"तकनीक ने सारे संसार को एक गांव में और अध्यात्म ने एक परिवार में बदल दिया है"


२२ अप्रैल २०१०
Wayzata Community Church,
Minneapolis

प्रश्न : वेदान्त के अनुसार हम सब एक हैं | पर हमारे व्यक्तित्व और विचार
अलग-अलग क्यों हैं ?

श्री श्री रविशंकर :
प्रत्येक चीज़ अणुओं से बनी है| जैसे फर्नीचर लकड़ी से
बनता है| दरवाजा, बेंच, मेज, कुर्सी – सब लकड़ी से बने हैं| लकड़ी इन सभी
चीज़ों में है, लेकिन इनका काम अलग-अलग है| दरवाजा कुर्सी की तरह
इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, और न मेज़ को दरवाजे की तरह इस्तेमाल किया जा
सकता है| परमाणु-भौतिकी अद्वैत के सिद्धांत पर आधारित
है|

प्रश्न : तनाव को बिना संघर्ष के कैसे संभालें?

श्री श्री रविशंकर :
पहले आंतरिक शान्ति प्राप्त करो, फिर तुम
परिस्थितियों को संभाल सकते हो| जब तुम शांत होगे, तब तुम्हें हल मिलेगा|
क्या तुम्हारा मतलब सम्बन्धों की समस्याओं से है? यदि तुम्हारा प्रश्न
परिवार के झगड़ों से सम्बंधित है, तो इसके तीन विकल्प हैं;

महिलाओं के लिये सलाह : अपने पति को स्वयं को सिद्ध करने के लिये मत कहो|
उसके स्वाभिमान को बढ़ाओ| भले ही पूरा संसार उसे मूर्ख कहे, लेकिन एक
पत्नी के रूप में तुम हमेशा उसकी तारीफ़ करो| तुम उससे कहो कि “ तुम
बुद्धिमान हो| यह अलग बात है कि तुम अपनी पैनी बुद्धि का प्रयोग नहीं
करते|” उसके अहं को कभी न कुचलो| संसार में उसे स्वयं को सिद्ध करना पड़ता
है, लेकिन जब वह घर आता है तो वह विश्राम चाहता है| उसे घर में स्वयं को
सिद्ध करने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिये|

पुरुषों के लिये सलाह : अपनी पत्नी की भावनाओं को कभी ठेस मत पहुं्चाओ|
वह तुम्हें घर की समस्याओं के बारे में बताएगी और अपने पिता, भाई या
रिश्तेदारों की शिकायत भी कर सकती है|लेकिन, यदि तुम भी उसमे शामिल हो जाते हो तो वह पक्ष बदल लेगी| फिर तुम्हे ही कुछ सुनना पड़ सकता है|
यदि वह किसी आध्यात्मिक या धार्मिक कार्यक्रम में जाना चाहती है, तो उसे
मत रोको| यदि वह बाज़ार जाना चाहती है, तो उसे अपना क्रेडिट कार्ड दे दो|

दोनों के लिये सलाह : अपने प्रति किसी के प्रेम पर कभी सवाल न उठाओ| अगर
कोई तुमसे बार बार अपना प्रेम सिद्ध करने के लिये कहे, तो तुम्हें कैसा
लगेगा? यह भार स्वरुप होगा| मांग प्यार को नष्ट कर देती है| प्यार कभी मांगो
नहीं| इसके बजाय तुम यह कहो, “ तुम मुझे इतना ज्यादा प्यार क्यों करते या
करती हो| मैं तुम्हारे प्यार के लायक नहीं हूँ|” जैसे ही तुम यह कहोगे,
अगला व्यक्ति पिघल जाएगा और तुमसे और अधिक प्यार करने लगेगा तथा
तुम्हारी गलतियां भी माफ कर देगा|

प्रश्न : श्री श्री, आपकी उपस्थिति में मुझे लगता है कि अन्धकार मिट गया
है और मैं प्रकाश व प्रसन्नता का अनुभव करता हूँ| मैं इस स्थिति को कैसे
बनाए रख सकता हूँ?

