ज्ञान के विश्वीकरण से ही हिंसा मुक्त और तनाव मुक्त समाज बन सकता है


प्रश्न : लोग पीड़ित क्यों हैं?

श्री श्री रवि शंकर :
सब में कुछ अच्छा और कुछ बेवकूफियां होती हैं| अपनी मूर्खता के कारण हम दुखी होते हैं|

प्रश्न : आप जीवन में सफलता को कैसे परिभाषित करते हैं?

श्री श्री रवि शंकर :
केवल सच्चे आत्मविश्वास के क्षणों में तुम सच्ची सफलता पहचान सकते हो|

प्रश्न : आप विनम्रता और आत्मविश्वास में कैसे संतुलन करते हो?

श्री श्रे रवि शंकर :
आत्मविश्वास और अभिमान एक साथ नहीं होते| आत्मविश्वास के साथ आप हर जगह और हर किसी के साथ सहज रहते हो| आप खुद भी आराम में रहते हो और हर कोई आपकी उपस्थिति में आराम महसूस करता है| जब आप अभिमानी होते हो, आप अपने को लोगों से बेहतर दिखाने की कोशिश करते हो| दो प्रकार के शिक्षक हैं| पहले, जो तुम्हे छोटे या अपर्याप्त बताते हैं ताकि तुम बड़े या पर्याप्त महसूस करना सीखो|
दूसरे, तुम्हे बताते हैं कि तुम महान हो, जागो और देखो कि तुम बहुत कुछ कर सकते हो| दोनों अलग अलग परिस्थितियों में आवश्यक हैं|

प्रश्न : किसी प्रिय को खोने के डर से कैसे बाहर आ सकते हैं?

श्री श्री रवि शंकर :
ध्यान से|

प्रश्न : मैं किसी वस्तु की लत से कैसे बाहर आ सकता हूं?

श्री श्री रवि शंकर :
प्यार, भय और लालच से| यदि आपको शराब यां सिगरेट की लत है, और मैं आपको कहता हूं कि आपको एक मिलियन डॉलर मिल जाएगा अगर तुम एक महीने के लिए धूम्रपान नहीं करोगे, तो तुम ऐसा करना बंद कर दोगे| लालच से भी बुरी आदत छूट जाती है| प्रेम से भी बुरी आदत छूट जाती है| एक कैथोलिक परंपरा है और भारत में भी ऐसा है - आप स्वीकार करते हो कि और कहते हो,"यह मेरी आदत है, मैं कैसे इसे बदल सकता हूं?" | तीसरा डर है| अगर मैं कहता हूँ कि आप एक महीने में मर जाओगे यदि आप अपनी आदत नहीं छोड़ते, तो आप उसे छोड़ देंगे| मैं प्रेम को अन्य दो से अधिक महत्व देता हूं|

प्रश्न : अगर प्रेम हर जगह है तो हम इसे क्यों खोजते रहते हैं?

श्री श्री रवि शंकर :
क्योंकि तुम्हे यह आभास नहीं है| एक बार यह जान लेने के बाद तुम नहीं खोजते|

प्रश्न : हम किसी को भीतर से माफ कैसे कर सकते हैं?

श्री श्री रवि शंकर :
किसी को माफ करने का संघर्ष क्यों करना? मत करो माफ और अगले जन्म के लिए भी पकड़ कर रखो| तुम्हे कुछ मुश्किल करने की ज़रूरत नहीं है| क्षमा करना आसान है| हर आपराधी में एक हिस्सा क्षमा और मदद की पुकार करता है| अन्याय करने वाले को आध्यात्मिक प्रगति नहीं है| मानवीय गुण विकसित करने के लिए आध्यात्मिक शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है|

प्रश्न : लोग सुखी से अधिक दुखी प्रतीत होते हैं| ऐसे में ईश्वर कहां है?

श्र श्री रवि शंकर :
तुम्हे 'मौन की गूंज' पुस्तक पढ़नी चाहिए| ईशवर निर्माण करने वाला है, सब चलाने वाला और विनाशक भी है| कुछ लोगों में ईशवर की गलत धारणा है| कई लोग सोचते हैं कि ईशवर सर्वशक्तिमान है, और आप की एक गलती करने पर क्रोधित हो जाता है| पर ऐसा नहीं है| ईश्वर ने तुम्हे बुद्धि और समझ दी है| यह प्रकृति के नियमों में स्थापित है| पशु प्रकृति के नियमों का उल्लंघन नहीं करते हैं| जिसमें सब जन्मा है, सब मौजूद है और सब विलीन होता है, वही ईश्वर है|

प्रश्न : आपकी सबसे बड़ी इच्छा क्या है? मैं अपने को आपके निकट कैसे महसूस कर सकता हूं?

श्री श्री रवि शंकर :
तुम पहले ही निकट हो| मैं चाहता हूं अधिक से अधिक बच्चों को आध्यात्मिक शिक्षा मिले और एक हिंसा मुक्त और तनाव से मुक्त समाज बन सके| हमे ज्ञान का विश्वीकरण करने की आवश्यकता है| सेवा करो| हमे अपनी आय का २ प्रतिशत दान में देना चाहिए| इससे तुम्हे पुण्य और पाने वालों को बहुत राहत मिलेगी|

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