंगे| राजनीति में आध्यात्मिकता,व्यापार में कंपनियों का समाजिक उत्तरदायित्व और धर्म में धर्मनिरपेक्षता| ये हमारे मन में गहरा उतरना चाहिए| महात्मा गाँधी और नेल्सन मंडेला धर्म में निष्पक्षता और राजनीति में आध्यात्मिकता के उत्कृष्ट उदाहरण हैं|


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