अप्रैल ३,२०१०
प्रश्न : मुझे में सकरात्मक गुण कैसे आ सकतें हैं?
श्री श्री रवि शंकर : यदि तुम सोचते ही कि तुम में सकरात्मक गुण नहीं हैं तो तुम्हारे पास कभी नहीं होंगे| ऐसे सोचो कि तुम्हारे पास सभी सकरात्मक गुण हैं - वे केवल प्रकट होने के लिए कुछ समय ले रहे हैं|
प्रश्न : एक शिक्षक को कैसा होना चाहिए?
श्री श्री रवि शंकर : दो प्रकार के शिक्षक होतें हैं| एक वे जो डांटने और गलतियों की ओर ध्यान दिलवाने में विश्वास करतें हैं| यह तामसिक स्टाइल है| दूसरी तरह के हैं जो आपको बताएँगे कि आपमें सब सकरात्मक गुण हैं| कुछ लोग जो कठोर होतें हैं उन्हें अनुशासित करने की आवश्यकता हो सकती है|
प्रश्न : प्राचीन ग्रन्थ का क्या महत्व है?
श्री श्री रवि शंकर : सारे ग्रन्थ सार्वभौमिक आत्मा से जोड़ते हैं| ज्ञान और ध्यान दोनों मन को पूर्ण आराम देते हैं|
प्रश्न : क्या समलैंगिकता (Homo sexuality) गलत है?
श्री श्री रवि शंकर : यह एक प्रवृति है| यह कभी भी बदल सकती है| ये बहुत से लोगों के साथ होता है| इंसान अपने माता और पिता दोनों का संयोग है| कभी कभी स्त्री शक्ति हावी हो जाती है और कभी पुरुष शक्ति हावी हो जाती है| अपने आप को दोषी मत मानो| इस सब से उपर उठो और अपने आपको ज्ञान के प्रकाश में देखो| तुम केवल मांस का ढांचा नहीं हो| तुम चेतना की रोशनी हो| अपने आप को आत्मा समझो जो की लिंग भेद से उपर है| तुम्हे बहुत राहत मिलेगी|
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