श्री श्री रविशंकर :
ध्यान करो, सेवा करो, सेवा-कार्यक्रम का एक अंग बन
जाओ| तुम मेरे नज़दीक होगे और इस प्रकार अपनी स्थिति को भी बनाए रख सकोगे|

प्रश्न : किशोरों को संभालने वाले माता-पिता को आप क्या सलाह देंगे?

श्री श्री रविशंकर :
'आर्ट ऑफ लिविंग' फाउन्डेशन के ‘नो युअर चाइल्ड’
वर्कशाप जैसे कार्यक्रम हैं जो माता-पिता को अपने बच्चों को बेहतर
समझने में मदद करते हैं|

प्रश्न : बिना अपेक्षायों के जीवन में बड़े लक्ष्यों को
कैसे पा सकते हैं?

श्री श्री रविशंकर :
पूर्ण खिलने के लिए और ऊंचा उठने के लिये आवश्यक सभी चीज़ें तुम्हारे पास हैं|सुदर्शन क्रिया करो, ध्यान करो| ‘पार्ट-२ / मौन की कला’ कार्यक्रम
में सहभागी अपनी प्रतिभाओं को निखरता हुआ और नई योग्यताओं को बढ़ता हुआ
महसूस करते हैं|

प्रश्न : अगर कोई वुअक्ति गलत सम्बन्ध में फंस जाए तो उसे क्या करना चाहिए?

श्री श्री रविशंकर :
पहले अपराध-बोध से बाहर निकलो| कोई दूसरा तुम्हें
इससे बाहर नहीं निकाल सकता| हम सब के केन्द्र में एक ऐसा हिस्सा है जो घटनायों और परिस्थितियों से अछूत रहता है| वह हमेशा शुद्ध और निर्मल है| जब हम अपनी समस्याओं के बारे में बहुत अधिक बात करते हैं, तो हमें उनके बारे में बात करना अच्छा लगने लगता है| सत्य और सुलह
महत्त्वपूर्ण हैं|

प्रश्न : श्री श्री, जब आनंद हमारी प्रकृति है, तो हम अपनी प्रकृति से
नाता क्यों तोड़ लेते हैं? हम भटकने क्यों लगते हैं?

श्री श्री रविशंकर :
आध्यात्मिक उन्नति तुम्हें आनंद दे सकती है और
तुम्हें अपनी प्रकृति से जुड़ा हुआ रख सकती है|

प्रश्न : आप महात्मा गांधी की तरह हैं? क्या उन्होंने आपको प्रेरणा दी है?

श्री श्री रविशंकर :
जब हम छोटे बच्चे थे, हम गाँधी जी की कहानियां सुनते
हुए बड़े हुए| हम अहिंसा में गर्व महसूस करते बड़े हुए| मेरे अध्यापक
गांधी जी के निकट संपर्क में थे| अहिंसा की कहानियां हमारी शिक्षा का एक
अंग थीं| किसी को चोट पहुंचाने के बारे में हम सोच भी नहीं सकते थे| यह
भाव हमारे जीवन का एक अंग था|

प्रश्न : धार्मिक-अपवादों के बारे में आप क्या सोचते हैं? ऐसे घोटाले
से कैसे बच सकते हैं|

श्री श्री रविशंकर :
अगर किसी ने ऐसी गलती की है तो उसे साधारण तरह से
इसे स्वीकार कर लेना चाहिये| हर क्षेत्र में ऐसे लोग हैं जो झूठ बोलते है| इसके लिये क्षेत्र को दोष मत दो| ऐसे भी डॉक्टर हैं जो गुर्दे चुराते हैं और चंद पैसों में बेचते हैं| कुछ लोग ऑपरेशन से डरते हैं|लेकिन तुम सभी डॉक्टरों पर शक नहीं कर सकते| चिकित्सा और शिक्षा जैसे
आदर्श व्यवसाय भी आज भ्रष्ट हो गए हैं| सतर्कता और मानसिक उन्माद के बीच एक पतली
सी रेखा है| पक्षपात जन्मता है जब तुम वह रेखा पार करते हो|

प्रश्न : कोई भविष्य-वाणी कि संसार कब एक होगा?

श्री श्री रविशंकर :
जब तुम और मैं साथ-साथ काम करना शुरू कर देंगे| तकनीक
ने सारे संसार कों एक गाँव बना दिया है| अध्यात्म इसे एक परिवार बना
देगा|

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