"समाज में शांति के लिए राजनीति में आध्यात्मिकता, व्यापारिक कंपनियों में सामाजिक दायित्व की भावना और धर्म में धर्मनिरपेक्षता होना आवश्यक है"

Ramsay Taum (Director of External Relations & Community Partnerships, University of Hawaii at Manoa and Chairman of the Board of Sustain Hawaii) ने एक हवाइ मंत्र के साथ श्याम की शुरुआत की। फ़िर उन्होने भारतीय और हवाइ सभ्यता की समानता के बारे में कहा।
श्री श्री ने धन्यवाद देते हुए शुरुआत की।

श्री श्री रवि शंकर :
एक ही बात को एक अलग नज़रिए से सुनकर बहुत अच्छा लगा। यह बहुत ही सुन्दर है कि किस तरह सभी सभ्यतायों में एक जैसी बात कही गई है। जिस तरह Ramsay Taum ने ज़िक्र किया, उसी तरह संस्कृत में भी पाँच तत्व हैं - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। फिर हैं मन, बुद्धि और अहंकार। और फ़िर आत्मा।
जब हम ने एक दूसरे को mahalo कह कर नमस्कार किया, तो वो अहंकार से परे एक कदम है। ’मा’ का अर्थ है - जिसे तुम जानते हो। बच्चे का पहला शब्द माँ होता है। एक बच्चा मैं की भावना से परे देखता है। यह बहुत ही सुन्दर है कि दुनिया में सभी सभ्यतायों का मूल एक जैसा ही है।

प्रश्न : हम अहंकार पर काबू कैसे कर सकते हैं?

श्री श्री रवि शंकर :
अहंकार को काबू करने का प्रयास भी मत करो। अगर तुम्हे लगता है कि तुममे अहंकार है तो इसे अपनी जेब में रखो। अहंकार को काबू करने में उससे भी बड़ा अहंकार हो जाता है। अहंकार अनदेखा किया जाना पसन्द नहीं करता। अहंकार का इलाज है - बच्चे की तरह सरलता में रहना। अगर फ़िर भी तुम्हे अहंकार परेशान करे तो उसे वहीं रहने दो।

प्रश्न : कुछ लोग लालची और क्रूर क्यों होते हैं? हम उन्हे बदल सकते हैं यां उन्हे वैसे ही स्वीकार कर लेना चाहिए?

श्री श्री रवि शंकर :
कुछ लोग नहीं जानते वो भीतर से कितने सुन्दर है। हर अपराधी के भीतर हालात का शिकार एक व्यक्ति मदद की पुकार कर रहा है। कोई भी पैदाइश से हिंसक नहीं होता। सही शिक्षा के अभाव में इन्सान ऐसा बन जाता है।

प्रश्न : ध्यान का यह तरीका अन्य तरीकों से कैसे विशेष है?

श्री श्री रवि शंकर :
यह तुम्हे साधारन बनाता है और यह केवल साधारन लोगो के लिए ही है। अगर तुम खुद को बहुत विशेष मानते हो तो ध्यान नहीं होगा। इसकी यही विशेषता है।

प्रश्न : हमें प्रेम के बारे में कुछ बताएं। अनुशासन का पालन कैसे करें?

श्री श्री रवि शंकर :
तुम अपने पर किसी चीज़ को प्रेम करने यां ना करने के लिए दबाव नहीं डाल सकते। सहजता से अपने स्वभाव में रहो।
तीन सूरतों में तुम अनुशासन का पालन कर सकते हो:
प्रेम, भय और लालच। जब तुम प्रेम में होते हो तो अनुशासन सहज ही हो जाता है। किसी चीज़ का भय यां कोई बड़ा लालच भी तुम्हे अनुशासन में रखता है।

प्रश्न : अपना भाग्य पूरा करने के लिए क्या चाहिए?

श्री श्री रवि शंकर :
विश्वास - यह विश्वास की तुम अपना भाग्य पा सकते हो।

प्रश्न : क्या विश्व के नेता दुनिया की मुश्किलों का हल कर सकते हैं? यां वो आर्थिक रूप से कुछ ही लोगो से प्रेरित हैं?

श्री श्री रवि शंकर :
मुझे लगता है तुम्हारे प्रश्न में उत्तर भी है। मुझे लगता है ऐसे बहुत से विश्व के नेता हैं जो समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहते हैं पर उनके हाथ बन्धे हैं। बहुत बार वो सामाजिक व्यवस्था के कारण कुछ कर नहीं पाते। कुछ ऐसे भी हैं जिनको केवल अपनी पदवी और पार्टी से ही मतलब है। लोगों के हित से ज़्यादा इनके लिए अगले चुनाव और पार्टी की ज़रुरतें ज़्यादा महत्वपूर्ण है। ये बड़े मुद्दों पर काम करना भी चाहें तो इनके सामने अपने राजनीतिक एजेंडे खड़े हो जाते है। एक शासक सुधारक नहीं बन सकता और एक सुधारक शासक नहीं बन सकता। इनकी अलग अलग भूमिका है और इनको मिलकर काम करना चाहिए।

प्रश्न : शादी के महत्व के बारे में हमे बताएं।

श्री श्री रवि शंकर :
मुझे इस विषय में अनुभव नहीं है!
शादी एक महत्वपूर्ण पद्धती है जो तुम्हे जीवन में किसी को स्वीकार करके आगे बढ़ना सिखाती है। इससे तुम बाँटना, दूसरे की देखभाल करना और अपनी देखभाल कराना सिखते हो।


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